Basant Panchami 2022 date puja vidhi offer these things to goddess saraswati

आस्था
happy bhasant panchami (वसंत पंचमी)2020
happy bhasant panchami (वसंत पंचमी)2020
फोटो सौजन्य जागरण इंग्लिश

Saraswati Puja 2022 Katha:  बसंत पंचमी के त्यौहार के दिन माँ सरस्वती की पूजा (आरती) की जाती है इस साल यह पर्व देशभर में 05 फरवरी 2022 को मनाया जाने वाला है. यह हिन्दुओ का त्यौहार है इस दिन हम माँ सरस्वती (विद्या की देवी) की पूजा करते है बसंत पंचमी के दिन स्त्रियाँ व्रत रखती है और पिले वस्त्र पहनती (धारण) है बसंत पंचमी से वसंत ऋतु (Spring season)का आरंभ हो जाता है वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहते है यह ऋतु (Spring season) माघ के दूसरे पक्ष (15 गते) से आरंभ होती है ओर चैत के प्रथम पक्ष (1 गते ) तक रहती है

मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का त्यौहार (पर्व)इस साल यह पर्व देशभर में 05 फरवरी 2022 को मनाया जाने वाला है.

मान्यता है की बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा,अर्चना करने से विद्यार्थियों (studant) को विद्या की देवी का वरदान प्राप्त होता है ओर वह जीवन की प्रत्येक परीक्षा में सफलता प्राप्त करता है बसंत पंचमी के दिन पिले वस्त्र धारण करते है तथा पिले फूलो की माला माँ सरस्वती को अर्पित करते है ओर माँ सरस्वती से प्रार्थना करते है की हमें विद्या प्रदान करना

बसंत पंचमी से सुहाने मौसम की सुरुवात (आरंभ) हो जाती है क्युकी इन दिनों ना ही अधिक गर्मी होती है ओर न ही अधिक ठण्ड होती है कहा जाता है की बसंत ऋतु से गर्मी का आगमन होना सुरु हो जाता है ओर इसके साथ ही हमारे चारो ओर का वातावरण भी ओर अधिक खूबसूरत हो जाता है (प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से सजने लगती है) बसंत ऋतु फसलों व पेड़-पौधों में फल -फूल लगने का मौसम होता है बसंत पंचमी के दिन गृह प्रवेश, शादी-विवाह,तथा अन्य शुभ कार्यो के लिए अति शुभ मन जाता है

ज्योतिषशात्र में कहा गया है की बसंत पंचमी का दिन इतना शुभ होता है की किसी भी कार्य को करने के लिए आपको किसी शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती यह पूरा दिन शुभ होता है क्युकी इस दिन ( बसंत पंचमी) माँ सरस्वती की जयंती मनाई जाती है

हिंदू धर्म में हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंच पंचमी का पर्व मनाया जाता है इस तिथि को वसंत पंचमी और श्री पंचमी भी कहते हैं.और इस दिन ज्ञान और सुर की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की ही आराधना क्यों होती है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.आइए जानते हैं सरस्वती पूजा(Saraswati Puja) एवं वसंत पंचमी की कथा के बारे में.

वसंत पंचमी के अवसर पर विशेषकर स्कूलों में ज्ञान, वाणी एवं कला की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा (Saraswati Puja) की जाती है. सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana), मंत्र (Mantra) जाप एवं आरती (Aarti) से मां शारदा को प्रसन्न किया जाता है.

सरस्वती पूजा कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना और भगवान विष्णु को पालनहार की जिम्मेदारी मिली हुई है. भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को मनुष्स योनी बनाने का सुझाव दिया. ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनी भी बना दी, इस प्रकार से सृष्टि की निर्माण कार्य हो रहा था. एक दिन ब्रह्मा जी पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, उन्होंने सभी जीवों को देखा और अपनी रचना पर प्रसन्न हुए. हालांकि कुछ समय बाद उनको इस बात का एहसास हुआ कि पृथ्वी पर हर ओर शांति एवं सन्नाटा पसरा हुआ है.

