दिव्या रावत (मशरूम गर्ल)
दिव्या का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले के कोट कंडारा गांव में हुआ है यह गांव चमोली जिले से 25 किलोमीटर दूर है दिव्या के पिता जी का नाम स्वर्गीय तेज़ सिंह रावत है जब उनके पिता की मृत्यु हुयी तब दिव्या मात्र 7 साल की थी, दिव्या की पढ़ाई नोएडा से हुयी है उन्होंने शक्ति वाहिनी ऑर्गेनाइजेशन में काम किया है इसके अलावा भी उन्हें कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओ के साथ काम करने का मौका मिला वह अपने करियर में सफलता के नए मुकाम हासिल कर रही थी परन्तु दिव्या को सबसे ज्यादा दुख तब होता था जब उनको पहाड़ो (उत्तराखंड) से पलायन होते दिखता था, गांव में रोजगार नहीं होने के कारण वहां के युवा सिर्फ चार पांच हजार की नौकरी के लिए लोग अपना घर परिवार छोड़ कर गांव से बाहर जा रहे है वह जानती थी इसका एक मात्र उपाय था लोगो को उनके ही शहर या गांव में रोजगार देना तब दिव्या ने सोचा की कुछ ऐसा किया जाये जिससे पलायन रुक सके.
दिव्या खुद गांव वापस आ गयी और अपने ही घर से शुरुआत की मशरूम उगाने की यह काम धीरे-धीरे अच्छा चलने लगा एवं गांव के अन्य लोग भी दिव्या के साथ जुड़ने लगे मुख्य रूप से महिलाये इस कार्य में ज्यादा जुड़ने लगी आज दिव्या ने गांव की महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाया है दिव्या का मानना है की मशरूम की खेती को कोई भी व्यक्ति कर सकता है खाशकर गांव में रहने वाला कोई भी व्यक्ति मशरूम की खेती को आसानी से कर सकता है क्योकि गांव में जंगली जानवरो का खतरा ज्यादा रहता है जो किसानो की फसलों को नष्ट कर देते है और मशरूम की खेती को कमरे के अंदर किया जाता है जिससे जंगली जानवरो से कोई खतरा नहीं होता है कहा जाता है की मशरूम उगने के लिए मुख्य रूप से 20-22 डिग्री का तापमान होना चाहिए परन्तु दिव्या ने 30-40 डिग्री के तापमान में मशरूम उगाई है और साबित कर दिया की दृढ़ इच्छा शक्ति से असंभव को भी सम्भव किया जा सकता है दिव्या मुख्य रूप से 4 प्रकार की मशरूम उगाती है.
आप भी मशरूम की खेती करना चाहते है तो आप दिव्या से संपर्क कर सकते है उन्होंने इसके लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की है.
1 मिल्की मशरूम का उत्पादन गर्मियों में 30 से 40 डिग्री के तापमान में किया जाता है, इसे लगाने के बाद 30 से 40 दिनों में यह उपयोग के योग्य हो जाता है
2 ओएस्टर मशरूम का उत्पादन 15 से 30 डिग्री के तापमान में किया जाता है यह तैयार होने में 15 से 20 दिन का समय लेता है इसके बाद आप इसका उपयोग कर सकते है
3 बटन मशरूम सामान्य रूप से सर्दियों में उगाई जाती है और यह तैयार होने में 28 से 33 दिनों का समय लेती है
4 कोर्डिसेप्स मिलिटरिस दिव्या कोर्डिसेप्स मिलिटरिस जिसको की कीड़ाजड़ी भी कहा जाता है उस मशरूम की कीमत 1.5 – 3 लाख प्रति किलो है यह मशरूम मुख्य रूप से मेडिसिन कॉस्मेटिक, किडनी की समस्या, सेक्स प्रॉब्लम में इसका उपयोग किया जाता है. आप इसको चाय के रूप में भी उपयोग कर सकते है, यह स्वस्थ के लिए बहुत लाभदायक है इसकी अधिक जानकारी दिव्या से ले सकते है.
दिव्या आज कई लोगो को मशरूम की ट्रेनिंग देती है और इसके साथ ही दिव्या की खुद की एक कंपनी है जिसका नाम सौम्य प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड है जिसमे दिव्या मेनेजिंग डयरेक्टर है और सौम्य कंपनी में तैयार मशरूम की दिल्ली के आज़ादपुर सब्ज़ी मंडी और देहरादून के निजामपुर सब्ज़ी मंडी में खपत होती है दिव्या को 2017 में महिला दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्पति श्री प्रणव मुखर्जी के द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से समान्नित किया गया है और उत्तराखंड सरकार ने भी दिव्या को मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर का सम्मान दिया है .
दिव्या के अनुसार मशरुम उगाने के लिए मिटटी की आवश्यकता भी नहीं होती है इसको लकड़ी के बुरादे और धान की पराली में उगाया जाता है, पंजाब और हरियाणा के किसान धान की फसल के बाद उसकी पराली को जला देते है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है हमें लगता है की सरकार किसानो को शिक्षित कर उसका उपयोग करने के लिए कुछ योजनाए लाकर रोजगार के साथ पर्यावरण को भी बचा सकती है,
फोटो फेसबुक से ली गयी है