what is Cannabis | Hemp Seeds Uses |Benefits, Side Effects, and More

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Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects
Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects

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Cannabis : what is Cannabis | Hemp Seeds Uses |Benefits, Side Effects, and More | कैनबिस क्या है, कैनबिस उपयोग, लाभ साइड इफेक्ट्स, और भांग की चटनी कैसे बनाये

Hemp Seeds : भांग (वानस्पतिक नामः Cannabis indica) एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है। उत्तर भारत में इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में भांग के अपने आप पैदा हुए पौधे सभी जगह पाये जाते हैं।

भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के ऊपर की पत्तियां 1-3 खंडों से युक्त तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। निचली पत्तियों में इसके पत्रवृन्त लम्बे होते हैं। भांग को भगवान शंकर पर भी चढ़ाया जाता है।

भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है। भांग के मादा पौधों की पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है। भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं। भांग की खेती प्राचीन समय में ‘पणि’ कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी।

ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी।  कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं। 

इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनती हैं। डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम देता है। पर्वतीय क्षेत्र में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। लेकिन उनके बीज खाने के उपयोग में नहीं आते हैं

बरसात के बाद भांग (Hemp Seeds) के पौधे सर्वत्र देखे जा सकते हैं। नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है। पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला के समाप्त हो जाने का भय है। होली के अवसर पर मिठाई और ठंडाई के साथ इसका प्रयोग करने की परंपरा है।

भांग के अनेकों पर्यायवाची बने रहते हैं

अजया, विजया, त्रिलोक्य, मातुलि, मोहिनी, शिवप्रिया, उन्मत्तिनी, कामाग्नि, शिवा आदि। बांग्ला में इसे सिद्धि कहते हैं. अरबी में किन्नव, तमिल में भंगी, तेलुलू में वांगे याकू गंज केटू और लैटिन में इसको कैनाबिस सबोपा कहते

इस बात में कोई दोराय नहीं कि नशा चाहे कोई भी हो यह सेहत पर काफी बुरा प्रभाव डालते हैं. वहीं अगर भांग की बात की जाए तो इसे भोले बाबा का प्रसाद भी माना जाता है .लेकिन क्या आप जानती हैं कि भांग औषधीय गुणों से भरपूर होती है. और इसके बहुत सारे हेल्थ बेनिफिट्स हैं. जी हां भांग में कैनाबिनोइड नाम का तत्व पाया जाता है.

आइए जानते हैं भांग से होने वाले फायदों के बारे में

कई लोगों द्वारा भांग के बीज (Hemp seeds) को एक सुपर फूड माना जाता है क्योंकि उनमें अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व (Highly nutritional) पाए जाते हैं। इसके सेवन से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। ये बीज कैनबिस सतीव पौधे (Cannabis sativa plant) से आते हैं, जिसका प्सैकोएक्टिव ड्रग या औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। कैनबिस को मारिजुआना, गांजा और भांग के नामों से भी जाना जाता है।

भांग एक आयुर्वेदिक औषधि है,आयुव्रेद में भांग के करीब 150 औषधीय इस्तेमाल हैं। इनमें एंग्जाइटी, लू से बचाव, बुखार में उपचार गंभीर दर्द से निजात, स्पीच थेरैपी, पेट की बीमारियों का उपचार आदि शामिल हैं। लेकिन लोग इसका सेवन सिर्फ नशा के तौर पर करते हैं।

वहीं अगर सीमित मात्रा में कई दूसरी औषधियों के साथ मिलाकर इसका प्रयोग करें तो तमाम बीमारियों से राहत मिल सकती है। ये छोटे भूरे बीज बेहद स्वस्थ होते हैं क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन और अन्य स्वस्थ फैटी एसिड होते हैं। यहां हम आपको भांग के सभी स्वास्थ्य लाभों के बारे में बता रहे हैं।

भांग और गांजा में क्या होता है अंतर

कई लोग भांग (Hemp seeds) और गांजे को अलग-अलग समझते हैं, लेकिन ऐसा है भी और नहीं भी. दरअसल, भांग और गांजा एक ही प्रजाति कि पौधे से बनाए जाते हैं. ये प्रजाति नर और मादा के रुप में विभाजित की जाती है, इसमें नर प्रजाति से तो भांग बनती है और मादा प्रजाति से गांजा बनता है. ऐसे में कहा जाता है कि ये दोनों एक ही प्रजाति के पौधे से बनते हैं, लेकिन इसके बनाए जाने के तरीके अलग होते हैं.

