Hindi Diwas :हिंदी दिवस पर महापुरुषों के अनमोल विचार व वचन
Hindi Diwas : हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिंदी हिंदुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।देश में पहली बार 14 सितंबर 1953 को हिन्दी दिवस मनाया गया था और उसके बाद से ही हर साल 14 सितंबर को इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है। हिंदी दिवस के उपलक्ष पर महापुरुषों के विचार
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- कैसे निज सोए भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा। – अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
- ‘मैं उन लोगों में से हूं, जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।’ – बाल गंगाधर तिलक
- मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती। – मैथिलीशरण गुप्त
- संस्कृत मां, हिन्दी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है। – डॉ. फादर कामिल बुल्के
- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
- समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है। – (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर
- है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी। – मैथिलीशरण गुप्त
- राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। – महात्मा गांधी
- हिन्दी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है। – बाबूराम सक्सेना
- संस्कृत की विरासत हिन्दी को तो जन्म से ही मिली है। – राहुल सांकृत्यायन
- हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है। – माखनलाल चतुर्वेदी
- हिन्दी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है। – महात्मा गांधी
- राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है। – महात्मा गांधी
- हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्तव्य है। – डॉ. राजेंद्रप्रसाद
- राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। – अवनींद्रकुमार विद्यालंकार
- हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। – वी. कृष्णस्वामी अय्यर
- हिन्दी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता। – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिन्दी ही जोड़ सकती है। – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
- हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहां कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। – सैयद अमीर अली मीर
- सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिन्दी महानतम स्थान रखती है। – अमरनाथ झा
- जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिन्दी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है। – पुरुषोत्तमदास टंडन
- हिन्दी में हम लिखें, पढ़ें, हिन्दी ही बोलें। – पं. जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी
- देश में मातृ भाषा के बदलने का परिणाम यह होता है कि नागरिक का आत्मगौरव नष्ट हो जाता है। – सैयद अमीर अली मीर
- नागरी वर्णमाला के समान सर्वांगपूर्ण और वैज्ञानिक कोई दूसरी वर्णमाला नहीं है। – बाबू राव विष्णु पराड़कर
- स्वभाषा प्रेम, स्वदेश प्रेम और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए। – रामजी लाल शर्मा
- हिन्दी अपनी फूलों सी सुंदर भाषा है, महके हर क्यारी में बस यही अभिलाषा है।
- लिखना बहुत आसान है हिन्दी, भारत की पहचान है हिन्दी।
- हिन्दी को नहीं, सोच को बदलें, हिन्दी अपनाकर देश को बदलें।
- हिन्दी में सोचते हैं तो हिन्दी में लिखते क्यों नहीं, आइए हिन्दी अपनाएं।
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- हिन्दी है हमारी राष्ट्रभाषा …
हिन्दी है हमें बड़ी प्यारी…
हिन्दी की सुरीली वाणी…
हमें लगे हर पल प्यारी…
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।
- हिन्दी हमारी मातृभाषा है…
इसे हर दिन बोलें…
और हिन्दी दिवस के इस दिन पर…
सबको इसे बोलने के लिए उत्साहित करें।
- हिन्दी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है,
यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है।
हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई।
- हिन्दी सिर्फ हमारी भाषा नहीं, हमारी पहचान भी है।
तो आइए हिन्दी बोलें, हिन्दी सीखें और हिन्दी सिखाएं।
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।