मधुमक्खी पालन कर शहद के साथ इनसे भी कर सकते है आमदनी

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Covid-19 के कारण हुए लॉकडाउन से शहरो से पलायन कर चुके लोगो के सामने रोजगार की बहुत बड़ी समस्या आ गयी है। ऐसे कठिन समय में  उन सब को गांवों में ही रोजगार दिला पाना संबंधित राज्य सरकारों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

रोजगार की समस्या को ध्यान में रखते हुए sangeetaspen.com ब्लॉग के माध्यम से एक बार फिर रोजगार सीरीज़ में आप सभी लोगो को कुछ ऐसे स्वरोजगारो की जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। 

इसी श्रंखला में यह पोस्ट मधुमक्खी पालन व्यसाय पर आधारित है।

शहद ज़रूरी पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिन का भंडार है। शहद में मुख्य रुप में फ्रक्टोज पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, राइबोफ्लेविन, नायसिन, विटामिन बी-6, विटामिन सी और एमिनो एसिड भी पाए जाते हैं। एक चम्मच (21 ग्राम) शहद में लगभग 64 कैलोरी और 17 ग्राम शुगर (फ्रक्टोज, ग्लूकोज, सुक्रोज एवं माल्टोज) होता है। शहद में फैट, फाइबर और प्रोटीन बिल्कुल भी नहीं होता है।

शहद को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है। छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक शहद सभी के लिए उतनी ही फायदेमंद है। नियमित रुप से शुद्ध शहद खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। बाजार में अनेको नामो से शहद 100 प्रतिशत नेचुरल बता कर बेचा जा रहा है पर यह वास्तव में नेचुरल होता नहीं है।

हम मधुमक्खियों को केवल उनके शहद के लिए जानते है लेकिन अब मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों से केवल शहद ही नहीं बल्कि बी पॉलन, बी प्रोपोलिस, बी वेनम भी प्राप्त कर आमदनी को बढ़ा सकते है। 

मधुमक्खी पालने का व्यवसाय सालों पुराना है लेकिन अब वक्त के साथ व्यवसाय ने नया रूप ले लिया है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय को LOCKDOWN के कारण बेरोजगारी की मार झेल रहे व्यक्ति आसानी से अपनाकर एक साल में ही लाखों की कमाई कर सकते है।

इस व्यवसाय को कम लागत में भी शुरू किया जा सकता है। जैसा आपका बजट है आप वैसे शुरू कर सकते है। हां, इसके लिए आपको ट्रेनिंग की जरूरत होगी।

हमारी सलाह है जब भी आप यह व्यसाय शुरू करे सबसे पहले इसकी ट्रेनिंग जरूर ले जिससे आपको इसमें आने वाली चुनोतियो के बारे में ज्ञान हो जायेगा, मधुमक्खी पालन के लिए सरकार सहयोग करती है और ट्रेनिंग भी उपलब्ध करती है। यह सरकारी संस्थानों में निशुल्क उपलब्ध है।  

मधुमक्खी व्यवसाय को खेतो की मेड़ों के किनारे, घर की छतों पर, तालाब के किनारे या खुले स्थानों में जहा पर मधुमक्खियों के बॉक्स रखने की व्यवस्था हो आसानी से किया जा सकता है। 

मधुमक्खी पालन के दौरान आपको अपनी मधुमक्खी कॉलोनियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना चाहिए ऐसे स्थानों का चुनाव करे जहाँ पर फूलो के बाग़ या खेत हो जिससे मधुमक्खियों को उचित मात्रा में शहद प्राप्त हो सके,आप इसके लिए फूलो की खेती भी कर सकते है।

Table of Contents

बी कॉलोनी

मधुमक्खियों के बॉक्स को बी कॉलोनी भी कहा जाता है किसान खेती बाड़ी के साथ-साथ मधुमक्खी व्यवसाय को भी आसानी से कर सकते हैं शुरूआत में मधुमक्खी पालन व्यवसाय को आप पांच या दस बाक्स से आरंभ कर सकते है।

एक बॉक्स में लगभग चार हजार रुपए का खर्चा आता है, पांच बाक्सो में बीस हजार रुपए का खर्चा आएगा है।

मधुमक्खियों की संख्या को बढ़ाने के लिए समय समय पर इनका विभाजन किया जाता हैं। अगर विभाजन ठीक से कर लिया तो एक साल में लगभग 20000 हजार बक्से तैयार किए जा सकते हैं।

आप मधुमक्खियों को कहाँ से खरीद सकते है?

