former pm jawahar lal nehru : आज पूर्व PM जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि

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Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय व इतिहास, की उपलब्धियां

Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय व इतिहास, की उपलब्धियां
Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय व इतिहास, की उपलब्धियां

 jawaharlal nehru : आज की यानी 27 मई 1964 का दिन भारत ही नहीं दुनिया के लिए भी एक बड़ा झटका था.इस दिन भारत ने खोया था अपना पहला प्रधानमंत्री और दुनिया ने खोई थी भारत

की प्रखर आवाज और एक जिंदादिल, बेहतरीन और शानदार शख्सियत. नेहरू (jawahar lal nehru) की जिंदगी के कई रंग हैं.

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय – Life introduction of Pandit Jawaharlal Nehru

पंडित जवाहरलाल नेहरू (jawahar lal nehru) का जन्म  14 नवम्बर 1889 के दिन इलाहाबाद में हुआ था। उनका जन्मदिन बाल दिवस चिल्ड्रेन्स डे (childrens day)  के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो और माता का नाम स्वरूपरानी था। पिता प्रसिद्ध बैरिस्टर व् समाजसेवी थे।

जवाहरलाल नेहरू (jawahar lal nehru) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. नेहरु जी सम्पन्न परिवार के इकलौते बेटे थे . इनके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहिने थी. जवाहरलाल नेहरु की पत्नी का नाम कमला नेहरु (1916) था तथा इनकी बेटी इंदिरा गाँधी थी पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु  27 मई 1964,के दिन दिल का दौरा पड़ने से नई दिल्ली  हुयी थी 

 jawaharlal nehruनेहरु जी कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे. नेहरु जी ने देश विदेश के नामी विध्यालयों एवम महाविध्यालयो से शिक्षा प्राप्त की. इन्होने हैरो से स्कूल की प्रारम्भिक शिक्षा एवम ट्रिनिटी कॉलेज लन्दन से लॉ की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए . 7 वर्ष इंग्लैण्ड में रहकर इन्होने फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की.

Jawaharlal Nehru : नेहरु जी को ‘गुलाब का फूल’ बहुत पसंद था, जिसे वो अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे. इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था ,बच्चे इन्हें ‘चाचा नेहरु’ कहकर सम्बोधित करते थे . इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिवस बाल दिवस चिल्ड्रेन्स डे (childrens day) के रूप में 14 नवम्बर को मनाया जाता है. नेहरु जी ‘डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया’ के रचियता के रूप में भी विख्यात रहे .

नेहरु (jawahar lal nehru) जी की एक बेटी थी इंदिरा गाँधी. इंदिरा गाँधी अपने पिता को अपना गुरु मानती थी, देश की राजनीती को उन्होंने नेहरु जी से ही सिखा था. बचपन से ही देश की आजादी की लड़ाई को उन्होंने करीब से देखा था. यही वजह थी कि वे भी देश के प्रति अत्याधिक प्रेम रखती थी. इंदिरा जी आजाद देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी. भारत देश को आगे बढ़ाने व मजबूती देने में इंदिरा जी का मुख्य योगदान था.

जवाहरलाल नेहरु को मिला सम्मान (Jawaharlal Nehru Awards)-
1955 में नेहरु जी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया.

जवाहरलाल नेहरु का राजनैतिक सफ़र एवं उपलब्धियां – Political Life history

Political Life history
Political Life history

1912 में नेहरूजी (Jawaharlal Nehru) ने भारत लौटकर इलाहबाद हाईकोर्ट में बेरिस्टर के रूप में कायर्रत हुए. 1916 में नेहरु जी ने कमला नामक युवती से विवाह किया. 1917 में वे होम-रुल-लीग से जुड़ गए. 1919 में नेहरु जी गाँधी के संपर्क में आये और 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय नेहरूजी को जाता है।

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में ‘आत्मकथा’ लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।1919 में गाँधी जी के विचारो ने, नेहरु जी को बहुत प्रभावित किया और राजनीतिज्ञ ज्ञान इन्हें गाँधी जी के नेतृत्व में ही प्राप्त हुआ,

यही वह समय था जब नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) ने पहली बार भारत की राजनीती में कदम रखा था, और उसे इतने करीब से देखा था. 1919 में गाँधी जी ने रोलेट-अधिनियम के खिलाफ़ मोर्चा सम्भाल रखा था. नेहरु जी, गाँधी जी के सविनय-अविज्ञा आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे.नेहरु जी के साथ उनके परिवार ने भी गाँधी जी का अनुसरण किया, मोतीलाल नेहरु ने अपनी सम्पति का त्याग कर खादी परिवेश धारण किया.

