Hariyali Teej 2021: जानिए हरियाली तीज कि सम्पूर्ण जानकारी

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Hartalika teej 2021
Hartalika teej 2021

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Hariyali Teej 2021: इस साल हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) पर बन रहे हैं शुभ योग, जानिए हरियाली तीज कि सम्पूर्ण जानकारी के साथ, पूजा विधि और व्रत कथा


Hartalika Teej 2021 : तीज त्यौहार हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और अत्यधिक मनाए जाने वाला त्यौहार है। सौंदर्य और प्रेम के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहा जाता हैं. हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं.

प्रत्येक वर्ष की श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) मानाने का विधान है। कहते हैं हरियाली तीज एक के बाद एक त्योहारों के आगमन का दिन है। हरियाली तीज के बाद से भारतवर्ष के लगभग सभी बड़े त्योहार आने शुरू हो जाते हैं | इसे मधुश्रवा तृतीया या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) के बाद ही नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और नवरात्र आदि बड़े त्योहार आते हैं, जिससे भारतवर्ष की छटा में चार चांद लग जाते हैं और चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आती हैं। इस बार हरियाली तीज 11 अगस्त 2021 को पड़ रही है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।

इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. इस दिन वह निर्जला व्रत रखती हैं। ये दिन महिलाओं के लिये भी विशेष महत्व रखता है।

Hartalika Teej 2021 : इस दिन महिलाएं सज-संवरकर झूला झूलती हैं और सावन के प्यारे लोकगीत गाती हैं। इस दिन हाथों में मेहंदी लगाने की भी परंपरा है। हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजा सामग्री और व्रत कथा के बारे में।

तीज का यह त्यौहार विवाहित महिलाओं,और अविवाहित लड़कियो के द्वारा अत्यधिक प्रसन्ता के साथ मनाया जाता है ।

मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए. अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) तृतीया तिथि आरंभ: 10 अगस्त शाम 6 बजकर 5 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त: 11 अगस्त शाम 4 बजकर 53 मिनट तक

हरियाली तीज पर बन रहे हैं विशेष योग

11 अगस्त की शाम 6 बजकर 28 मिनट तक शिव योग रहेगा। शिव का अर्थ होता है शुभ। यह योग बहुत ही शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। साथ ही सुबह 9 बजाकर 32 मिनट से लेकर 12 अगस्त सुबह 8 बजकर 53 मिनट तक सारे कार्य बनाने वाला रवि योग रहेगा।

रवि योग सभी कुयोगों को, अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति रखता है। इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 32 मिनट तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा | उसके बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र लग जायेगा।

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) क्यों मनाते हैं ?

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) का उत्सव भगवान शिव और देवी पार्वती से जुड़ा हुआ है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था

ऐसी मान्यता है कि 108 जन्मों की एक स्थायी अवधि के समर्पण, भक्ति और तपस्या के साथ, देवी पार्वती ने अपनी प्रार्थनाओं के साथ अंततः भगवान शिव को अपने पति के रूप में हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021)के भाग्यशाली दिन पाया।

उस समय से इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया और हिंदू मान्यताओं के अनुसार सबसे शुभ दिनों के रूप में मनाया जाने लगा। हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) की पूर्व संध्या पर, महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं ।

हरतालिका तीज पूजा विधि

हरतालिका तीज पूजा के लिए सबसे पवित्र और फलदायी समय सुबह का है।
महिलाएं प्रातः जल्दी उठ कर सबसे पहले स्नान आदि से पवित्र हो कर स्वच्छ (अगर संभव हो तो हरे रंग के) वस्त्र (कपडे) गहने, चूड़ियां, बिंदी और महंदी आदि लगाए क्योंकि वे सभी एक विवाहित महिला के प्रतीक हैं।
फिर उसके बाद घर के ही मंदिर में (कोरोना काल के बाहर ना जाए श्रद्धा भाव से घर में ही पूजा करे ) भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करे और भगवान् तथा घर के बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद ले

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2020) पर महिलाये क्या क्या करती है

  • हरतालिका तीज के पूरे दिन महिलाएं निर्जल तीज उपवास रखती हैं।
  • इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें. 
  • मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बना कर चौकी पर स्थापित करती है। .
  • मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए पूजन करें.
  • हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है. इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं
  • इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं.
  • देवताओं की पूजा बिल्व पत्तियों, फूलों, विशेष भोजन, मिठाई और धूप की छड़ों के साथ की जाती हैं। 
  • महिलाएं तीज के लोक गीत गाती हैं और हरतालिका तीज की कथा को पड़ती तथा सुनती हैं
Hartalika teej

