Bharat ka Switzerland | travel tourism Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand | भारत का स्विट्जरलैंड कौसानी
Bharat ka Switzerland | travel tourism Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand | भारत का स्विट्जरलैंड कौसानी
Bharat ka Switzerland : भारत का मिनी स्विट्जरलैंड (Bharat ka Switzerland) है, कौसानी, नेचर लवर्स इन जगहों को मिस न करें । भारत में ऐसी कई जगह हैं, जो खूबसूरती में किसी विदेश की जगह से कम नहीं है। ऐसी ही एक जगह है, कौसानी, जिसे मिनी स्विट्जरलैंड (Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand) कहा जाता है। गर्मियों की छुटियो में कौसानी में कुछ दिन बिताना बहुत खुशनुमा रहेगा यह बहुत कम बजट में बहुत अछि यात्रा की जा सकती है।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6075 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर बसा है खूबसूरत हिल स्टेशन कौसानी. दिलकश नजारों के चलते ही इस जगह को भारत का स्विट्जरलैंड (Bharat ka Switzerland) कहा जाता है. कहीं-कहीं इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहते हैं.
Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand : कौसानी, गरुड़ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल (Bharat ka Switzerland) कौसानी उत्तराखंड राज्य (Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand) के अल्मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिले में आता है।
हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी (Bharat ka Switzerland) पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्य दिखाई देता हैं।
कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड (Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand) कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
सीढ़ीदार पहाड़ी धान के खेतों और हरे-भरे ऊंचे-ऊंचे देवदार के घने जंगलों के बीचों बीच रुद्रधारी फॉल्स कमाल की खूबसूरती संजोए है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह आदि कैलाश है. यहीं भगवान शिव और विष्णु का वास था. यहां आने-जाने का रास्ता कठिन नहीं है
कौसानी में सूर्यास्त, त्रिशूल एवं पंचाचूली चोटियों का दृश्य, अल्मोड़ा-कर्णप्रयाग सड़क, चाय बागान एवं अनासक्ति आश्रम आदि धार्मिक और पर्यटक स्थल हैं।
यहां स्थित अनासक्ति आश्रम
यहां स्थित अनासक्ति आश्रम को गांधी आश्रम भी कहा जाता है। इस आश्रम का निर्माण महात्मा गांधी को श्रद्धांजली देने के उद्देश्य से किया गया था। कौसानी की सुंदरता (Bharat ka Switzerland) और शांति ने गांधी जी को बहुत प्रभावित किया था। यहीं पर उन्होंने अनासक्ति योग नामक लेख लिखा था।
इस आश्रम में एक अध्ययन कक्ष और पुस्तकालय, प्रार्थना कक्ष, गांधी जी के जीवन संबंधित चित्र और किताबों की एक छोटी दुकान है। यहां रहने वालों को यहां होने वाली प्रार्थना सभाओं में भाग लेना होता है। यहां पर्यटक लॉज नहीं है। इस आश्रम से बर्फ से ढके हिमालय को देखा जा सकता है।
यहां से चौखंबा, नीलकंठ, नंदा घुंटी, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदा खाट, नंदा कोट और पंचचुली शिखर दिखाई देते हैं। इस आश्रम का प्रार्थना समय सुबह 5 बजे और शाम 6 बजे तथा गर्मियों में शाम 7 बजे का सुनिश्चित किया गया है।
लक्ष्मी आश्रम सरला आश्रम के नाम से भी प्रसिद्ध है। सरलाबेन ने 1948 में इस आश्रम की स्थापना की थी। सरलाबेन का असली नाम कैथरीन हिलमेन था और बाद में वे गांधी जी की अनुयायी बन गई थी। यहां करीब 70 अनाथ और गरीब लड़कियां रहती और पढ़ती हैं।
ये लड़कियां पढ़ने के साथ-साथ सब्जी उगाना, जानवर पालना, खाना बनाना और अन्य काम भी सीखती हैं। यहां एक वर्कशॉप है जहां ये लड़कियां स्वेटर, दस्ताने, बैग और छोटी चटाइयां आदि बनाती हैं।
यहां स्थित पंत संग्रहालय हिन्दी के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत जी को समर्पित है। जिनका जन्म कौसानी (Kausani in Uttarakhand) में हुआ था। जिस घर में उन्होंने अपना बचपन गुजारा था, उसी घर को संग्रहालय में बदल दिया गया है।