1920-1922 में गाँधी जी द्वारा किये गये ‘असहयोग-आन्दोलन’ में नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) ने सक्रीय रूप से हिस्सा लिया. इस वक्त नेहरु जी पहली बार जेल गये. 1924 में इलाहबाद नगर-निगम के अध्यक्ष के रूप में दो वर्षो तक शहर की सेवा की. 1926 में इन्होने इस्तीफा दे दिया. 1926-28 तक नेहरु जी “अखिल-भारतीय-कांग्रेस” के महा-सचिव बने. गाँधी जी को नेहरु जी में भारत देश का एक महान नेता नजर आ रहा था.


1928-1929 में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में काँग्रेस के वार्षिक-सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में दो गुट बने, पहले गुट में नेहरूजी एवम सुभाषचन्द्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दुसरे गुट में मोतीलाल नेहरु और अन्य नेताओं ने सरकार के आधीन ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग की . इस दो प्रस्ताव की लड़ाई में गाँधी जी ने बीच का रास्ता निकाला. इन्होने कहा कि ब्रिटेन को दो वर्षो का समय दिया जायेगा,

ताकि वे भारत को राज्य का दर्जा दे अन्यथा कांग्रेस एक राष्ट्रीय लड़ाई को जन्म देगी . परन्तु सरकार ने कोई उचित जवाब नहीं दिया .नेहरु जी की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में काँग्रेस का वार्षिक अधिवेशन ‘लाहौर’ में किया गया, इसमें सभी ने एक मत होकर ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग का प्रस्ताव पारित किया .

26 जनवरी 1930 में लाहौर में नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया . 1930 में गाँधी जी ने ‘सविय अवज्ञा आन्दोलन’ का जोरो से आव्हाहन किया, जो इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिया झुकना ही पड़ा .

1935 में जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया, तब काँग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. नेहरु ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया . काँग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाई और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की.

1936-1937 में नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) की काँग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया . 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोडो आन्दोलन के बीच नेहरु जी को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आये. 1947 में भारत एवम पकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई .

देश के प्रथम प्रधानमंत्री का चुनाव

1947 में भारत आजादी के वक्त काँग्रेस में प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए चुनाव किये गये, जिसमे सरदार बल्लभ भाई पटेल एवम आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए. पर गाँधी जी के आग्रह पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री मंत्री नियुक्त किया गया. इसके बाद नेहरु जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने .

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स्वतन्त्रता के बाद भारत को सही तरह से गठित कर उसका नेतृत्व कर एक मजबूत राष्ट्र की नीव के निर्माण का कार्य नेहरु जी ने शिद्दत के साथ निभाया. भारत को आर्थिक रूप से निर्भीक बनाने के लिए भी इन्होने बहुत अहम योगदान दिया. आधुनिक-भारत के स्वप्न की मजबूत नीव का निर्माण किया . इन्होने शांति एवम संगठन के लिए ‘गुट-निरपेक्ष’ आन्दोलन की रचना की.

जवाहरलाल नेहरु जी की मृत्यु कब हुई एवं कैसे हुई – Jawaharlal Nehru Death

नेहरू पकिस्तान और चीन से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध नहीं बना पाए .उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। चीन का आक्रमण जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से नेहरु जी का 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से ‘स्वर्गवास’हो गया. उनकी मौत भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षती थी.। पाकिस्तान से भी कश्मीर मसले के चलते कभी अच्छे सम्बन्ध नहीं बन पाए.

देश के महान नेताओं व् स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनकी याद में बहुत सी योजनायें, सड़क बनाई गई. जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) स्कूल, जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि की शुरुवात इन्ही के सम्मान में की गई.