इसमें गांजा और भांग के बनाने का तरीका भी काफी अलग है. गांजा इस पौधे के फूल से तैयार किया जाता है और फिर इसे सुखाकर और जलाकर धुएं के रूप में लिया जाता है.कहा जाता है कि इससे यह जल्दी असर करता है यानी जल्दी नशा करता है. वैसे कई लोग अलग तरीके से इसे खाने या पीने के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.

वैसे भांग, जिस पौधे की पत्तियां होती हैं, उन्होंने कैनेबिस की पत्तियां कहा जाता है और बीजों को पीसकर बनाया जाता है. ऐसे में सीधे शब्दों में कहें तो गांजा फूल से और भांग पत्तियों से बनता है.

चरस क्या होता है?

चरस कैनेबिस के पौधे से निकले रेजिन से तैयार होता है. यह रेजिन भी इस पौधे का हिस्सा है, रेजिन पेड़-पौधों से निकलने वाला एक चिपचिपा मेटेरियल है. इसे ही चरस, हशीश और हैश कहा जाता है.

एक ही पौधे से बनते हैं तो भांग गैर-कानूनी क्यों?

पहले गांजे का इस्तेमाल भी खुले-तौर पर किया जा सकता था, लेकिन 1985 के बाद से इस पर रोक-टोक लगाई गई. फिर राजीव गांधी की सरकार 1985 में NDPS यानी Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act लेकर आई. तब गांजे पर बैन लग गया. मगर सवाल ये है कि गांजे के साथ भेदभाव क्यों है. इस कानून में भांग के पौधे यानी कैनबिस के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था. यानी इसके फूल गैरकानूनी है और पत्तियों का इस्तेमाल कानूनी है.

Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects
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भांग का दवा के रूप में इस्तेमाल

आपको बता दें कि आमतौर पर भांग के बीजों का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है भांग एक आयुर्वेदिक औषधि है, अगर सीमित मात्रा में कई दूसरी औषधियों के साथ मिलाकर इसका प्रयोग करें तो तमाम बीमारियों से राहत मिल सकती है।

ये छोटे भूरे बीज बेहद स्वस्थ होते हैं क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन और अन्य स्वस्थ फैटी एसिड होते हैं। यहां हम आपको भांग के सभी स्वास्थ्य लाभों के बारे में बता रहे हैं। इसका प्रयोग कई दवाओं में भी किया जाता है। इसके बीजों के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया की क़रीब 2.5 फ़ीसदी आबादी यानी 14.7 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.

कई लोगों द्वारा भांग के बीज (Hemp seeds) को एक सुपर फूड माना जाता है क्योंकि उनमें अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व (Highly nutritional) पाए जाते हैं। इसके सेवन से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। ये बीज कैनबिस सतीव पौधे (Cannabis sativa plant) से आते हैं, जिसका प्सैकोएक्टिव ड्रग या औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। कैनबिस को मारिजुआना, गांजा और भांग के नामों से भी जाना जाता है।

दिल की बीमारी के खतरे को कम करता – भांग के बीज अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखते हुए आपके दिल को स्वस्थ रखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह वास्तव में एकमात्र पौधा है जिसमें संतृप्त वसा (saturated fat) एक सही अनुपात में पाया जाता है। इसी के चलते इसके बीज एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis), दिल के दौरे (heart attack) और स्ट्रोक (stroke) को रोकने में मदद करते हैं। सैचुरेटेड फैट के अलावा ये बीज अमीनो एसिड, गामा-लिनोलिक एसिड और आर्जिनिन की उपस्थिति सूजन को कम करने में मदद करते हैं जिससे दिल की सेहत सही रहती है और रक्तचाप भी नियंत्रित होता है।

सिरदर्द का इलाज – जहां भांग का अत्यधिक सेवन सिरदर्द की वजह बन सकता है वहीं, भांग सिरदर्द का इलाज भी है. भांग की पत्त‍ियों का अर्क निकालकर, इसकी कुछ बूंदे कान में डालने से सिरदर्द पूरी तरह से खत्म हो जाता है.

मानसिक रोगियों के लिए- यह सच है कि भांग का सेवन करने से मानसिक संतुलन बिगड़ता है, लेकिन इसे सही मात्रा में उपयोग करके मानसिक रोगियों का इलाज किया जा सकताा है. मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे 125 मिलीग्राम की मात्रा में आधी मात्रा हींग मिलाकर प्रयोग कराते हैं.