दिल्ली में नेशनल बी बोर्ड से प्रमाणित संस्थाएं है उनसे आप मधुमक्खियों को खरीद सकते है। उद्यान विभाग से भी ले सकते है। कृषि विज्ञान केंद्र से भी मधुमक्खी ले सकते है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय पिछले कुछ सालों से बढ़ रहा है। लोग बढ़ चढ़ कर मधुमक्खी पालन कर रहे हैं मधुमक्खी पालन का वैज्ञानिक तरीका अठारहवीं सदी के अंत से आरंभ हुआ।

इसके पहले जंगलों से पारंपरिक तरीको से ही शहद एकत्र किया जाता था। सम्पूर्ण विश्व के पारंपरिक तरीके लगभग एक जैसे ही थे। जिसमें धुआं करके, मधुमक्खियां भगा कर लोग मधुमखियो के छत्तों को उसके स्थान से तोड़ कर फिर उसे निचोड़ कर शहद निकालते थे। हमारे देश में अभी भी जंगलों में ऐसे ही शहद निकाला जाता है।

एक बॉक्स में कितने प्रकार की मधुमक्खियाँ होती है और इनकी आयु कितनी होती है ?

एक डिब्बे में कुल 3 प्रकार की मधुमक्खियाँ रखी जाती है इन तीन प्रकार की मधुमक्खियों में रानी मधुमक्खी, नर मधुमक्खी और श्रमिक मधुमक्खी शामिल होती हैं।

एक डिब्बे में श्रमिक मधुमक्खी की संख्या 30,000 से 1 लाख तक की होती है. इसमें नर मधुमक्खी की संख्या 100 के आस पास की होती है. इसमें रानी मधुमक्खी की संख्या केवल 1 होती है।

मधुमक्खियों की आयु उनकी विभिन्न श्रेणी के अनुसार होती है रानी मधुमक्खी की आयु 1 वर्ष की, नर मधुमक्खी की आयु 6 महीने और श्रमिक मधुमक्खी की आयु लगभग डेढ़ महीने की होती है।

मधुमक्खी पालन कब शुरू करे

मधुमक्खी पालन का समय उचित समय नवम्बर माह से आरंभ होता है इससे पूर्व के माहो में आप मधुमक्खी पालन से जुडी अन्य सभी व्यवस्था कर ले।

किसानों की मित्र है मधुमक्खियां bee pollination कर पैदावार को बढ़ा रहे है

धीरे-धीरे किसान भी मधुमक्खियों के महत्त्व को समझने लगे है मधुमक्खियों पर किये गए शोध में पाया गया है की जो किसान मधुमक्खियों की कॉलोनियों को अपने खेतो के आस पास के स्थानों में रख देते है उन किसानो की पैदावार में आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गयी।

यह संभव होता है परागण के कारण यदि एक पौधे पर अच्छी तरह से परागण की क्रिया हुई है यानी बड़ी संख्या में परागण किया गया है तो वह फलों और सब्जियों को और भी रसभरा बनाता है। जैसे सेब फल में अच्छा परागण होने पर ही वे उतने ही रसभरे होते हैं। यही प्रक्रिया अन्य फलों, सब्जी और बीजों में होती है। सरल शब्दों में परागण उनके गुणों और स्वाद में बढ़ोत्तरी करता है।

मधुमक्खी शहद जमा करने के लिए फूल पर बैठती है और पराग कण उनके पांवो पर जमा हो जाते है वह उन्ही पराग कणो एक फूल से दूसरे फूल तक पहुँचाती है इसी क्रिया को परागण (bee pollination) कहा जाता है।

अब किसान परागण के महत्व को समझने लगे है और वह उन मधुमक्खी कालोनियों को अपने खेतो की आस पास रखने के लिए किराये पर मधुमक्खी पालको से संपर्क कर रहे है ।

मधुमक्खियों को चाहिये बेहतर वातावरण परागण के लिए मधुमक्खियों को उचित वातावरण की जरूरत होती है। यानी वे ऐसे अच्छे वातावरण में रहें, जहां उनको प्राकृतिक रूप से भोजन और गैर विषेला वातावरण मिले।

आज किसान अपनी पैदावार को बढ़ने के लिए और अपनी फसलों को कीटो से बचाने के लिए कीट नाशको का इस्तेमाल करते है इस लिए मधुमक्खी पालको को चाहिए की वह ऐसे स्थानों से मधुमक्खीयो को बचा कर रखे केवल जैविक खेती कर रहे किसानो के साथ ही कार्य करे। 

