April Fool Day 2021: अप्रैल फूल डे क्या है और कैसे हुई थी इस की शुरुआत

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April Fool Day 2021: अप्रैल फूल डे क्या है और कैसे हुई थी इस की शुरुआत

April Fool Day 2021: अप्रैल फूल डे क्या है और कैसे हुई थी इस की शुरुआत

वैसे तो मजाक करने के लिए कोई दिन या वक्त नहीं होता, लेकिन 1 अप्रैल का दिन खास मजाक, मस्ती और हंसी ठिठोली के लिए बनाया गया है। पश्चिमी देशों में हर साल 1 अप्रैल को ‘अप्रैल फूल’ डे (April fool day 2021) मनाया जाता है। 1 अप्रैल दिन ही कुछ ऐसा है, कि सभी एक दूसरे को मूर्ख बनाना चाहता है,

1 अप्रैल का दिन दुनिया भर में मूर्ख दिवस (April fool day 2021) के रूप में मनाया जाता है। हर कोई अपने आस-पास के लोगों को उल्लू (मूर्ख) बनाने का प्रयास करता है। लेकिन कोई भी मूर्ख बनना नहीं चाहता। तभी तो इस दिन लोग गंभीर बातों को लेकर भी कुछ ज्यादा ही सतर्क होते हैं, कि कहीं कोई हमें उल्लू न बना दे।

इसलिए इस दिन मिलने वाली किसी भी सूचना या बात को अक्सर बिना जांच पड़ताल के गंभीरता से न हीं लिया जाता। लेकिन 1 अप्रैल की सबसे अच्छी बात ये है। की इस दिन मजाक करने पर कोई भी बुरा नहीं मानता है। जिस प्रकार होली के दिन गुलाल या रंग लगाने पर कोई बुरा नहीं मानता है।

कल यानी 1 अप्रैल को आप भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से हल्का-फुल्का मजाक कर इस दिन को मना सकतें हैं। चलिए अब जानते है। आखिर क्यों होता है ऐसा, और कब से शुरु हुआ 1अप्रैल को यूं मूर्ख (April fool day 2021) बनाने का चलन इसलिए इस दिन मिलने वाली किसी भी सूचना या बात को अक्सर बिना जांच पड़ताल के गंभीरता से न हीं लिया जाता। अप्रैल फूल (April fool day 2021) आखि‍र क्यों और कब से मनाया जाता है,

अप्रैल फूल डे (कभी-कभी ऑल फूल डे) हर वर्ष 1 अप्रैल को प्रेक्टिकल जोक्स (शरारतें) और अफवाहें फैला कर मनाया जाता है। जोक्स और शरारतें जिनके साथ की जाती हैं उन्हें अप्रैल फूल या अप्रैल मूर्ख कहा जाता है। लोग अपनी शरारतों का खुलासा, अप्रैल फूल चिल्ला कर करते हैं।

कब से मनाया जाता है अप्रैल फूल 

19वीं शताब्दी से, अप्रैल फूल (April fool day 2021) प्रचलन में है। हालांकि इस दिन कोई छुट्टी नही होती। अंग्रेजी साहित्य के पिता ज्योफ्री चौसर की ‘द कैंटरबरी टेल्स’ (1392) ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध स्थापित किया गया था।

अप्रैल फूल’ का इतिहास अप्रैल फूल (April fool day 2021) का इतिहास बहुत पुराना है, इस बारे में 1392 में लिखी ब्रिटिश लेखक चॉसर की किताब ‘द कैंटरबरी टेल्स’ में पढ़ने को मिलता है। इस किताब में कैंटरबरी नाम के एक कस्बे का जिक्र किया गया है।

इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा की गई थी जिसे वहां के लोग सही मान बैठे और मूर्ख बन गए, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अप्रैल फूल (April fool day) मनाया जाता है।
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कुछ लोग मानते हैं 17वीं सदी में हुई अप्रैल फूल’ की शुरुआत

सन 1564 हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि इसकी शुरुआत 17वीं सदी में हुई थी। इसके पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है। 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों में एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमें हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था। सन 1564 में वहां के राजा चा‌र्ल्स नवम ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया।

इस नए कैलेंडर में 1 जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। पहली अप्रैल को वर्ष का पहला दिन मनाते हैं अधिकतर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था।

वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। विचित्र प्रकार के मजाक ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मजाक करने और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए और तभी से आज तक 1 अप्रैल को लोग फूल्स डे अप्रैल फूल (April fool day) के रूप में मनाते हैं

अप्रैल फूल की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया

  • अपने पहचान वालों को बिना अधिक परेशान किए, मजाक के लिए शरारतें करने का यह उत्सव हर देश में मनाया जाता है। माना जाता है कि अप्रैल फूल मनाने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके अलावा भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का फीस्ट ऑफ फूल (बेवकूफों की दावत) भी इस त्योहार की प्रेरणा माने जाते हैं।
  • चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी ‘नन की प्रीस्ट की कहानी’ मार्च के 30 और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था।

  • 1539 में फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा जिसने अपने नौकरों को एक बेवकूफी की यात्रा पर 1 अप्रैल को भेजा था। 1968 में इस दिन को जॉन औब्रे ने मूर्खों का छुट्टी का दिन कहा क्योंकि, 1 अप्रैल को बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर, लंदन के टॉवर पर एकत्रित किया गया था।

    courtesy : hindi.oneindia.
    webduniya

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