Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा को क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा ? क्या है गुरु पूर्णिमा का इतिहास

आस्था
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Guru Purnima 2021: हिंदु धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का विशेष महत्व है। गुरू को भगवान से भी ऊपर का स्थान प्राप्त है। क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधकार से बाहर ला कर ज्ञान की सही राह दिखते है।

इसिलिये गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है इसलिए देशभर में प्रतेक वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
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परन्तु इस वर्ष (2021) भी पिछले वर्ष की भाति कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) का पर्व लोगों को अपने घरों में रहकर ही मनाना पड़ेगा।

संत कबीर ने गुरु के महत्व को बताते हुए कहा है
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय ।।

Guru Purnima 2021: 23 जुलाई को व्रत की पूर्णिमा प्रारंभ होगी और 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा रहेगी। पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा होती है अर्थात महाभारत के लेखक वेद व्यासजी की पूजा। इसी दिन से आषाढ़ माह समाप्त हो जाएगा।

देशभर में 24 जुलाई को आषाढ़-गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) मनाई जाएगी। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि (Guru Purnima 2021) के दिन गंगा स्नान व दान बेहद शुभ फलकारी माना जाता है। मान्यता है, कि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास

अर्थात महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। महर्षि व्यास को त्रिकालज्ञ, कृष्णद्वैपायन, बादरायणि, पाराशर्य इन सभी नामो से भी जाना जाता है ।

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महाभारत (Mahabharat) जैसा महाकाव्य उनके द्वारा ही लिखा गया था। हिंदु धर्म के सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को ही माना गया है।


महर्षि वेदव्यास के जन्म पर सदियों से गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। हिंदू धर्म में कुल पुराणों की संख्या 18 है। इन सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं।

आओ जानते हैं गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व।

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

र्णिमा तिथि 23 जुलाई 2021, शुक्रवार की सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी।

गुरु पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग

इस साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) पर विष्कुंभ योग सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक, प्रीति योग 25 जुलाई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक और इसके बाद आयुष्मान योग लगेगा।

ज्योतिष शास्त्र में प्रीति और आयुष्मान योग का एक साथ बनना शुभ माना जाता है। प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। विष्कुंभ योग को वैदिक ज्योतिष में शुभ योगों में नहीं गिना जाता है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

इसके बाद में स्वच्छ वस्‍त्र धारण करें।

मंदिर की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।

मंत्र इस प्रकार है।

”गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये”

यदि आपके गुरु आपके समुख है तो उनके चरण स्पर्स करें और आशीर्वाद ले फिर गुरु को तिलक लगाएं। उन्हें भोजन कराएं एवं प्रसन्ता पूर्वक अपने गुरु को विदा करे।

अगर आप चाहे तो जिसे भी आप गुरु मानते है उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन भोजन अवश्य कराये।

ऐसे करें पूजा

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) पर पान के पत्ते,पानी वाले नारियल, मोदक, कर्पूर, लौंग, इलायची के साथ पूजन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सौ वाजस्नीय यज्ञ के समान फल मिलता है।

गंगा स्नान से दमा, त्वचा रोग में लाभ – आचार्य राजनाथ झा ने बताया कि पूर्णिमा पर गंगा स्नान स्वास्थ्य और आयुवर्द्धक है। त्वचा रोग और दमा में काफी लाभ मिलता है।

वैदिक मंत्र जाप से खास कृपा – वैदिक मंत्र जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की खास कृपा मिलेगी।

खीर दान से मानसिक शांति – गुरु पूर्णिमा की रात खीर बनाकर दान करने से मानसिक शांति मिलती है। चंद्र ग्रह का प्रभाव भी दूर होता है।

बरगद की पूजा – याज्ञवल्य ऋषि के वरदान से वृक्षराज (बरगद) को जीवनदान मिला था। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर बरगद की भी पूजा की जाती है।

इस बार गुरू पूर्णिमा के दिन शनिदेव की पूजा का भी विशेष योग बन रहा है. ऐसे में 5 राशि के लोग जो इस समय शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से गुजर रहे हैं। उनके लिए साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति पाने का ये विशेष अवसर है। गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima 2021) के दिन ऐसे लोग शनिदेव से जुड़े कुछ उपाय करके खुद को तमाम कष्टों से बचा सकते हैं।

इन राशियों पर चल रही साढ़ेसाती और ढैय्या

ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय तीन राशियां धनु, मकर और कुंभ शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप झेल रही हैं। शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं दो राशियों मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।

शनि जब किसी राशि पर ढाई वर्ष का समय लेते हैं तो उसे शनि की ढैय्या कहा जाता है। इस दौरान व्यक्ति को दांपत्य जीवन, लव रिलेशनशिप और करियर आदि में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इन उपायों से दूर होंगे संक

  • शनिवार के दिन काले कुत्ते को सरसों का तेल लगी रोटी खिलाएं. अगर काला कुत्ता न मिला तो किसी भी कुत्ते को खिला सकते हैं।
  • जल में काले तिल डालकर महादेव का जलाभिषेक करें. मान्यता है कि शनिदेव महादेव को अपना गुरू मानते हैं. ऐसे में उनकी पूजा करने वालों को वे कष्ट नहीं देते।
  • पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. अगर आसपास कोई शनि मंदिर हो तो एक दीपक वहां भी रखें।
  • सरसों का तेल, काले तिल, लोहा, काली दाल, काले वस्त्र आदि किसी जरूरतमंद को दान करें।
  • हनुमान बाबा की आराधना करें. कहा जाता है कि हनुमान जी की आराधना करने वाले लोगों को शनिदेव नहीं सताते. आप इस दिन हनुमान जी के समक्ष दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • पीपल के पेड़ के चारों तरफ सात बार परिक्रमा करते हुए ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें. ऐसा गुरू पूर्णिमा के अलावा शनिवार के दिन भी करें।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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