Jawaharlal Nehru की पुण्यतिथि पर नेहरू के कई किस्से (कहानियां)

जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के कई अंदाज हैं और नेहरू के बारे में कई किस्से भी. नेहरू कभी आजादी की लड़ाई लड़ने वाले नायक के रूप में दिखते हैं तो कभी बच्चों पर प्यार लुटाते. कभी अपनी समझ,ज्ञान और शानदार किताबों के लिए जाने जाते हैं तो कभी अपने फैशन, शौक और त्याग के लिए.

नेहरू की उपलब्धियों, कीर्तिमानों और कारनामों के कई किस्से हैं. उनकी खुशमिजाजी के चर्चे भी खूब हैं. लेकिन नेहरू के गुस्से की भी कई कहानियां हैं..आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको सुनाते हैं ऐसे ही कुछ किस्से

इसका जिक्र मिलता है जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के सुरक्षा अधिकारी रह चुके के एफ़ रुस्तम की किताब ‘आई वाज़ नेहरूज़ शैडो’ में. जिसमें वो बताते हैं कि 1953 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली अपनी पत्नी के साथ भारत आए थे. लेकिन जब दिल्ली हवाई अड्डे पर वह उतरे तो उन्हें नेहरू के मशहूर गुस्से का नज़ारा अपनी आंखों से देखने का मौका मिला.

हुआ ये कि जैसे ही जहाज की सीढ़ियां लगाई गईं, वहां मौजूद करीब पचास कैमरा मैन जहाज के चारों तरफ खड़े हो गए. जैसे ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री उतरे, पीछे खड़ी भीड़ भी आगे आ गई और धक्का मुक्की होने लगी. यह नजारा देखकर प्रधानमंत्री नेहरू का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

उन्होंने गुस्से में चिल्लाते हुए कैमरामैन के पीछे दौड़ना शुरू कर दिया. किसी एक शख़्स ने नेहरू के लिए कार का दरवाजा खोला. नेहरू ने गुस्से में वो दरवाज़ा बंद कर दिया और फूल के एक बड़े बुके से लोगों की पिटाई करने दौड़े. उन्हें बड़ी मुश्किल से वहां से वापस ले जाया गया.

Political Life history
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जब 5 किस्तों में चुकाए थे महज 2500

दरअसल, ये किस्सा पंडित नेहरू और उनकी छोटी बहन विजयलक्ष्मी पंडित से जुड़ा है. एक बार विजयलक्ष्मी शिमला के सर्किट हाउस में ठहरीं थीं. वहां रहने का बिल आया 2500 रुपये. वे बिना बिल चुकाए ही चली गईं. तब हिमाचल प्रदेश नहीं बना था और शिमला पंजाब का ही हिस्सा था.

उस समय भीमसेन सच्चर पंजाब के मुख्यमंत्री थे. राज्यपाल की ओर से उनके पास एक पत्र आया कि यह राशि राज्य सरकार के विभिन्न ख़र्चों के तहत दिखला दी जाए किंतु सच्चर को यह बात कुछ ठीक नहीं लगी. उन्होंने झिझकते हुए नेहरू को पत्र लिखा कि वे ही बताएं कि इस पैसे का हिसाब किस मद में डाला जाए.

नेहरू ने तुरंत जवाब लिखा कि इस बिल का भुगतान वे स्वयं करेंगे. लेकिन उन्होंने कहा कि वे एकसाथ इतने पैसे नहीं दे सकते हैं इसलिए वे पांच किस्तों में ये पैसा चुकाएंगे. उन्होंने अपने निजी बैंक खाते से लगातार पांच महीनों तक पंजाब सरकार के लिए पांच सौ रुपए के चेक काटे और इस तरह पूरी राशि का भुगतान किया.

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिन को ही बाल दिवस और चिल्ड्रेन्स डे (childrens day) कहा जाता है, क्योकि नेहरु जी को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे.

अगर हम नेहरु जी के जीवन को विस्तार से पढ़े, तो हमें उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए मिलती है. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के अंदर देश प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी, महात्मा गाँधी उन्हें एक शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे.जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचियता माना जाता है.

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