भूख बढ़ाने में मददगार- किसी की भूख बढ़ानी हो तो सही मात्रा में भांग का सेवन करने से भूख बढ़ सकती है. इसके लिए काली मिर्च के साथ भांग का चूर्ण चिकित्सकीय परामर्श में सुबह और शाम रोगी को चटाना चाहिए, कुछ ही दिनों में भूख बढ़ जाती है.

खराब मूड हो जाता है ठीक- कम मात्रा में भांग का सेवन आपकी इंद्रि‍यों और संवेदनाओं की तीव्रता में इजाफा करती है. जैसे यह स्पष्ट सुनाई देने और दिखाई देने में मददगार है. इसका सेवन आपके खराब मूड को सुधारने का काम भी करता है.

अर्थराइटिस की समस्या का समाधान- भांग का एक पेस्ट अर्थराइटिस या मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण होने वाली जटिलताओं को भी कम कर सकता है.

पाचन स्वास्थ्य (Digestive health) में सुधार करता है – भांग फाइबर से भरपूर होती है और यह घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर का एक बड़ा स्रोत है। इसके बीजों में मौजूद फाइबर बाउल फंक्शन को स्टिम्युलेट यानी प्रोत्साहित करता है, इस तरह से ये कब्ज को रोकता है। इसके अलावा, फाइबर से पेट भरा हुआ महसूस कराता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर कंट्रोल में रहता है। साथ ही ये ग्लूकोज के अवशोषण को भी धीमा करता है।

अनिद्रा (insomnia) से राहत – बहुत से लोग विभिन्न कारणों से नींद की बीमारी से पीड़ित होते हैं। रात में एक अच्छी नींद पाने के लिए, आपको बस मुट्ठी भर भांग के बीज लेने की जरूरत है क्योंकि वे मैग्नीशियम से भरे होते हैं जो शरीर को आराम देने के लिए जाने जाते हैं। भांग के बीजों में डेली के लिए जरूरी मैग्जीनियम की 50% मात्रा पाई जाती है।

स्किन के लिए फायदेमंद –भांग के बीज आपकी स्किन के लिए भी फायदेमंद होते हैं। इसमें मुंहासे, लालिमा, एक्जिमा, शुष्क और सुस्त त्वचा, जलन को कम करने के गुण पाए जाते हैं। ऐसा बीजों में मौजूद फैटी एसिड के कारण होता है। अगर आपको स्किन संबंधी समस्या है तो शुद्ध भांग के बीज के तेल को त्वचा पर लगाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इन बीजों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, फैटी एसिड और विटामिन के कारण त्वचा और बालों के उत्पादों में एक महत्वपूर्ण घटक है।

Weight loss में सहायक – भांग के बीज प्रोटीन और फाइबर का स्रोत होने के साथ-साथ कैलोरी में कम होते हैं और इनमें सोडियम की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसलिए वजन कम करने वाले लोगों के लिए भी मददगार है। ये भूख को कम करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही इन बीजों में मौजूद फाइबर सभी पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है, जिससे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं।

एनीमिया लोगों के लिए अच्छा –एनीमिया (how to prevent anemia) एक ऐसी स्थिति है जो शरीर में आयरन की कमी के कारण होती है और इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिनमें सुस्ती, सीने में दर्द और चक्कर आना शामिल हैं। आप भांग के बीजों का सीमित मात्रा में सेवन करके इस स्थिति को रोक सकते हैं क्योंकि इनमें आयरन की मात्रा अधिक होती है।

भांग खाने से डोपामीन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है.

डोपामीन को ‘हैपी हार्मोन’ भी कहते हैं, जो हमारे मूड को कंट्रोल करता है और ख़ुशी के स्तर को बढ़ाता है. भांग को अंग्रेज़ी में कैनाबीस, मैरिजुआना, वीड भी कहते हैं. इसमें टेट्राहाइड्रोकार्बनबिनोल पाया जाता है, जिसे आसान शब्दों में टीएचसी भी कहते हैं

भांग का तेल। hemp seed oil
भांग का तेल। hemp seed oil

भांग का तेल। hemp seed oil

भांग के बीज का तेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है. भाग तेल में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन ई, प्रोटीन, पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और कैनाबिनोइड आदि होता है. भांग के बीज का तेल स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है आइए जानें.

