नवरात्रि के चौथे दिन जानिए Maa Kushmanda की पूजन विधि, कथा और उनका महत्व

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नवरात्रि के चौथे दिन जानिए Maa Kushmanda की पूजन विधि, कथा और उनका महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन जानिए Maa Kushmanda की पूजन विधि, कथा और उनका महत्व

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4th Day Of Navratri: शारदीय नवरात्रि 20 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है

4th Day Of Navratri : मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) के पूजन से व्यक्ति के सारे दुख मिटते हैं और उसे कठिनाईयों से लड़ने की शक्ति मिलती है। सच्चे मन से मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का ध्यान करने वाले सभी भक्तो की सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही स्वास्थ, यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है।

नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में माता के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आज है नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का दिन है।ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मां की पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है।मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda)की सवारी सिंह है जो कि धर्म का प्रतीक है।

मां दुर्गा के इस रूप की होती है आज पूजा

आज के दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा की जाताी है। कूष्मांडा

(Kushmanda) शब्द दो शब्दों यानि कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रह्मांड। अर्थात वो देवी जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda)की आठ भुजाएं हैं। साथ ही हाथ में अमृत कलश भी है।

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजन विधि और भोग

सुबह स्नान करने के बाद हरे वस्त्रों को धारण करें। उसके बाद देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हणे का भोग लगाएं। फिर “ओम कूष्मांडा दैव्यै: नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें। मां कूष्मांडा की आरती उतारें और प्रसाद चढ़ाएं।
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग अतिप्रिय है। लेकिन भक्तों के पास जो होता है मां उस भोग को भी सहर्ष स्वीकरा कर लेती हैं।

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा करने के लिए मंत्र है

सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करने के बाद मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda)स्वरूप की विधिवत पूजा करने से विशेष फल मिलता है. पूजा में मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल या गुलाब का फूल भी प्रयोग में ला सकते हैं,

इसके बाद सिंदूर, धूप, गंध, अक्षत् आदि अर्पित करें. सफेद कुम्हड़े की बलि माता को अर्पित करें. कुम्हड़ा भेंट करने के बाद मां को दही और हलवा का भोग लगाएं और प्रसाद में वितरित करें.इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने की परंपरा है,

क्योंकि मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय बताए गए हैं.मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा विधि पूर्वक करने के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए.


मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) को प्रसन्न करने का मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नम:॥


मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का बीज मंत्र

कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम:


मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥


मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


मां कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी।।

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी मां भोली भाली।।

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे।।

भीमा पर्वत है डेरा। स्वीकारो प्रणाम मेरा।।

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो मां अम्बे।।

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दे मेरी आशा।

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।

तेरे दर पे किया है डेरी। दूर करो मां संकट मेरा।।

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो।।

तेरा दास तुझी को ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।

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