2020:चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

आस्था
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से नव वर्ष का आरंभ माना जाता है

भारतीय पंचांग के अनुशार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से नव वर्ष का आरंभ माना जाता है। इसे हिंदू नववर्षोत्सव भी कहते है। इसकी गणना विक्रम संवत के अनुसार की जाती है, यह प्रक्रिया ईसा पूर्व से चली आ रही हैं इस वर्ष हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2077 (25 मार्च से)आरंभ हो रहा है। इस नव संवत (2077) का नाम प्रमादी हैं

ब्रह्मपुराण में भी चैत्र शुल्क प्रतिपदा का खास महत्व

ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र शुल्क प्रतिपदा के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और इस दिन से ही कलयुग आरंभ हुआ था। इसलिए यह सृष्टि की रचना का उत्सव भी मन जाता हैं।

चैत्र शुल्क प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि आरंभ

शास्त्रानुसार चैत्र शुल्क प्रतिपदा के दिन से चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है और हिन्दू नववर्ष शुरू होगा। इस वर्ष चैत्र प्रतिपदा के दिन रेवती नक्षत्र के साथ ही बुधवार होने से ब्रह्म योग बन रहा है
अगर किसी नए कार्य की सुरुवात करनी हो तो नवरात्री के शुभ अवसर पर चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा, अष्टमी और नवमी में से किसी भी दिन कर सकते हैं इन दिनों को अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों की गई पूजा-प्रार्थना का फल तुरंत मिलता हैं

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आरंभ

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का आरंभ 24 मार्च (मंगलवार) को दोपहर 02 बजकर 57 मिनट से हो चुका हैं, जो 25 मार्च (बुधवार) शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा ।

कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त

कलश स्थापना के लिए बुधवार की सुबह 58 मिनट का शुभ मुहुर्त हैं।आप प्रातः 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट के मध्य कलश स्थापना कर सकते हैं। और कलश स्थापना के साथ ही चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ हो जाएगा। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती हैं ।

देवी दुर्गा को चढ़ाएं फूल

नवरात्रि में नौ दिनों तक रोज सुबह देवी दुर्गा (मां) की पूजा करें। माता के सामने दीपक जलाएं। पूजा के समय दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। माता को नारियल,फूल आदि अर्पित करें।

कौन कौन से फूल माँ दुर्गा को प्रिय हैं

देवी दुर्गा को जितने भी लाल फूल,अशोक,श्वेत कमल, पलाश, मौलसिरी, मदार, कुंद, तगर, चंपा, लोध, कनेर, आक, शीशम और शंखपुष्पी आदि फूल प्रिय हैं

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा कौन-कौन से शुभ योग हैं

प्रतिपदा को ब्रह्मयोग, द्वितीया, तृतीया और नवमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग,पंचमी तिथि पर रवियोग रहेगा, षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ-अमृत सिद्धि योग रहेगा, छठवां दिन : सर्वार्थ-अमृत सिद्धि योग रहेंगे।

नौ देवियों के नाम

नौ देवियों (नव दुर्गा) के नाम
शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा,स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री

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