इस तेल में कैनबिनोइड पोषक तत्व होता है. भांग के बीज में एंटी कैंसर गुण भी होते हैं. ये कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में मदद करता है.डायबिटीज को दूर करने के लिए भांग के बीज का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें ओमेगा 3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है. ये डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है. इस तेल में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होते हैं. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से इसका सेवन कर सकते हैं.इसमें एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं. भांग के बीज के तेल
में एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं. ये मासिक धर्म वाली परेशानियों कम करने में मदद कर सकते हैं. इससे पेट दर्द और ऐंठन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

कितनी देर में चढ़ने लगता है नशा

भांग का नशा तुरंत नहीं होता. इसे असर में आने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं. लेकिन ये जब चढ़ना शुरू करता है तो चढता ही जाता है और सुरूर बढने लगता है. ये वो स्थिति है जब दिमागी तौर पर शरीर का नियंत्रण खत्म होने लगता है. मसलन इसके नशे को चढ़ने के बाद लोग या तो लगातार हंसते रहते हैं या फिर रोते रहते हैं.

किस तरह होता है तैयार

भांग एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है. उत्तर भारत में इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है. भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाई जाती है. भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं.

क्या है भांग का गांजे और चिलम से नाता

भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है. भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है. भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं. भांग की खेती प्राचीन समय में ‘पणि’ कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी. ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी। दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं.

भांग बहुत ज़्यादा लेने से क्या होता है

लंबे समय तक इसका नशा खतरनाक है। ऐसे लोग सिजोफ्रेनिया की चपेट में आ सकते हैं। ब्रिटेन में एक अध्ययन में पाया गया है कि भांग का नशा सड़क हादसों के लिए ज्यादा जिम्मेदार है। दूसर, भांग के लंबे समय तक सेवन से स्मरण शक्ित भी नष्ट हो जाती है

अगर इसे बहुत ज़्यादा मात्रा में लिया जाता है तो दिमाग़ ठीक से काम करना बंद कर सकता है. चिंता बढ़ जाती है. लोग कुछ भी बोलने लगते हैं. अजीब-अजीब सी चीज़ें दिखने लगती हैं.

हार्ट अटैक की संभावनाएं और ब्लडप्रेशर बढ़ जाती है, आंखें लाल होने लगती है. सांस लेने की परेशानियां बढ़ सकती है. महिलाओं को गर्भ धारण करने में भी पेरशानी हो सकती है.

भांग के लगातार सेवन से कई तरह की समस्याएं

  • जब भांग की पत्तियों को चिलम में डालकर इससे धूम्रपान किया जाता है तो इसके रासायनिक यौगिक तीव्रता से खून में प्रवेश करते हैं. सीधे दिमाग और शरीर के अन्य भागों में पहुंच जाते हैं. ज्यादा नशा मस्तिष्क के उन रिसेप्टर्स को प्रभावित करता है, जो खुशी, स्‍‍मृति, सोच, एकाग्रता, संवेदना और समय की धारणा को प्रभावित करते हैं.भांग के रासायनिक यौगिक आंख, कान, त्वचा और पेट को प्रभावित करते हैं.
  • भांग के लगातार सेवन से साइड इफेक्ट होता है. इसका असर दिमाग पर पडता है. भांग का सेवन करने वालों में यूफोरिया, एंजाइटी, याददाश्त का असंतुलित होना, साइकोमोटर परफार्मेंस जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
  • भांग के सेवन से मस्तिष्‍क पर खराब असर पड़ता है
  • गर्भवती महिलाओं से भ्रूण पर बुरा प्रभाव पड़ता है
  • याददाश्त पर होता है इसका असर
  • आंखों और पाचन क्रिया के लिए भी अच्‍छी नहीं

  • भांग के नियमित उपयोग से साइकोटिक एपिसोड या सीजोफ्रेनिया (मनोभाजन) होने का खतरा दोगुना हो सकता है.
    भूख में कमी, नींद आने में दिक्कत, वजन घटना, चिडचिडापन, आक्रामकता, बेचैनी और क्रोघ बढना जैसे लक्षण शुरू हो जाते हैं.
  • यदि कोई व्यक्ति 15 दिन तक लगातार भांग का सेवन करे तो वह आसानी से मानसिक विकार का शिकार हो सकता है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन से भांग का नशा दर्द को कम नहीं करता है

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन से संकेत मिलता है कि भांग का नशा दर्द को कम नहीं करता है बल्कि इसे अधिक सहनीय बना देता है.