बी पॉलन

बी पॉलन और उसके फायदों के बारे में अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं। आपको बता दूं कि यह मधुमक्खियों द्वारा इकठ्ठा किया गया फूलों के परागकण का ढेर होता है जो उनके आहार के रूप में काम आता है। इसमें लगभग 40% प्रोटीन पाया जाता है और इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। इसका सेवन इंसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।बी पॉलन और उसके फायदों

काफी समय पहले से ही बी पॉलन को न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ताजे बी-पॉलन में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट के अलावा लैक्टिक एसिड और फ्लेवेनॉयड जैसे यौगिक भी होते हैं। चायनीज मेडिसन में इसके फायदों को देखते हुए जर्मन फेडरेल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ द्वारा इसे ऑफिशियली मेडिसन घोषित कर दिया गया है।

मधुमक्खी पालक बी पॉलन को आसानी से एकत्र कर सकते है और इससे भी अपनी आमदनी बढ़ा सकते है।

बी प्रोपोलिस

प्रोपोलिस मधुमक्खी उत्पादों का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ है। प्रोपोलिस को मधुमक्खी अपने अंडो बच्चो छते और खुद को बैक्टीरिया, वायरस तथा छोटे -छोटे कीड़े मकोड़ो से बचाने के लिए जमा करती है। इसको मधुमक्खियाँ पेड़ो की छालो, तथा अन्य फूल पतियों से एकत्रित करती है और यह प्राकृतिक सुपर एंटीबायोटिक के रूप में जाना जाता है। यह किसी भी तरह के इफेक्शन में लाभदायक है यह हमारी त्वचा को किसी भी तरह के इफेक्शन से बचाने में काम आता है।

Propolis

इसीलिए बी प्रोपोलिस की कॉस्मेटिक मार्किट में भारी मांग है और इस पर शोध किये जा रहे है । पर इसको एकत्रित करने के लिए किसी बोरे या कपडे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योकि प्रोपोलिस प्राप्त करते समय कपडे के रेसे प्रोपोलिस में आ सकते है जिससे प्रोपोलिस की गुणवत्ता कम हो जाती है प्रोपोलिस शीट मार्किट में उपलब्ध है जो 40 रूपये से लेकर 90 रूपये में प्राप्त हो जाती है।

1 किलो प्रोपोलिस की कीमत 1200 रूपये या इससे अधिक हो सकती है और एक कॉलोनी से एक साल में एक किलो तक प्रोपोलिस प्राप्त किया जा सकता है।

बी वेनम

मधुमक्खी पालन में एक ऐसा समय भी आता जब फूलो के न होने पर मधुमक्खियों को जिन्दा रखने के लिए मधुमक्खी पालको को चीनी या अन्य भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है। किन्तु ऑफ सीजन में भी मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों के वेनम से भी कमाई कर सकते है। 

बी वेनम मधुमक्खी डंक से निकलने वाले तरल पदार्थ को कहा जाता है वेनम को बिना मधुमक्खियों को बिना कोई परेशानी दिए एकत्र किया जाता है बस उसको थोड़ा गुस्सा दिलाना होता है एक दिन के लिए मधुमक्खी चिड़चिड़ी हो सकती है।

वेनम प्राप्त करते ही उसको किसी कांच की शीशी में स्टोर कर डीप फ्रीज में रख दें जिससे वह ख़राब न हो।

बी वेBee Venomनम का प्रयोग दवाईओ और सौन्दर्य प्रोडक्ट को बनाने के लिए किया जाता है।
एक ग्राम बी वेनम की कीमत 5 से 10 हजार तक हो सकती है 100 मधुमक्खियों की कॉलोनी से 5 ग्राम तक वेनम प्राप्त किया जा सकता है और वेनम को 15 दिन में एक बार ही प्राप्त करना चाहिए ।

वेमन एकत्र करते समय सावधानी बरतनी चाहिए अगर यह आँख में चला जाये तो अंधे हो सकते है और साँस के साथ फेफड़ो में चला जाये तो सूजन के कारण कोई अप्रिय घटना हो सकती है इसलिए सावधानी सर्वप्रथम है।
वेनम से जुडी अधिक जानकारी के लिए आप यह वीडियो देखे