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तब उनको वाणी, ज्ञान एवं क​ला की देवी का विचार आया. उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और देवी का आह्वान करते हुए पृथ्वी पर छिड़क दिया. उसके प्रभाव से उस जगह कंपन शुरू हो गया और उस स्थान से एक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ. वहां एक शक्तिरूपी माता के एक हाथ में वीणा, दूसरा हाथ तथास्तु मुद्रा में था. इतना ही नहीं, उनके अन्य दोनों हाथों में पुस्तक, वीणा, माला धारण किए हुए आशीर्वाद दे रही थीं. ब्रह्मा जी ने उनको देव सरस्वती के नाम से पुकारा. इस प्रकार से उनका नाम देवी सरस्वती हुआ. माता को देख त्रिदेवों ने देवी को प्रणाम किया. और

तब मां सरस्वती ने बजाई वीणा

ब्रह्माजी ने इसके बाद संकल्प करके नाद को सुना. तब उन्हें स्वर की कमी महसूस हुई. उन्होंने इसी दौरान अपनी मन की शक्ति एक स्त्री शक्ति को प्रकट किया. देवी के चेहरे पर एक अद्भुत तेज दिख रहा था. देवी ने बह्माजी को प्रणाम किया. इनके हाथ में एक वीणा थी. ब्रह्माजी ने उन्हें यह बजाने के लिए कहा.

सृष्टि को मिला सुरों का वरदान

देवी ने वीणा के तार पर उंगलियां फिराईं तो उससे सुर प्रकट हुए. इस वीणा की आवाज इतनी मधुर थी कि इससे पूरी सृष्टी में एक स्वर आ गया. इसके बाद ही समस्त जीवों को आवाज मिल पाई और वह भावना को शब्द देने में भी सक्षम हो पाए.

देवी ने सृष्टि को रस से पूर्ण किया यह देख ब्रह्माजी ने देवी को सरस्वती नाम दिया. इसके बाद से ही मां सरस्वती का यह दिन उनके प्राकट्य के तौर पर बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा.

मां सरस्वती के अन्य नाम (Know Maa Saraswati Names)

मां सरस्वती के ये नाम त्रिदेवों द्वारा दिए गए हैं. उन्हें मां शारदे, मां वीणापाणि, वीणावादनी, मां बागेश्वरी, मां भगवती और मां वाग्यदेवी आदि नामों से जाना जाता है. मां के साधक उद्घोष और जयकारा कर मां का आह्वान करते हैं.

इस वजह से मनाते हैं सरस्वती पूजा

अब तो आप जान गए ह्प्न्गें की मां सरस्वती का प्रकाट्य माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था, इस वजह से हर साल सरस्वती पूजा होती है. मां सरस्वती को मां शारदा, भगवती, वीणावादनी, वाग्देवी, बागीश्वर आदि नामों से पुकारते हैं. उनको पीला रंग प्रिय है, इसलिए वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले रंग की मिठाई आदि चढ़ाते हैं

कौन-कौन सी प्रमुख चीजें जिसे अर्पण कर मां का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

  • वसंत पंचमी पर्व पर पीले रंग की चीजों का विशेष महत्व होता है। इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग का फूल बहुत ही प्रिय होते हैं इसलिए वसंत पंचमी के दिन इस तरह के फूल उन्हें जरूर चढ़ाना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी हैं ऐसे में वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा के दौरान उन्हें पेन और पुस्तक जरूर अर्पित करना चाहिए। ज्योतिष में मान्यता है इससे बुध ग्रह मजबूत होता है और व्यक्ति की कुंडली में अगर बुध ग्रह से संबंधित किसी प्रकार का कोई दोष है वह जल्द ही दूर हो जाता है।
  • पूजा में मां सरस्वती को पीले रंग का चंदन और पीला भोग जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती जल्द प्रसन्न होती हैं और गुरु ग्रह भी मजबूत होता है

हम यहाँ पर आपको माँ सरस्वती के मन्त्र और आरती बता रहे है

(1) माँ सरस्वती पूजा मंत

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

(2) सरस्वती पूजा मंत्र
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

माँ सरस्वती की आरती
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।।

चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।
सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय.।।

बायें कर में वीणा, दूजे कर माला।
शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला ।।जय..।।

देव शरण में आये, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।।जय..।।

वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।।
मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।।जय..।।

धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो।
ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।।जय..।।

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।।जय..।।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।।

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