9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस

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(9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस
(9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस
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प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने की सुरुवात 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा की गयी थी तब से ही प्र्त्येक वर्ष 9 जनवरी को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है इस अवसर पर तीन दिनों का कार्यक्रम किया जाता है और उन प्रवासी भारतीयों को सम्मानित (प्रवासी भारतीय सम्‍मान राष्‍ट्रपति जी के हाथों प्रवासी भारतीय को दिया जाता है) किया जाता है.

 

(9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस
The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing the (9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस
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जिन्होंने अपने -अपने क्षेत्र में विशेष उपलब्धि प्राप्त करके भारतवंशियों के सम्मान को बढ़ाया है.प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने के उदेश्य से ही 9 जनवरी से 11 जनवरी (9 to 11 january)तक प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है.इससे अप्रवासी भारतीयों को भारत में देशवासियों के साथ सकारात्मकता के लिए एवं भारत के प्रति उनकी क्या राय (thought) है. तथा अपनी भावनाओ को व्यक्त करने का एक मंच उपलब्ध करने की कोशिस की जाती है

 

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प्रवासी भारतीय दिवस से जुडी एक खास बात
प्रवासी भारतीय दिवस से जुडी एक खास बात यह है की 9 जनवरी 1915 के दिन ही महात्मा गाँधी जी भी दक्षिण अफ्रीका से भारत (स्वदेश) आये थे गांधी जी को भारत का सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है
महात्मा गांधी जी के भारत (India) आने की एक छोटी कहानी –18वीं शताब्दी में गुजराती  व्‍यापारियों ने अन्य देशो (ज़ाम्‍बिया, युगांडा,ज़िम्बाब्वे, केन्‍या,दक्षिण अफ्रीका) में अपना व्यापर बढ़ाने के उदेश्य से  कदम रखे इनमे एक व्यापारी दादा अब्‍दुल्‍ला सेठ भी थे जो महात्‍मा गांधी जी को कानूनी प्रतिनिधि के रूप मेंअपने साथ ले कर(मई, १८९३ )दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में पहुँच गए क्युकी वहाँ पर रंगभेद की निति थी जो की प्रवासी भारतीय समुदाय के सम्‍मान की लड़ाई बन गया था यह लड़ाई वहा
पर सर्वविदित है 9 जनवरी, 1915 ( गाँधी जी जीवन के 22 वर्षो के संघर्षमय प्रवास से प्रेरणा लेकर इस दिवस को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है) प्रवासी भारतीय दिवस गाँधी जी स्वदेश लौटने के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है

विश्व के 48  देशों में लगभग दो करोड़ से भी अधिक प्रवासी भारतीय रहते है और इनमे से भी प्रतेक 11 देशों में 5 लाख से ज़्यादा प्रवासी भारतीय रहते है और इन देशो की राजनैतिक व् आर्थिक दिशा को तय करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं वहाँ पर उनकी शैक्षणिक,आर्थिक, व व्यावसायिकता का आधार बहुत मज़बूत रहता है इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वर्गीय लक्ष्मीमल सिंघवी के दिमाग की उपज रही की प्रवासी भारतीय दिवस मनया जाना चाहिए और उन्होंने एक कमेटी गठित की जिसने 18 अगस्त, २००० में अपनी एक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस मनाना प्रारंभ किया
लक्ष्मीमल सिंघवी ब्रिटेन में भारतीय राजदूत थे लक्ष्मीमल सिंघवी ने ब्रिटेन में भारतीयता को अंकुरित करने का प्रयास किया उन्होंने सिर्फ भारतीयों को ही नहीं अपितु विदेशियों को भी भारत से जोड़ने का प्रयास किया लक्ष्मीमल सिंघवी हिंदी-भाषियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहे और भारतीय संस्कृति के राजदूत भी थे लक्ष्मीमल सिंघवी का जन्म 9 नवम्बर 1931 (राजस्थान) में हुआ था और इनकी मृत्यु (75 उम्र)6 अक्टूबर 2007 हुयी थी

सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिये चलाए जा रहे कार्यक्रम (योजनाएँ)
2004 में प्रवासी भारतीयों की समस्याओं का समाधान करने के लिये भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय मामलों का पृथक मंत्रालय बनाया इस समय (वर्तमान में )यह मंत्रालय एक ऐसा केंद्रबिंदु बन चुका है जहाँ पर प्रवासी भारतीयों से जुड़े (समस्त मसलो ) सभी मुद्दों पर जानकारी,परामर्श,सहयोग,भागीदारी एवं सरलीकरण के लिये प्रयास किये जाते हैं.                                                                                       

यह मंत्रालय अन्य चार कार्यकारी सेवा विभागों में विभक्त (बटा) हैं  (1) प्रवासी सेवाएँ (2) वित्तीय सेवाएँ (3) प्रवास सेवाएँ (4) प्रबंधन सेवाएँ

  • इन मंत्रालयो के मुख्य कार्य
  • सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक छेत्रो में की जाने वाली नई शुरुआतों में प्रवासी भारतीयों की भागीदारी बढ़ाना
  • राज्यों में प्रवासी भारतीयों और भविष्य में प्रवासी होने वाले लोगों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का विकास करना
  • प्रवासी भारतीयों के लिये संगठन की भावना का विकास करना तथा इसे स्थापित करने के लिये कार्यो की योजना बनाना
  • संगठन में भागीदारी के लिये प्रवासी भारतीयों के संगठनों और देश में कार्यरत संगठनों की उचित भूमिका तय करना
  • विश्वभर में चलने वाले सभी विकास प्रयासों मे प्रवासी भारतीयों द्वारा सक्रिय भागीदारी के लिये योजना बनाना
  • भारत और इसके प्रवासी नागरिकों के बीच राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चलने वाले विचार-विमर्श को और अधिक बढ़ाना

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