दीपावली का महत्व और पूजा विधि



Diwali 2020 कब है
कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सम्पूर्ण भारत में दीपावली (Diwali 2020) का त्यौहार बड़े हर्षों-उल्लास से मनाया जाता है यह हिन्दुओ का सबसे बड़ा त्यौहार है, आज लोग विभिन्न प्रकार से घरो और दुकानों (बाजारो) को रौशनी से सजाते है जो की रात्रि में बहुत मन मोहक लगती है और रात्रि को माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है
इसी दिन लक्ष्मी () से प्रकट हुयी थी,और इसी दिन राजा बलि को पाताल का राजा बना कर वामन (जो की विष्णु के अवतार थे ) भगवान ने उनकी ठोड़ी पर रहना स्वीकार किया तथा श्री राम चंद्र जी ने रावण का वध कर सीता जी और लक्ष्मण, हनुमान व सेना सहित अयोध्या लोटे थे,
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राजा विक्रमादित्य ने नवीन संवत की घोषणा की थी इन सभी मान्यताओं के कारण दीपावली (Diwali 2020) पर्व बड़े उत्साह से पूरे भारत में मनाया जाता है और श्री लक्ष्मी गणेश जी के साथ सभी देवी -देवताओ का पूजन करते हुए सुख-सम्पति की भगवन से प्राथना की जाती है,
Diwali 2020 Lakshmi पूजन
चूंकि दीपावली अमावस्या तिथि की रात और लक्ष्मी पूजन की शाम को होता है, इसलिए 14 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। अमावस्या अगले दिन 15 नवबर को 10 बजे तक रहेगी।
दिवाली पर इस बार बहुत ही उत्तम योग बन रहा है। 14 नवंबर शनिवार को दीपावली है। स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का पूजन किया जाएगा। दीपावली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग सुबह से लेकर रात 8:48 तक रहेगा। दिवाली सर्वार्थसिद्धियोग के साथ ग्रहों की स्थिति भी बहुत उत्तम है।
श्री महालक्ष्मी (MahaLakshmi)जी का पूजन सामग्री और विधि
पूजन सामग्री – केसर, रोली, चावल, पान, दूध,खीर, बताशे,,सिंदूर, मेवा-मिठाई, दही, गंगाजल, सुपारी, एक जल का लोटा अगरबत्ती,रुई,घी का दीपक, कलावा, और एक नारियल.रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख , घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र, पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा
पूजा विधि – अपने घर पर नवग्रहों की स्थापना करे और रुपया ,सोना चांदी, श्री लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी, व सरस्वती जी, श्री महादेव आदि देवी देवताओ को स्थान दे, और अपने घर पर दीये जलाए, यदि कोई धातु की मूर्ति हो तो उसको साक्षात् लक्ष्मी जी का स्वरूप मानकर पहले स्वच्छ जल से स्नान करा कर तत्पश्चात दूध, दही और गंगा जल से स्नान करना चाहिए तथा चरणामृत (दूध -दही, घी और गंगाजल में शहद,) बना ले घी का दीपक जला कर पूजा करे एवं पूजा के बाद सबको प्रसाद व चरणामृत दे,
श्रीलक्ष्मी जी की कहानी(MahaLakshmi story)
प्राचीन समय में एक नगर में एक साहूकार था उसकी एक लड़की थी वह नित्य पीपल देवता की पूजा करती थी उसने देखा की श्री लक्ष्मी जी इसी पीपल के पेड़ से निकला करती है एक दिन लक्ष्मी जी उस लड़की से बोली की मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ, तुम मेरी सहेली बनना स्वीकार कर लो| लड़की बोली क्षमा कीजिये मैं आपमें माता -पिता से पूछा कर बताऊगी इसके बाद वह अपने माता -पिता की आज्ञा से लक्ष्मी जी की सहेली बन जाती है
लक्ष्मी जी उस लड़की को बहुत प्रेम करती थी एक दिन महालक्ष्मी जी ने उस लड़की को अपने घर भोजन करने का निमंत्रण दिया जब लड़की माँ लक्ष्मी के घर पहुँचती तब लक्ष्मी जी ने उसे सोने चांदी के बर्तनो में भोजन परोसा और सोने की ही चौकी पर बैठाया एवं सोने का दुसाला ओढ़ने को दिया। तत्पश्चात लक्ष्मी जी ने कहा की मै कल तुम्हारे घर भोजन के लिए आउंगी लड़की ने लक्ष्मी जी की बात स्वीकार कर ली परन्तु वह लड़की घर आ कर बहुत परेशान हो गयी
जब उसके माता -पिता ने पूछा तो उसने सब बात बता दी और कहा की पिता जी लक्ष्मी जी का वैभव बहुत बड़ा है मै उन्हें कैसे संतुष्ट कर सकती हूँ, पिता ने कहा की बेटी तुम गोबर से लीप कर जो तुमसे बन सके रुखा सूखा वही माँ को श्रद्धा से खिला देना माँ स्वीकार कर लेगी पिता और बेटी की बाते चल ही रही थी की एक चील वह पर मडराती हुयी आयी और किसी महारानी का नोलखा वहां पर फेक गयी यह देख कर साहूकार की लड़की बहुत प्रसन्न हुयी
और उस हार को अच्छे से थाल में रखा और एक बहुत सुन्दर दुशाले से ढक दिया, तब तक माँ लक्ष्मी जी एवं श्रीगणेश जी भी आ गए, लड़की ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने का आग्रह किया इस पर श्रीलक्ष्मी जी ने कहा की इस पर तो राजा रानी बैठते है हम कैसे बैठे लड़की के बहुत आग्रह पर वह उस आसान पर विराजमान हुवे,और माँ लक्ष्मी जी एवं श्रीगणेश जी ने प्रेम से भोजन किया, माँ लक्ष्मी जी एवं श्रीगणेश जी के जाते ही उनका घर धन-धान्य से भर गया
हे माँ लक्ष्मी जिस प्रकार उस साहूकार के घर को धन धन्य से भर दिया उसी प्रकार हम पर भी कृपा करना और हम सभी के घरो मे धन-धान्य, सुख शांति से भर कर हम सभी को कृतार्थ करे.
लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi ji ki Aarti )
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय…
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…