केरल:हथिनी की मौत की घटना मलप्पुरम के फॉरेस्ट अफसर ने फेसबुक पर शेयर कि थी

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हथिनी की मौत की घटना को मलप्पुरम के एक फॉरेस्ट अफसर के द्वारा अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया फारेस्ट ऑफिसर मोहन कृष्णन का फेसबुक पोस्ट (मलयाली में) में लिखा गया है। इसे करीब 5500 लोगों ने देखा और शेयर किया.

केरल:हथिनी की मौत की घटना मलप्पुरम के फॉरेस्ट अफसर ने फेसबुक  पर शेयर कि थी
केरल:हथिनी की मौत की घटना मलप्पुरम के फॉरेस्ट अफसर ने फेसबुक पर शेयर कि थी

മാപ്പ്… സഹോദരീ .. മാപ്പ് …അവൾ ആ കാടിന്റെ പൊന്നോമനയായിരുന്നിരിക്കണം. അതിലുപരി അവൾ അതിസുന്ദരിയും സൽസ്വഭാവിയും…

Posted by Mohan Krishnan on Saturday, 30 May 2020

“वो 20 महीने बाद अपने बच्चे को जन्म देने वाली थी। उसे भूख लगी थी, उसे क्या पता था कि क्रूर इंसानों के जिस भोजन को वो उनका प्यार समझ कर ग्रहण करेगी, वो सिर्फ़ एक छलावा है, जो दोहरी जिंदगियों का भक्षक बन जाएगा। मेरे सामने अब भी उसका चेहरा घूम रहा है। उसने पानी में ही कब्र बना ली। अब हम उसे लेकर जा रहे हैं, दफनाने के लिए। वो उसी ज़मीन के नीच हमेशा के लिए सोएगी, जहाँ उसने बचपन से हँसा-खेला था। मैं और क्या कर सकता हूँ? स्वार्थी मानव जाति की तरफ से उसे कहता हूँ- बहन, क्षमा करो।”

रेस्क्यू टीम में शामिल मोहन कृष्णन ने फेसबुक पर लिखा,मादा हाथी ने किसी पर हमला भी नहीं किया. वह बहुत सीधी और शांत थी.

मादा हाथी खाने की तलाश में जंगल से पास के गांव में पहुंच गई, यहां वह इधर उधर घूम रही थी. इसके बाद उसे कुछ लोगों ने पटाखे भरे अनानास खिला दिए.
पटाखे इतने असरदार थे, कि उसका मुंह और जीभ बुरी तरह से जख्मी हो गए. वह खाने की तलाश में पूरे गांव में भटकती रही. दर्द के चलते वह कुछ खा भी नहीं सकी. मादा हाथी ने घायल होने के बावजूद किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, किसी पर हमला भी नहीं किया. वह बहुत सीधी और शांत थी.

कृष्णन आगे यह भी लिखते है की मादा हाथी खाने की खोज में वेल्लियार नदी तक पहुंच गई क्योंकि उसके पेट में बच्चा था. वो पानी में खड़ी हो गई. पानी में मुंह डालने से उसे थोड़ा आराम भी मिला. जब हाथी की दयनीय स्थिति फॉरेस्ट अफसरों को पता चली, तो वे दो कुमकी (कुमकी वह प्रशिक्षित हथनी जिसकी सहायता से हाथी पकड़े जाते हों) हाथियों, सुरेंद्रन और नीलाकंतन को घायल हाथी को वलियार नदी से बाहर निकालने के लिए ले आए.बड़ी मुश्किल के बाद पानी से बाहर निकाला गया, लेकिन उसकी मौत हो गई.

आप इंडिया की रिपोट के अनुसार उस इलाक़े में जंगली भालुओं के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसी क्रम में कुछ लोगों ने अनानास में उन पटाखों को भर दिया, जो कभी भी ब्लास्ट हो सकता था।
शिकारी इस तरीके को खास तौर से जंगली सूअरों और भालुओं को मरते है । कुछ लोगों का कहना है कि लोगो के द्वारा अपने खेतों और बगीचे को नुकसान होने के डर से जंगली जानवरों को मार जाता है

पिछले 20 सालो किसी भी हाथीयो की प्राकृतिक रूप से मोत नहीं

ABP न्यूज़ की रिपोट के अनुसार पिछले 20 सालो से किसी भी हाथीयो की प्राकृतिक रूप से मोत नहीं हुयी,हमारे देश में अब 20 हजार हाथी है उनमे भी सिर्फ 800 नर हाथी है,कभी शिकारियो के द्वारा हाथी दाँतो के लिए हाथियो का शिकार किया है और कभी अभ्यारण्य से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक, सड़क हादसों में हाथियों की मौत हो जाती है।

केरल पुलिस ने मादा हथिनी की हत्या के खिलाफ अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया है।

त्रिशूर के असिस्टेंट फॉरेस्ट वेटरनरी डॉक्टर डेविड अब्राहम ने ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस‘ से कहा कि उन्होंने अपने करियर में 250 हाथियों का पोस्टमॉर्टम किया है लेकिन उन्हें पहली बार इतनी पीड़ा हुई। उन्होंने बताया कि वो हथिनी के अजन्मे बच्चे को, भ्रूण को हाथों में लेकर देख सकते थे। पहले किसी को भी पता नहीं था कि वो गर्भवती है, ये पोस्टमॉर्टम के समय ही पता चला।।

डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, हथिनी की मौत दम घुटने से हुई। उसके फेंफड़ों और वायु-नली में पानी घुसने के कारण उसे साँस लेने के लिए ऑक्सीजन नहीं मिल पाया।

कुछ लोगों का कहना है कि अपने खेतों और बगीचे को नुकसान होने के डर से लोग जंगली जानवरों को मार डालते हैं

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