आज बाला साहब ठाकरे जी की पुण्यतिथि है. आज ही के दिन 17 नवंबर 2012 को उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया, जब भी महाराष्ट्र की बात होती है तब बाला साहब ठाकरे का नाम भी सम्मान से लिया जाता है हिन्दूवादी विचारो के चलते उनके समर्थक उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट की उपाधि देते है. आप उनके विचार और वाकपटुता का आभास रजत शर्मा जी के द्वारा किये गए twitterपोस्ट से लगा सकते है. जो आज उन्होंने बाला साहब ठाकरे की पुण्यतिथि के अवसर पर किया है।
In his famous interview in #AapKiAdalat , @ShivSena founder Balasaheb Thackeray once spoke about democracy and his political successor. शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन. ईश्वर उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करें. pic.twitter.com/XbKh8JojpH
आज महाराष्ट्र की राजनीति चर्चा में है, वहां पर बाला साहब ठाकरे द्वारा स्थापित शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस से गढ़बंधन कर महाराष्ट्र में सरकार बनाए जाने के लिए आतुर है किन्तु शिव सेना की पुरानी सहयोगी पार्टी बीजेपी उन्हें बाला साहब ठाकरे के विचारो की दुहाई देती है।
Watch how @ShivSena founder Balasaheb Thackeray gave witty repartees to my questions in #AapKiAdalat on Ayodhya and communal riots. Remembering him on his death anniversary. May his soul rest in peace. pic.twitter.com/ClbB3dmpm8
बाला साहब ठाकरे कई विवादों में भी घिरे रहे, उन पर कई आरोप भी लगाए गए. राम जन्म भूमि पे दिया गया उनका बयान सुर्खियों में रहा. बाल ठाकरे के पिता केशव सीताराम ठाकरे जी भी एक सामाजिक कायकर्ता और लेखक थे उन्होंने मराठी भाषी लोगो को एकजुट करने हेतु चायवाल आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी वह अंग्रेज़ी लेखक विलियम मेकपीस ठेकरे के प्रसंसक थे और उन्होंने ठेकरे को अपना सरनेम बना लिया।
बाला साहब का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन की सुरुवाद कार्टूनिस्ट के तोर पर की बाद में उन्होंने कुछ अख़बार भी प्रकाशित किये. 1966 में उन्होंने राजनितिक पार्टी शिव सेना का गठन किया।
2006 में उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिव सेना छोड़ एक नयी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।
उनके जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है, नवाजुद्दीन सिद्की अभिनीत फिल्म ठाकरे है. कहा जाता है की 1995 में मणिरत्नम द्वारा निर्देशित फिल्म बॉम्बे में शिव सेनिको को दंगा भड़काते और अंत में एक चरित्र जो की शिव सेना प्रमुख से मिलता था उसे दंगो पर अफ़सोस जताते हुए दिखाया गया है।