NDTV की पूर्व पत्रकार निधि राजदान हुईं जालसाजी का शिकार, सोशल मीडिया पर मजेदार मीम्स के साथ निधि का उड़ा मजाक

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NDTV की पूर्व पत्रकार निधि राजदान हुईं जालसाजी का शिकार

एनडीटीवी (NDTV) की जानी-मानी पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने ट्वीट कर बताया है कि उनके साथ एक ऑनलाइन धोखा हुआ है। निधि राजदान ने खुद को ‘फिशिंग अटैक’ का शिकार बताते हुए कहा था

कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जो ऑफर मिला था, वह फेक था। लेकिन कुछ महीने पहले निधि ने बताया था की मैसाचुसेट्स के कैम्ब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने बतौर एसोसिएट प्रोफेसर (जर्नलिज्म) का ऑफर मिला है।

उनके साथ एक ऑनलाइन धोखा हुआ है जिसके तहत उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी की पेशकश की गई थी.

उन्होंने ट्वीट में लिखा है, “मैं एक बहुत बड़े फिशिंग हमले का शिकार हुई हूँ.”

Former NDTV journalist Nidhi Razdan becomes a victim of forgery, mocking Nidhi with funny mimes on social media

उन्होंने इसके साथ ही ट्विटर पर अपने एक बयान की प्रति शेयर की है और लिखा है कि ”अब मैं सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं शेयर करूंगी.”

एनडीटीवी (NDTV) की जानी-मानी पूर्व पत्रकार निधि राजदान इन दिनों काफी चर्चा में हैं। वजह हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) में एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी की पेशकश है । दरअसल निधि राजदान ने 21 साल से एनडीटीवी के साथ जुड़े रहने के बाद इस नौकरी की कथित पेशकश मिलते ही जून, 2020 में को बाय-बाय बोल दिया।

निधि राज़दान की ओर से जारी बयान के मुताबिक, उन्हें पहले बताया गया था कि सितंबर 2020 से उनकी नौकरी शुरू होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से अब उनकी क्लासेज जनवरी, 2021 से शुरू होंगी

लेकिन जो लेटर उनकी नियुक्ति के लिए आया था अब उसको लेकर निधि राजदान ने ही बड़ा खुलासा करते हुए उस लेटर को फेक बताया। इससे साफ हो गया निधि राजदान की नियुक्ति हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर नहीं हुई है। लेकिन इस धोके का पता निधि को एनडीटीवी का साथ छोड़ने के बाद चला ।

निधि द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी, हार्वर्ड ने बताया है कि उसके कैम्पस में न तो पत्रकारिता का कोई विभाग और न ही कोई कॉलेज है। यहाँ तक कि पत्रकारिता के एक भी प्रोफेसर नहीं हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित नीमन फाउंडेशन के जर्नलिज्म लैब के सीनियर डायरेक्टर और पूर्व डायरेक्टर जोशुआ बेंटन ने ये खुलासा किया है। उन्होंने ये भी बताया कि हार्वर्ड में जर्नलिज्म पर फोकस रख कर सिर्फ मास्टर्स ऑफ लिबरल आर्ट्स नामक डिग्री की पढ़ाई होती है, जिसे कार्यरत पत्रकारों द्वारा ही पढ़ाया जाता है।

अब इसके बाद सोशल मीडिया पर निधि राजदान को लेकर तमाम तरह के पोस्ट देखे जा रहे हैं, मीम्स शेयर हो रहे हैं, जिनमें उनकी खूब किरकिरी हो रही है।सायद ऐसा होगा निधि राजदान को पता था तभी उन्होंने पहले ही बोल दिया था कि ‘अब मैं सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं शेयर करूंगी.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर TV9 भारतवर्ष चैनल के एंकर अभिषेक उपाध्याय ने अपने ट्वीट में निधि राजदान पर निशाना साधते हुए एक और ऑफर लेटर के जरिए तंज कसा है। उन्होंने लिखा है कि, “अभी-अभी ऑफर लेटर मिला है। जॉइन करना चाहिए क्या? जैसा आप लोग कहें?” बता दें कि ये ऑफर लेटर मजाक के तौर पर उन्होंने अपने निजी प्रोफाइल पर शेयर किया है।

opindia के अनुसार लेकिन अब अशोका यूनिवर्सिटी ने उन सभी ट्वीट्स को डिलीट करने का फैसला लिया है, जिसमें उसने निधि राजदान का परिचय हार्वर्ड के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में दिया था। उसने इस मामले में क्रॉस वेरिफिकेशन करने की बात भी कही है। कौटिल्य वेबसाइट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ने भी अपनी वेबसाइट पर कई जगह निधि राजदान का परिचय इसी रूप में दिया था। अब वो भी चुपके से इसे एडिट कर बदल रहा है।

अब उसने निधि राजदान का परिचय वरिष्ठ पत्रकार एवं NDTV की पूर्व एग्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में दिया है। कई अन्य संस्थानों ने भी ट्वीट्स और पोस्टर्स डिलीट करने शुरू कर दिए हैं। लेकिन, उन सभी के स्क्रीनशॉट्स लोगों के पास पड़े हुए हैं और वो लगातार पोस्ट कर के याद दिला रहे हैं कि बिना पुष्टि किए इन संस्थानों ने लोगों को धोखा दिया। सितम्बर 2020 में ही एक व्यक्ति ने ध्यान दिलाया था कि ऐसा कोई कोर्स हार्वर्ड में है ही नहीं।

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