बी रॉयल जेली

रॉयल जेली एक दूधिया स्राव है जो युवा मधुमक्खियों को खिलाने के लिए अपने सिर के शीर्ष पर ग्रंथियों से मधुमक्खियों द्वारा स्रावित होता है। इसके बिना, उनके अस्तित्व को खतरा है। रॉयल जैली युवा बच्चों के लिए दूध की तरह है।

royal bee jellyसभी मधुमक्खियों को उनके शुरुआती विकास के लिए कुछ रॉयल जेली खिलाया जाता है और फिर वे जीवित रहने के लिए शहद पर निर्भर होते हैं। मधुमक्खियों की आयु उनकी विभिन्न श्रेणी के अनुसार होती है रॉयल जेली की वजह से रानी मधुमक्खी की आयु 1 से 3 वर्ष तक होती है , जबकि अन्य मधुमक्खियां उतनी भाग्यशाली नहीं हैं। नर मधुमक्खी की आयु 6 महीने और श्रमिक मधुमक्खी की आयु लगभग डेढ़ महीने की होती है.

रॉयल जेली में बहुत सारे खनिज और विटामिन होते हैं। खनिजों में लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, सल्फर और जस्ता शामिल हैं। विटामिन बी 1, बी 2, बी 6, सी और विटामिन ई जैसे विटामिन भी मौजूद हैं।

रॉयल जेली न केवल मधुमक्खियों के लिए फायदेमंद है; मनुष्य के लिए इसके लाभ अद्भुत हैं। यह पाचायन को बढ़ाता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह लिवर की भी सुरक्षा करता है।

इसका उपयोग पेट के अल्सर, नींद की परेशानी और त्वचा विकारों के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार करता है। लाभार्थी के रूप में, रॉयल जेली महंगी है क्योंकि इसे छत्ते से इकट्ठा करना मुश्किल है।

रॉयल जेली की कीमत 800 से 20000 रुपये  प्रति किलो तक हो सकती है।

शहद

मधुमक्खी पालन में शहद हमारा सबसे अंतिम आय का श्रोत है शहद के व्यापार में एक बेहतर लाभ कमाया जा सकता है एक डिब्बे मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले 50 किलो शहद को अक्सर 100 रु. प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है।

अतः प्रत्येक डिब्बे से आपको रू 5,000 प्राप्त होते हैं. बड़े पैमाने पर इस व्यापार को करने से प्रति महीने 1 लाख 15 हज़ार रूपए तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।honey

बड़े पैमाने के व्यापार में तैयार किये गये शहद का मूल्य प्रति किलोग्राम रू 250 के आस पास का होता है।

बी पॉलन, बी प्रोपोलिस, बी वेनम, रॉयल जेली और किसानो से संपर्क कर परागण की प्रक्रिया से भी आमदनी कर सकते है।

मधुमक्खी पालन में दो और आय के श्रोत और उपलब्ध है
मधुमक्खी पालन ट्रेनिंग और बी कॉलोनियों को सेल कर भी आमदनी की जा सकती है

मधुमक्खी पालन व्यवसाय में सरकार से प्राप्त मदद

मधुमक्खी पालन व्यवसाय में सरकार भी बढ़ावा दे रही है। और खादी ग्राम उद्योग भी मधुमक्खी पालन में मदद करता है. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है. लेकिन भारत शहद उत्पादन के मामले में पांचवें स्थान पर है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए भारत सरकार का एमएसएमई विभाग मदद करता है. इस मंत्रालय के खादी एंड विलेज इंडस्ट्री कमीशन के तहत कई योजनायें चलती है, जिनके अंतर्गत मधुमक्खी पालन व्यवसाय को प्रोत्साहित किया जाता है।

इस व्यवसाय के आरम्भ में सरकार हनी प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए सरकार कुल लागत का 65% हिस्सा ऋण के तौर पर देती है. ऋण के अलावा सरकार की और से 25% की सब्सिडी भी दी जाती है. इस तरह से आपको कुल लागत का केवल 10% ही अपने पास से लगाना होता है।

आप 20 हजार किलोग्राम सालाना शहद बनाने वाला प्‍लांट लगाना चाहते हैं तो इस पर लगभग 24.50 लाख रुपये का खर्च आएगा. इसमें से आपको लगभग 16 लाख रुपये का लोन मिल जाएगा, जबकि मार्जिन मनी के रूप में 6.15 लाख रुपये मिल जाएंगे और आपको अपनी ओर से केवल लगभग 2.35 लाख रुपये लगाने होंगे।

