Greta Thunberg : ग्रेटा थनबर्ग की एक गलती ने कर दिया साजिश का खुलासा

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A mistake by Greta Thunberg exposed the conspiracy,
A mistake by Greta Thunberg exposed the conspiracy,

आज का topick बहुत ही खास है क्युकी कल का पूरा दिन बहुत ही एक्शन पैक्ड था कल रिहाना से लेकर ग्रेटा थनबर्ग तक और कनाडा से लेकर मिया खलीफा तक सभी लोग ट्विटर के माध्यम से भारत को डेमोकेरेसी सीखने में लगे थे।

इन लोगो के खुद के देश पुरे वर्ल्ड में युद्ध छेड़े है और ये लोग भारत को ह्यूमन राइट्स का ज्ञान बाट रहे है। और इसी ज्ञान देने के चकर में हाव् डे यू कहने वाली ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg ने अपना होमवर्क सोशल मिडिया पाकर लिक कर दिया जिससे हिन्दुस्थान को बदनाम करने का ये इंटरनेशनल प्रोपगेंडा इन लोगो का ये पलान जो भारत को बदनाम करने का सभी को पता चल गया।

दिल्ली में किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन के बीच, कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने अपना समर्थन दिया है। इसमें पॉप सिंगर रिहाना, मिया खलीफा, ग्रेटा थनबर्ग आदि ने ट्विटर पर इसे लेकर ट्वीट किए।

लेकिन बुधवार (फरवरी 03, 2021) देर शाम ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg ने अनजाने में ही भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के इस ग्लोबल अजेंडा की भी पोल खोल डाली।

ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया।जिसमे लिखा था ‘हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं.’ लेकिन इसके बाद थनबर्ग ने अपने दूसरे ट्वीट के जरिए असली मंशा साफ कर दी।

क्युकी उन्होंने दूसरे ट्वीट में गलती से एक डॉक्यूमेंट साझा कर दिया , जिसमें भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई है. इस ट्वीट में पांच चरणों में दबाव बनाने की बात कही गई है लेकिन कुछ ही देर बाद यह ट्वीट ग्रेटा ने डिलीट भी कर दिया। हालाँकि, तब तक बहुत देर भी हो चुकी थी।

इस डॉक्यूमेंट से यह स्पष्ट हो गया है कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और यह भी स्पष्ट हो गया कि 26 जनवरी का उपद्रव इसी रणनीति का हिस्सा था।

ट्वीट में ग्रेटा Greta Thunberg ने लिखा था कि ‘हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता से खड़े हैं।’ इसके बाद उसने एक और ट्वीट किया, जिसमें गूगल डॉक्युमेंट की एक फाइल शेयर की गई थी। इस फाइल में भारत में चल रहे किसान आन्दोलन को हवा देने वाले सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल और तमाम रणनीति दर्ज थीं।

यह गूगल डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा था कि जो लोग मदद करना चाहते हैं यह ‘टूलकिट’ उनके लिए है। इस लिंक में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने क कार्ययोजना का विवरण था। ग्रेटा ने गलती से सार्वजानिक किया हुआ ये ट्वीट तो डिलीट कर दिया लेकिन तब तक लोगों के पास यह डॉक्यूमेंट पहुँच चुके थे।

इस दस्तावेज में उन सभी ट्वीट का जिक्र दिया गया है, जो भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न हस्तियों, समूहों और लोगों द्वारा किए जाने हैं। यहाँ तक कि रिहाना द्वारा जो ट्वीट किया गया, वो भी ठीक उन्हीं शब्दों में है, जैसा कि इस दस्तावेज में रिहाना के नाम से जारी किया गया था।

जब इस दस्तावेज में दी गए कुछ ट्वीट तलाशे, तो हमें ये परिणाम मिले। jo बताते हैं कि यह अभियान कम से कम नवंबर, 2020 से चल रहा है।

Greta Thunberg
ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस टूलकिट के दस्तावेजों की गोपनीयता में बदलाव कर इसे ‘प्राइवेट’ कर दिया गया है, ताकि लोग इसमें छुपी जानकारी ना जुटा सकें। यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी के लिए जो योजना तैयार की गई थी, वह पूरी दुनिया और भारत में बिल्कुल वैसी ही रही।

अब बताती हु कि आखिर उस डॉक्यूमेंट की कुछ प्रमुख बातें 

ये योजना काफी पहले यानी कि 25 जनवरी से भी पहले ही बन गई थी, देखिए क्या-क्या बातें लिखी हैं ।

