Bhaskar’s puranpoli Ghar | Bhaskar’s Puranpoli Ghar Pitching | Bhaskar’s Puran Poli Ghar Shark tank India In Hindi | Bhaskar’s Puranpoli Ghar Shark Tank India Complete Review

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Bhaskar's puranpoli Ghar | Bhaskar's Puranpoli Ghar Pitching  | Bhaskar’s Puran Poli Ghar Shark tank India In Hindi | Bhaskar's Puranpoli Ghar Shark Tank India Complete Review |Bhaskar's puranpoli Ghar सफल व्यवसाय होने के बाद क्यों इन्वेस्टर्स ने फंडिंग देने से इंकार कर दिया
Bhaskar’s puranpoli Ghar

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Bhaskar’s Puranpoli Ghar : आज की इस पोस्ट में बात करेंगे शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 (shark tank india season 2) के एपिसोड नंबर 6 में फंडिंग के लिए आये कर्नाटक के रहने वाले केआर भास्कर की, जो Bhaskar’s Puran Poli Ghar कंपनी की के फाउंडर है।

इनका बिजनेस काफी शानदार प्रदर्शन कर रहा है, इससे वे करोड़ों की सेल कर रहे और 27 आउटलेट है। कर्नाटक के रहने वाले केआर भास्कर का पुरणपोली घर’ नाम का अपना ब्रांड में एक और घेरलू खाद्य पदार्थ का बिज़नेस है।

डील क्या थी? What is the Bhaskar’s Puranpoli Ghar deal

सबसे पहले डील के बारे में बात करें तो शो के मंच पर Bhaskar’s Puran Poli Ghar आए थे। जिसके फाउंडर भास्कर की कहानी काफी प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि एक जमाने में वे किसी होटल में सफाई करने का काम किया करते थे। जिसके बाद काफी संघर्ष और मेहनत के पश्चात अपने बिजनेस की शुरुआत की। इससे वे सालाना 18 करोड़ रुपए का प्रॉफिट और दिन का 1 लाख रूपए कमा रहे है। उनके कोलकाता में खुद के स्टोर और फ्रेंचाईजी है।


अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए मुंबई आए और नए पार्टनर्स के साथ Bhaskar’s Puran Poli Ghar नाम की अपनी नई कंपनी बनाई थी। उसी की फंडिंग मांगने के लिए वे शार्क टैंक शो में आए थे, उनकी मांग 1% इक्विटी के बदले 75 लाख रूपए की थी। लेकिन शार्क्स ने इन्हे फंडिंग नही दी।

शार्क्स ने इन कारणों से नही दी थी फंडिंग

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1.जरूरत से ज्यादा न बोलना

  • जब कंपनी के फाउंडर्स फंडिंग के लिए अपनी बिजनेस पिच दे रहे थे, तो मार्केटिंग संभालने वाले फाउंडर ने बताया था कि वे इस कंपनी के अलावा अपनी 2 ओर कंपनी को संभालते है, जो कि मार्केटिंग से संबंधित है। उन्होने यह बोलकर एक तरह से गलती की क्योंकि प्रत्येक इन्वेस्टर्स उसी फाउंडर को फंडिंग देते है जिसका संपूर्ण फोकस सिर्फ एक कंपनी की तरफ रहता हो, इसके अलावा अन्य कंपनी की तरफ उनका फोकस नही होना चाहिए।
  • अगर एक कंपनी के व्यक्ति की अन्य कंपनी रहती है तो इन्वेस्टर को लगता है कि भविष्य में अगर वह कंपनी डूब जाती है तो उस कंपनी का फाउंडर उसे बंद करके दूसरी कंपनी की तरफ चले जाएगा।
  • इससे हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी हम शार्क या इन्वेस्टर से फंडिंग के लिए जाए तो उनको कभी अपने अन्य बिजनेस के बारे में नही बताना चाहिए। हालांकि अनुभव बता सकते है कि हमने किस जगह काम किया है। यही गलती Bhaskar’s Puran Poli Ghar के फाउंडर ने शार्क्स के सामने की जिसके चलते उन्हें फंडिंग नही मिली।

2. पार्टनरशिप किसके साथ करनी चाहिए?

  • इस टॉपिक के बारे में समझने से पहले आप जरा सोचिए कि Bhaskar’s Puran Poli Ghar कंपनी के फाउंडर भास्कर ने अपने अकेले के दम पर अपने इतने बड़े बिजनेस अंपायर को खड़ा किया। जिसके बाद इन्हें 2 आदमियों ने बॉम्बे में बुलाया और इस बिजनेस को पूरे इंडिया और विदेश तक फैलाने के लिए साथ में काम करने के लिए कहा

जिसके लिए उन्होंने उनकी कंपनी की 33% 33% हिस्सेदारी ले ली। तो जिसने इस कॉन्सेप्ट और बिजनेस को खड़ा किया उसका हिस्सा सिर्फ 33% है और बाद में दोनो पार्टनर्स ने सबकुछ पके पकाए हो जाने के पश्चात मात्र 45 लाख रूपए के बदले 66% की हिस्सेदारी ले ली। यह तो गलत है न।

कंपनी के फाउंडर भास्कर को ऐसा ना करते हुए उन दो पार्टनर्स को सिर्फ महाराष्ट्र में ही पार्टनर्स बनाना था, और वही का रेवेन्यू शेयर करना था। इसके अलावा अलग अलग राज्य के लिए अलग लोगो से टाईअप करना चाहिए था।

उन्होंने शार्क्स से कहा था कि उन्हें मार्केटिंग नही आती, हिंदी नही आती और मुझमें कोफिडेंस नही है, बिजनेस सेंस नहीं है उसी स्थिति में उन्होंने फाउंडर हायर किए, तो वे फाउंडर्स के बजाय एंप्लॉय को हायर कर सकते थे। अन्यथा फाउंडर ही चाहिए था तो उन्हें अपने फाउंडर्स को 40% इक्विटी ही देनी चाहिए थी और 60% अपने पास रखनी चाहिए थी।

3. इन्हे शार्क टैंक में आना ही नही चाहिए था।

बता दे कि उन्हें शार्क टैंक शो में आना ही नही चाहिए था, क्योंकि इनका बिजनेस काफी प्रॉफिटेबल था इनके पास अपने बिज़नेस के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध था। आपको बता दे कि प्रत्येक बिजनेस में सबसे शानदार और पहली इन्वेस्टमेंट कस्टमर का पैसा होता है

यदि सेलिंग अच्छी है और प्रॉफिट भी काफी बढ़िया है तो उसी पैसों से अपना बिजनेस आगे बढ़ाए। यदि वह पैसा कम पड़ता है तो दूसरे ऑप्शन के रूप में अपनी जेब में से पैसा लगाए।

उसके बाद भी फंडिंग कम पड़े तो बैंक से लोन लेकर या फिर इन्वेस्टर्स से फंडिंग के जरिए अपने बिजनेस को आगे बढ़ना चाहिए। सभी बिजनेस मैन को सलाह दी जाती है कि वे आखिरी सोर्स तक पैसा कम पढ़ने के पश्चात ही इन्वेस्टर्स के पास जाए, क्योंकि इन्वेस्टर फंडिंग के बदले हिस्सेदारी मांगता है और हिस्सेदारी अनमोल होती है उन्हे ऐसे ही नही गंवाना चाहिए।1

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