  • ‘ब्रेन इमेजिंग’ तकनीक का इस्तेमाल करके शोधकर्ताओं ने पाया कि भांग में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो दिमाग के एक खास हिस्से की सक्रियता को कम कर देते हैं.
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि ये मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जिसका संबंध दर्द के भावनात्मक पहलू से है.
  • डॉक्टर माइकल ली का कहना है कि एमआरआई स्कैन से पता चला कि दिमाग के एक खास हिस्से की सक्रियता कम हो गई जिससे इन लोगों को दर्द का बहुत ज्यादा अहसास नहीं हुआ.
  • उनका कहना है कि इस शोध से दर्द नाशक तैयार करने में मदद मिल सकती है.
  • वे कहते हैं कि भांग किसी पारम्परिक दर्द निवारक दवा की तरह काम नहीं करता है, कुछ लोगों पर इसका अच्छा असर होता है और कुछ पर मामूली असर भी देखा गया है.

ये शोध ‘पैन’ नामक एक जर्नल में प्रकाशित हुआ

त्यौहार पर भांग की ठंडाई या पकोड़ों का लोभ लोग छोड़ नहीं पाते। वजह शिवजी के इस पेय से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। शिव के नाम पर भांग का सेवन सही है या गलत यह बहस का विषय है। लेकिन शिवजी के देशवासियों के हाथ से भांग फिसल रही है। भांग पर अमेरिका में धड़ाधड़ प्रोडक्ट पेटेंट हो रहे हैं। चूंकि आने वाला युग प्रोडक्ट पेटेंट का है

इतिहास पर नजर डालें तो भारत में भांग का इस्तेमाल ईसा से 1000 साल पूर्व से चल रहा है और आयुव्रेद में भांग से कई मानसिक बीमारियों तथा गंभीर दर्द के उपचार की विधियां है। शिवजी हो या आयुव्रेद दोनों लिहाज से भांग पर हिन्दुस्तान का अधिकार बनता है लेकिन भांग पर पहला पेटेंट (यूएस-6630507) अमेरिका में हथिया लिया गया है। वहां चरस से बनी एंटी आक्सीडेंट और न्यूरोप्रोटेक्टर दवा पर हैल्थ एंड ह्यूमन सर्विस ने पेटेंट लिया है।

Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects
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भांग की चटनी कैसे बनाये

अगर आप उत्तराखंड से हैं तो भांग का नाम सुनते ही आपको सबसे पहले आपको भांग की चटनी याद आयेगी. क्युकी जिसे पूरी दुनिया में नशे के नाम से बदनाम किया हैं उसे सिर्फ उत्तराखंड का बच्चा-बच्चा जानता है की इसके (भांग) बीजों की चटनी बनती है जो दुनिया की सबसे स्वादिष्ट चटनियों में शामिल है.

और बांग का बहुत स्वादिष्ट नमक भी बनता हैं साथ ही भांग के दानो को सर्दियों के मौसम में पीस कर सब्जी में भी डाला जाता हैं परन्तु पीसने के बाद कॉटन के कपडे या चाय की चन्नी से चन्ना बहुत आवश्यक हैं नहीं तो इन दानो के छिलके पेट में रुक जाते हैं जो पथरी का कारण बनते हैं साथ ही पेट सम्बन्धी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं इसलिए इसे छाना जाता हैं

आइये जानते हैं भाग की चटनी कैसे बनती हैं

भांग की चटनी बनाने के लिये सबसे पहले भांग के बीजों को तवे या लोहे की कड़ाही में हल्की गैस में भुना जाता है. सबसे पहले तवा या कड़ाही को गर्म करते हैं .जब तवा या कड़ाही गर्म हो जाए तब भांग के बीज डाले और भूनते समय बीजों को लगातार धीरे धीरे घूमते रहे अन्यथा वे जल जाते हैं और उनका स्वाद कड़वा हो जाता है.जब भांग का रंग हल्का भूरा हो जाये तो चूल्हे (गैस) से उतार लेना चाहिये.अब बहुत अच्छे स्वाद के लिए सिलबट्टे का उपयोग करे

अगर सिलबट्टा हैं तो हालांकि सिलबट्टे में पीसने में इसमें ज्यादा समय और मेहनत लगती है लेकिन यह चटनी मिक्सी में पीसे भांग से ज्यादा स्वादिष्ट होती है. इसके साथ ही पहाड़ी व्यंजनों के अधिकांश मसाले या चटनिया इसी प्रकार सिलबट्टे पर ही पीसे जाते हैं.