ऑन ग्राउंड प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने पहुंचें. यानी कि विरोध प्रदर्शन में भाग लें: 25 जनवरी तक ईमेल द्वारा एकजुटता दिखने वाले फोटो/वीडियो संदेश शेयर करें (दिल्ली की सीमा पर किसानों के लिए एकजुटता संदेश)।

डिजिटल स्ट्राइक : #AskIndiaWhy वीडियो/फोटो संदेश – 26 जनवरी को या उससे पहले तक ट्विटर पर पोस्ट कर दिए जाएं.।कृषि बिल का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व व्यापार संगठन और विश्व बैंक के साथ टैग किया जाना है।

4 -5 फरवरी 2021 को ट्विटर स्टॉर्म : ट्विटर पर तूफान लाने की प्लानिंग, यानी किसान आंदोलन से जुड़ी चीजों, हैशटैग और तस्वीरों को ट्रेंड कराने की योजना. योजना 5 फरवरी तक या अधिकतम 6 फरवरी तक होगा.फोटो/वीडियो संदेश शेयर करें। गौरतलब है कि ठीक 6 फ़रवरी के दिन ही किसानों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम की भी घोषणा की है।

स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश करें।

इसमें लोगों को भारतीय दूतावासों, स्थानीय सरकारी कार्यालयों या विभिन्न बहुराष्ट्रीय अडानी और अंबानी कंपनियों के कार्यालयों में एकजुटता विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए भी दिशानिर्देश दिया गया है।जो मोदी राज में दुनिया के गरीबों का उत्पीड़न कर रहे हैं. और जमीनें, मेहनत पर कब्जा कर रहे हैं.

ग्रेटा थनबर्ग की एक गलती ने भातीय लोकतंत्र को बदनाम करने के इस ग्लोबल अजेंडा की पोल खोल डाली।

इस बीच, भारत ने किसानों के विरोध पर विदेशी हस्तियों के बयानों को ‘निहित स्वार्थ समूहों’ का हिस्सा करार दिया। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, गायिका लता मंगेशकर समेत बॉलीवुड से लेकर खेल जगत की तमाम हस्तियों ने भी इस अंतरराष्ट्रीय अजेंडा के खिलाफ ट्वीट किया है।


ग्रेटा का ये ट्वीट साफ बता रहा है कि आखिर 26 जनवरी से जो कुछ हो रहा है, वो क्या है. और इसमें किस तरह से वैश्विक शक्तियां जुड़ी हुई हैं.

रिहाना के ट्वीट के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इन ट्वीट्स को लेकर बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा, “भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी क़ानून पारित किया। ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाज़ार में व्यापक पहुँच देते हैं। ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”

विदेश मंत्रालय ने अपने पोस्ट में #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग का इस्तेमाल किया

भारत के खिलाफ इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा

भारत के खिलाफ चलाए जा रहे इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि भारत को निशाना बनाकर चलाए जा रहे अभियान कभी सफल नहीं होंगे। हमें खुद पर विश्वास है, हम अपने दम पर खड़े रहेंगे. भारत इस साजिश को कामयाब नहीं होने देगा.

हमारा यहां सवाल ये है कि क्या ग्रेटा थनबर्ग को ये पता है कि जिन किसानों का उन्होंने समर्थन किया, वही किसान सीमित संसाधनों की वजह से भारत में पराली जला कर प्रदूषण फैलाते हैं और पिछले दिनों किसानों ने सरकार के सामने ये मांग भी रखी थी कि पराली जलाने पर कार्रवाई के नियमों को खत्म कर देना चाहिए और सरकार ने किसानों के दबाव में आकर ये मांगें मान भी ली थीं.

अब यहां दो अहम बातें हैं – पहली तो ये कि अगर ग्रेटा थनबर्ग इन सबके के बारे में जानती हैं तो क्या पर्यावरण के लिए उनका प्रेम झूठा और दिखावटी है? और दूसरी बात ये कि अगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं है तो फिर उन्होंने बिना रिसर्च किए ही आंदोलन कर रहे किसानों को अपना समर्थन कैसा दे दिया?

ये माना जाए कि किसान आंदोलन को मिल रहा ये समर्थन सोची समझी रणनीति का हिस्सा है और पूरी तरह से प्रायोजित है? और मार्केटिंग कंपनियां अपनी कमाई और भारत की बदनामी के लिए ग्रेटा थनबर्ग और रिआना जैसी सेलिब्रिटीज का इस्तेमाल कर रही हैं.

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