मधुमक्खी पालन में ध्यान रखने योग्य आवश्यक बाते

  1. मधुमक्खी पालन के लिए आप अपने फार्म में बीकीपर्स को रख सकते हैं. ये लोग मधुमक्खी पालन में निपूर्ण होते हैं।
  2. एक डिब्बे में अधिकतम 8 फ्रेम ही रखनी चाहिए बहुत लोग 10 फ्रेम मधुमक्खी रखते है। 8 फ्रेम मधुमक्खियों को रखने से इनकी देखभाल में भी आसानी से हो पाती है।
  3. मधुमक्खी पालन के लिए साफ सुथरे और फैले स्थान की आवश्यकता होती है, फैले स्थान पर मधुमक्खीया अधिक संख्या में छत्ता लग सकेंगी।
  4. जिस स्थान पर मधुमक्खी पालन करे वह स्थान साफ और प्राकृतिक पानी वाला हो। यदि उस स्थान पर अधिक संख्या में पेड़ पौधे हो तो बहुत अच्छा है।
  5. मधुमक्खी पालन के लिए उस स्थान का चयन करे जहा पर नमी न हो।

शहद बनाने की प्रोसेसिंग प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको मधुकोष से मधुमक्खी के छत्ते को अलग करने की आवश्यकता होती है।
  • मधुकोश को हटाने की कुछ विशेष प्रक्रियाएं है जिसे मधुमक्खी पालक ही  जानते हैं।
  • मधुकोश को हटाने के बाद इसका दो तिहाई हिस्सा ट्रांसपोर्ट बॉक्स में भर कर उस स्थान पर ले जाया जाता है जहाँ पर एक भी मधुमक्खी न हो।
  • मधुकोश को मशीन के एक्सट्रेक्टर में डाल कर आगे की प्रक्रिया के लिए छोड़ा जाता है आम तौर पर एक मधुकोश का भार 2.27 किलोग्राम होता है।
  • इसके बाद मशीन को चलाने पर एक्सट्रैक्टर के द्वारा मधु निकलना आरम्भ हो जाता है।
  • इस समय आपको एक्सट्रेक्टर के निचले हिस्से से मधु प्राप्त होने लगता है।
  • किसी भी प्लांट में बनाए गए मधु को लगभाग 49 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है, ताकि इसके अन्दर के क्रिश्टल हिस्से भी अच्छे से गल जाएँ. इसके बाद इसे इसी तापमान पर लगभग 24 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के बाद आपका मधु पैकिंग के लायक तैयार हो जाता है।

शहद प्रोसेसिंग मशीन प्लांट

शहद को के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन की आवश्यकता होती है. इस मशीन की सहायता से ही शहद (HONEY) को बनाने से लेकर पैकेजिग करने तक का काम किया जाता है. इस प्लांट की कुल लागत लगभग 1.5 से 20 लाख तक हो सकती है।

शुरूवाद में आप शहद को निकल कर किसी भी कम्पनी को बेच सकते है इसकी अधिक जानकारी आप स्थानीय सरकारी संस्थान से ले सकते है।

लाइसेंस शहद के व्यापार के लिए आपको विशेष लाइसेंस की आवश्यकता होती है?

अगर आप इसको सीधे उपभोक्ता तक नहीं पंहुचा रहे है तो आपको किसी लाइसेंस की अवसक्ता नहीं है है आप किसी भी कंपनी से डायरेक्ट कांटेक्ट कर अपने प्रोडक्ट को बेच सकते है अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता की जांच कर वह कम्पनी कर आपको उचित मूल्य प्रदान कर देती है।

अगर आप स्वयं इन उत्पादों को उपभोक्ता तक पहुँचाना चाहते है तो आपको सबसे पहले अपने प्लांट का पंजीकरण उद्योग आधार के अंतर्गत कराना पड़ता है. इसके उपरान्त आपको अपने फर्म के नाम का एक करंट बैंक अकाउंट और पैन कार्ड बनाने की आवश्यकता होती है।

आपको आपके द्वारा बनाए गये शहद की जांच सरकारी खाद्य विभाग में करा कर FSSAI से लाइसेंस प्राप्त करना होता है।

आपको अपने व्यापार के लिए ट्रेड लाइसेंस की भी आवश्यकता होती है। तात्कालिक समय में टैक्स के लिए आपको अपने फर्म का पंजीकरण जीएसटी के अंतर्गत भी कराना पड़ेगा. और यह लाइसेंस की प्रक्रिया शहद के व्यापार के लिए ही नहीं अपितु आप अन्य कोई भी व्यापार करे आवश्यक होती है।