यहां उनके दैनिक जीवन से संबंधित वस्तुएं, कविताओं का संग्रह, पत्र, पुरस्कार आदि को रखा गया है। संग्रहालय के खुलने का समय प्रात: 10.30 बजे से शाम 4.30 तक सुनिश्चित है तथा यह संग्रहालय सोमवार को बंद रखा जाता है।
कौसानी (Kausani in Uttarakhand) में उत्तम किस्म की गिरियाज कुमाऊनी चाय जो 208 हेक्टेयर में फैले चाय बागानों में उगाई जाती है। ये चाय बागान कौसानी के पास ही स्थित हैं। यहां बागानों में घूमकर और चाय फैक्टरी में जाकर चाय उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
कौसानी (Kausani in Uttarakhand) का जलवा देखना चाहें, तो टी एस्टेट जरूर जाएं. यहां लोग खुद को कुदरत के एकदम करीब महसूस करते हैं. चाय के बागान करीब 210 हेक्टेयर एरिया में फैले हैं. चाय पीने के शौकीनों के लिए तो कमाल की जगह है. यहां किस्म-किस्म की चाय पत्तियां उगाई जाती हैं
यहां आने वाले पर्यटक यहां से चाय खरीदना नहीं भूलते। यहां की चाय का जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और अमेरिका में निर्यात किया जाता है।
चाय के साथ ’आलू गुटका’ खूब खाया जाता है. उबले आलू को नमक-मिर्च का तड़का लगा कर बनाते हैं. चाय के साथ यही स्नैक सबसे ज्यादा खाया जाता है. कौसानी और आसपास के पहाड़ी शहरों की बाल मिठाई भी मशहूर है. दूध को घंटों काढ़-काढ़ कर बनाते हैं. चॉकलेट फ्लेवर के ऊपर सफेद मीठी चीनी के दाने लगे होते हैं.
कोट ब्रह्मरी, तेहलीहाट (कौसानी से 21 किमी दूर) भी यहां के मुख्य धार्मिक और पर्यटक स्थल हैं। तेहलीहाट का कोट ब्रह्मरी मंदिर, देवी दुर्गा के भ्रमर अवतार को समर्पित है, जो उन्होंने अरुण नामक दैत्य के वध के लिए लिया था।
पर्वत पर विराजमान देवी का मुख्ा उत्तर की ओर है। अगस्त माह में यहां भव्य मेला लगता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में भक्तों की भारी भीड़ होती है।
कौसानी में गोमती और सरयु नदी के संगम को भी देखा जाता है। इस मंदिर का परिसर आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इसका निर्माण 1602 में लक्ष्मी चंद ने कराया था। मंदिर में स्थापित मूर्तियां 7वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के मध्य की हैं।
जनवरी में मकर संक्रांति के आस पास लगने वाले उत्तरायणी मेले में बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। बागेश्वर से कुछ ही दूरी पर नीलेश्वर और भीलेश्वर की पहाडि़यों पर चंडिका मंदिर और शिव मंदिर भी हैं।
कौसानी आने वाले पर्यटक (Bharat ka Switzerland) चाय फैक्टरी के बाहर बने आनंद एंड संस स्टोर से उत्तरांचल चाय ले जाना नहीं भूलते। इसके अलावा यहां का अचार, औषधियां, चोलाई, लाल चावल, शर्बत, जैम और शहद भी मशहूर है।
यदि आप कुंमाउनी खाने का स्वाद अपने साथ ले जाना चाहते है तो मुख्य चौराहे के पास बनी दुकानों से मडुए का आटा और गौहत की दाल अपने साथ ले जा सकते हैं।
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कौसानी वुलन हाउस में हाथ से बनी गर्म टोपियां और कमीजें मिल जाएंगी। जबकि अनासक्ति आश्रम के पास बने कुमाऊं शॉल एंपोरियम में हाथ से बने खूबसूरत शॉल मिलते हैं।
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कौसानी पहुंचने के मार्ग और यातायात साधन
वायु मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर विमानक्षेत्र है।
रेल मार्ग
नजदीकी रेल जंक्शन काठगोदाम है। जहां से बस या टैक्सी द्वारा कौसानी पहुंचा जा सकता है।
दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा : राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से दिल्ली, हापुड़, गजरौली और मुरादाबाद होते हुए ,
राष्ट्रीय राजमार्ग 87 से रुद्रपुर, हल्द्वानी, काठगोदाम, रानीबाग, भवाली और खैरना होते हुए , राज्य राजमार्ग से रानीखेत और सोमेश्वर होते हुए कौसानी (Kausani is mini Switzerland in Uttarakhand) पहुंचा जाता है।