Ekadashi 2023 | why not to eat rice on ekadashi | why we should not eat rice on ekadashi | ekadashi par chawal kyu nahi khate
Ekadashi 2023 | why not to eat rice on ekadashi| Aja Ekadashi kab hai 2023 me | Aja Ekadashi Vart | why we should not eat rice on ekadashi ekadashi par chawal kyu nahi khate
Ekadashi par chawal kyu nahi khate : हिंदू धर्म में वैसे तो भी सभी तिथियां खास होती हैं, लेकिन एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार से पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती है। प्रत्येक एकादशी पर व्रत रखा जाता है और पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यता अनुसार एकादशी का व्रत नियम और निष्ठा से करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को लेकर कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से ही इसका पूरा फल मिलता है। हालांकि इस दिन चावल खाना वर्जित (Ekadashi par chawal kyu nahi khate) माना जाता है।
आइए जानते हैं एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाया जाता हैएकादशी पर क्यों नहीं खाते हैं चावल ?
धार्मिक कथाओं के अनुसार जो लोग एकादशी के दिन चावल ग्रहण करते हैं उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है। हालांकि द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।
दरअसल, एक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए।
एकादशी के दिन क्यों नहीं करना चाहिए चावल का सेवन
जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है।
इस कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है। इसलिए एकादशी को भोजन के रूप में चावल ग्रहण करने से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।
ज्योतिषीय मान्यता
वहीं दूसरी तरफ एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे ज्योतिष मान्यता भी है। इसके अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है।
चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है, इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का पवित्र और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है, इसलिए एकादशी के दिन चावल और इससे बनी चीजें खाना वर्जित माना गया है।