हरियाली तीज पूजा विधि

तीज के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करती हैं। साफ सुथरे कपड़े पहने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेती हैं। इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है

और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है। माता को श्रृंगार का समाना अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें।

माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें। शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें। उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप भी कर सकती हैं।

ध्यान रहें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए। साथ में इन मंत्रों बोलना चाहिए।

जब माता पार्वती की पूजा कर रहे हो तब

ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए

ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:

तीज की पूर्व संध्या पर देवताओं के इन मंत्रों का जप करते हैं
देवी पार्वती के लिए मंत्र

ओम उमायी पार्वतीयी जगदायी जगतप्रतिष्ठयी शान्तिरूपायी शिवाय ब्रह्मा रुपनी

भगवान शिव के लिए मंत्र

ओम हैरे महेश्वरया शम्भवे शुल पाडी पिनाकद्रशे शिवाय पशुपति महादेवाय नमः|

शामा मंत्र

जगनमाता मार्तस्तव चरनसेवा ना रचिता ना वा दत्तम देवी द्रविन्मापी भुयास्तव माया। तथापी तवेम स्नेहम माई निरुपम यत्रप्रकुरुष कुपुत्रो जयत क्व चिदपी कुमाता ना भवती

शांति मंत्र

ओम दीहौ शांतिर-अंतरिकिक्सम शांतिह प्रथिवी शांतिर-अपाह शांतिर-ओसाधयाह शांतिह। वानस्पतिय शांतिर-विश्व-देवाः शाहतिर-ब्रह्मा शांतिर सर्वम शांतिह शांतिरवा शांतिह सा मा शांतिर-एधी। ओम शांतिह शांतह शांतिह

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) का विभिन प्रदेशो एवं राज्यों पौराणिक महत्व

हरतालिका तीज व्रत तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में गौरी हब्बा के रूप में अत्यधिक लोकप्रिय है। यह देवी गौरी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

सफल शादीशुदा जीवन के लिए देवी गौरी से आशीर्वाद मांगने के लिए महिलाएं आमतौर पर से हब्बा की पूर्व संध्या पर स्वर्ण गोवरी व्रत का पालन करती हैं।

उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है।

हरतालिका तीज (Hartalika teej 2021) की कहानी क्या है ?

भक्त भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष त्रितिया पर हरतालिका तीज को मनाते हैं। हरतालिका तीज की पूर्व संध्या पर, देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियां रेत से बनायीं जाती है और खुशनुमा विवाहित जीवन और सूखा शान्ति एवं समृद्धि तथा स्वस्थ दीर्घायु बच्चों के लिए पूजा की जाती है।

हरतालिका तीज से जुड़ी एक किंवदंती भी प्रसिद्ध है

हरतालिका’ शब्द दो शब्दों ‘हरत’ और ‘आलिका’ का संयोजन है। ‘हरत’ अपहरण को दर्शाता है और ‘आलिका’ का मतलब महिला मित्र है।

hariyali teej 2021 shubh muhurat
hariyali teej 2021 shubh muhurat

हरतालिका तीज से जुड़े महत्व के अनुसार, देवी पार्वती की सखियों ने उन्हें दूर एक घने जंगल में छुपा दिया क्योंकि उसके पिता भगवान विष्णु से शादी करने के लिए मजबूर कर रहे थे और वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं।

उत्तर भारतीय राज्यों में, मुख्य रूप से बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में, हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाता है। भाद्रपद और सावन के महीने में कई अन्य (हरियाली तेज, कजरी तीज, छोटी तीज, आखा तीज) तीज त्यौहार भी हैं जो बहुत हर्सौलास के साथ मनाए जाते हैं .

हरतालिका तीज (Hartalika 2021) की व्रत कथा

Hartalika Teej 2021 : पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था।

बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया। एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि

पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए।

उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं। भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी।

फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है। यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा।

माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं। यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया

जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया।

उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। शिव कहते हैं, ‘हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका।

इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया।

उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे। फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे। इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया

और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए

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