शहद की मार्केटिंग

आपको शहद का व्यापार बढ़ाने के लिए मार्केटिंग करने की आवश्यक होती है. मार्केटिंग के लिए आप अपने नजदीकी दुकानदारों की सहायता भी ले सकते है।

बाजार में बड़ी दुकानों से भी बात करके देखे उन्हें अपने शहद के बिषय में बताये बाजारों में विभिन्न स्थानों पर अपने ब्रांड के पोस्टर्स आदि लगाये साथ ही आप स्थानीय अखबारों में तथा लोकल टीवी चेनलो में भी ऐड दे सकते हैं।

इसके बाद आप अपने बनाए गये शहद को होलसेल के रूप में सरलता से बेच सकेंगे। अगर आपके बनाये शहद की क्वालिटी अच्छी हुयी तो लोग जरूर खरीदेगे।

पैकेजिंग (Honey Packaging)

पैकेजिंग (Honey Packaging ):शहद की पैकेजिंग करना ही इसके व्यापार का एक आवश्यक और ठोस कदम है। आज कल बाजार में बहुत सारे नए ब्रांड के शहद अलग-अलग पैकेट्स की सहायता से बेचे जा रहे हैं.

आपको पैकिंग के समय शहद की मात्रा और बोतल के डिजाईन का विशेष ध्यान रखना होगा। आप अपने बनाये शहद को 100 ग्राम, 500 ग्राम के छोटे-छोटे डिब्बों की सहायता से सरलता पूर्वक बेच सकते हैं।आपको शहद के लिए खाली डिब्बे अलग-अलग डिजाईन के साथ होलसेल रेट में मिल जायेंगे।

मधुमक्खियों में होने वाली बीमारी और बचाव

सबसे महत्वपूर्ण बात कई बार पालतू मधुमक्खियों में माईल नामक बीमारी हो जाती है हालाँकि इसका सरल औ उपचार भी मौजूद है। आप प्रत्येक मधुमक्खी पालन डिब्बे में दो कलि लहसुन डाल दें, तो यह रोग नहीं होता है। आम तोर पर मधुमक्खियों को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है।

आधुनिक मधुमक्खी पालन का इतिहास

आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन का आधुनिक वैज्ञानिक तरीका पश्चिम की देन है. यह इस तरह विकसित हुआ…

1789 में स्विटजरलैंड के फ्रांसिस ह्यूबर नामक व्यक्ति ने पहले-पहल लकड़ी की पेटी (मौनगृह) में मधुमक्खी पालने का प्रयास किया. इसके अंदर उसने लकड़ी के फ्रेम बनाए जो किताब के पन्नों की तरह एक-दूसरे से जुड़े थे.

1851 में अमेरिका निवासी पादरी लैंगस्ट्राथ ने पता लगाया कि मधुमक्खियां अपने छत्तों के बीच 8 मिलिमीटर की जगह छोड़ती हैं. इसी आधार पर उन्होंने एक दूसरे से मुक्त फ्रेम बनाए जिस पर मधुमक्खियां छत्ते बना सकें.

1857 में मेहरिंग ने मोमी छत्ताधार बनाया. यह मधुमक्खी मोम की बनी सीट होती है जिस पर छत्ते की कोठरियों की नाप के उभार बने होते हैं जिस पर मधुमक्खियां छत्ते बनाती हैं.

1865 में ऑस्ट्रिया के मेजर डी. हुरस्का ने मधु-निष्कासन यंत्र बनाया. अब इस मशीन में शहद से भरे फ्रेम डाल कर उनकी शहद निकाली जाने लगी. इससे फ्रेम में लगे छत्ते एकदम सुरक्षित रहते हैं जिन्हें पुनः मौन पेटी में रख दिया जाता है.

1882 में कौलिन ने रानी अवरोधक जाली का निर्माण किया जिससे बगछूट और घरछूट की समस्या का समाधान हो गया. क्योंकि इसके पूर्व मधुमक्खियां, रानी मधुमक्खी सहित भागने में सफल हो जाती थीं. लेकिन अब रानी का भागना संभव नहीं था.

2 comments

    • KRISHNA KANT MISHRA ji आपका बहुत आभार हमसे जुड़ने के लिए हम किसी को भी प्रोमोट नहीं करते है अगर ऐसा कुछ भी आपने नोटिस किया है मेरी वेबसाइट पर तो आपसे मेरा अनुरोध है की हमको वह पोस्ट बताये जिससे मै उसको तुरंत अपनी वेबसाइट से हटा सकू.
      संगीता
      Founder of
      Sangeetaspen.com

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