 

Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects
Hemp Seeds Uses Benefits, Side Effects

हालांकि मिक्सी आने के बाद से भांग की चटनी इसी में पीसी जाने लगी है आपको जो भी सुविधाजनक लगे सिलबट्टा या मिक्सी उस में बनाये अब भांग की चटनी में खुशबू के लिए पुदीने या धनिये के कटे हुए पत्तों का उपयोग करे आप चाहे तो लहसुन के पत्ते भी डाल सकते हैं।

इसके साथ ही इसमें कटी हुई हरी मिर्च भी पीसी जाती है. इसको पीसते समय ही इसमें नमक और मिर्च मिला दिया जाता है. हल्का दरदरा होने के बाद इसमें दो से चार चम्मच पानी डाला जाता है. और अब महीन करके पिसा जाता हैं उसके बाद त्यार भांग की चटनी को किसी कटोरी में रखर

अब चटनी को खट्टा बनाने के लिये कुछ लोग पहाड़ी नींबू (चूक) के रस का प्रयोग करते हैं लेकिन उत्तराखंड में इसके लिये काले चूक का प्रयोग करते हैं.

काला चूक दाड़िम या पहाड़ी नीबू को पका कर (उबाल कर ) बनाया जाता है. काले चूक की दो-चार बूंद ही कटोरे भर भांग की चटनी को खट्टा बनने के लिये काफ़ी हैं.अब आपकी भांग की चटनी त्यार हैं


भांग की चटनी को दाल-चावल, आलू के गुटके, मडुवे की रोटी,गहत के पराठे, मूली का सलाद , गडेरी की सब्जी और न जाने कौन-कौन से पहाड़ी व्यंजन के साथ खाया जाता है. गर्म तासीर वाली यह भांग की चटनी और भांग का नमक उत्तराखंड के सभी घरों में बनता है

Q: अफीम का नशा कितनी देर तक रहता है

Ans: अफीम का असर में आने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं. लेकिन ये जब चढ़ना शुरू करता है तो चढता ही जाता है और सुरूर बढने लगता है. ये वो स्थिति है जब दिमागी तौर पर शरीर का नियंत्रण खत्म होने लगता है. मसलन इसके नशे को चढ़ने के बाद लोग या तो लगातार हंसते रहते हैं या फिर रोते रहते हैं.

Q: भांग छोड़ने के बाद के लक्षण

Ans: आमतौर पर नशा छोड़ने पर रोगी को घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आना, तनाव, थकान, निर्णय लेने में दिक्कत होना, नींद न आना, सिरदर्द, शरीर में ऐंठन, भूख न लगना, धड़कन बढ़ना और ज्यादा पसीना आने जैसी तकलीफ होती है।

Q: भांग का नशा उतारने के लिए क्या करें?

Ans : ये घरेलू उपाय भांग का नशा उतारने के अपनाएं
भांग का नशा उतारने के लिए सबसे आसान और कारगर उपाय है कि 500 मिलीलीटर तक की मात्रा में घी का सेवन करें।
सफेद मक्खन से भी तुरंत आराम मिलता है।
दही या दही से बनी चीजें जरूर खाएं।
भांग के नशे के बाद को भी मीठी चीज या हेवी डाइट न लें।

Q: क्या भांग खाने का नशा होता है

Ans: जो लोग मानते है की भांग से नशा होता है उनसे मात्र एक सवाल की क्या खाने का नशा नहीं होता..? जो लोग सोचते हैं कि सिर्फ़ भांग और शराब में नशा होता है तो उन्हे कभी तगड़ी भूख का एहसास नहीं हुआ है।नशा हर उस वस्तु का होता है जिसे आप पाना चाहते है फिर चाहे रूपये पैसे का नशा हो या कामयाबी का या फिर भांग का नशा

Q: क्या भांग खाने से नींद आती है?

Ans: एक स्टडी में 74 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लीगल मरिजुआना से उन्हें नींद में काफी फायदा हुआ है। दर्द और नींद से बचने के लिए मरिजुआना (गांजा) बेहद फायदेमंद है

Q: भांग का नशा कितने घंटे तक रहता है?

Ans: केवल भांग ही ऐसी चीज है जिसका नशा 2 दिनों तक रहता है. महाशिवरात्रि और होली के अवसर पर कई लोग जरूरत से ज्यादा भांग पी लेते हैं. ऐसे में वे दो दिन तक मदहोशी की हालत में रहते हैं.

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