Hindu New Year 2021 : नव संवत्सर कब से शुरू हो रहा है, क्या है इसका इतिहास एवं महत्व

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Hindu New Year 2021 : नव संवत्सर कब से शुरू हो रहा है, क्या है इसका इतिहास एवं महत्व
Hindu New Year 2021 : नव संवत्सर कब से शुरू हो रहा है, क्या है इसका इतिहास एवं महत्व

Hindu New Year 2021 : नव संवत्सर कब से शुरू हो रहा है, क्या है इसका इतिहास एवं महत्व

13 अप्रैल 2021 से नव संवत्सर यानी की नववर्ष प्रारंभ होगा। पौराणिक और लोक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सृष्टि की रचना शुरू की थी। इस कारण इस दिन को नव संवत्सर के रूप में मनाया जाता है।

ब्रह्मपुराण के अनुसार पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि का निर्माण प्रारम्भ किया था, इसलिए यह सृष्टि का प्रथम दिन है। इसकी काल गणना बड़ी प्रचीन है। सृष्टि के प्रारम्भ से अब तक 1 अरब, 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार, 115 वर्ष बीत चुके हैं। यह गणना ज्योतिष विज्ञान के द्वारा निर्मित है। आधुनिक वैज्ञानिक भी सृष्टि की उत्पत्ति का समय एक अरब वर्ष से अधिक बता रहे हैं। बहुत से लोग तो इस पर्व के महत्व से भी अनभिज्ञ हैं।

2021 में संवत 2078 का आरंभ 13 अप्रैल 2021 को होगा। इसी दिन से भारतीय नववर्ष प्रारंभ हो जाएगा। हम विक्रमी संवत 2077 को विदा कह नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं।

मंगलवार से महीने की शुरुआत हो रही है, विक्रम संवत नव वर्ष के आरंभ के समय मंगलवार के दिन अश्विनी नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन से ग्रहों के राजा सूर्य का प्रवेश भी मेष राशि में हो जाएगा। जो की शुभ है। इसी दिन से तेलुगु नववर्ष का आरंभ भी होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का अवतरण इसी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

साथ ही प्रतिपदा से नववर्ष प्रारंभ होने के कारण 13 अप्रैल 2021 ने चैत्र नवरात्रि जिसे बड़ी नवरात्रि या नवदुर्गा भी कहा जाता है प्रारंभ होगी और इसी दिन गुड़ी पड़वा भी है। तभी से विक्रम संवत 2078 भी प्रारंभ हो जाएगा। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। 

हालांकि भारत में भी अधिकांश लोग अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष एक जनवरी को ही मनाते हैं। किन्तु हमारे देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस हिदू समाज के लिए अत्यंत विशिष्ट है। इस तिथि से नया पंचांग प्रारंभ होता है और वर्ष भर के पर्व, उत्सव एवं अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।

नव वर्ष के आरंभ को क्यों कहते हैं विक्रम संवत

राजा विक्रमादित्य ने अपना राज्य इसी तिथि से स्थापित किया था। उनके विजय प्राप्त करने के कारण राजा विक्रमादित्य के नाम पर विक्रम संवत्सर का प्रारंभ हुआ।

क्या होता है नवसंवत्सर पर

Hindu New Year 2021 : नव संवत्सर के बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे। नया वर्ष लगने पर नया संवत्सर भी प्रारंभ होता है। जैसे बारह माह होते हैं उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष। सूर्यसिद्धान्त अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। 60 संवत्सरों में 20-20-20 के तीन हिस्से हैं जिनको ब्रह्माविंशति (1-20), विष्णुविंशति (21-40) और शिवविंशति (41-60) कहते हैं।

60 संवत्सर : संवत्सर को वर्ष कहते हैं: प्रत्येक वर्ष का अलग नाम होता है। कुल 60 वर्ष होते हैं तो एक चक्र पूरा हो जाता है। वर्तमान में प्रमादी नामक संवत्सर प्रारंभ हुआ है।

इनके नाम इस प्रकार हैं:- प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृषप्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्ल्वंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय।

अब अंग्रेजी वर्ष 2021 के मान से 13 अप्रैल को विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। जैसा कि नाम से ही विदित है कि इस संवत्सर में जनता में आनन्द की व्याप्ति होगी।

इसके मतलब यह कि अप्रैल से महामारी का प्रकोप भी समाप्त होगा और फिर से आनंद करने के बेखौफ घूमने-फिरने के दिन लौट आएंगे। इस संवत्सर का स्वामी भग देवता और इस संवत्सर के आने पर विश्व में जनता में सर्वत्र सुख व आनन्द रहता है।

परंतु मंगलवार से प्रारंभ हो रही प्रतिपदा के कारण इस संवत का राजा क्रूर ग्रह मंगल होगा। मंगल दंगल भी कराता है और मंगल भी करता है। इस संवत की ग्रह परिषद में छः पद क्रूर ग्रहों के पास है और 4 पद सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। महाक्रूर शनि के कोई पद नहीं है परंतु पूरे वर्ष वह मकर राशि में रहेंगे।

Hindu New Year 2021 : नया विक्रम संवत कर 06:02 बजे वृषभ लग्न में प्रवेश करेगा और चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, 2021 का शुभारंभ रेवती नक्षत्र में मंगलवार को रेवती नक्षत्र में शुरू होगी। इस बार, अमावस्या और नव संवत्सर के दिन, सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर हैं

अर्थात् मीन राशि में नया चंद्रमा उदय होगा। वृषभ राशि में मंगल और राहु दोनों ही विद्यामान हैं। राजा, मन्त्री और वर्षा का अधिकार मंगल ग्रह के पास है। विक्रम संवत 2078 में मंगल ग्रह राजा व मंत्री का पद मिला है तथा वित्त का गुरु ग्रह को मिला है।

मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है। यह हिंसा, दुर्घटना, भूकंप, विनाश, शक्ति, सशस्त्र बलों, सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग, अग्निशमन, शल्य चिकित्सा, कसाई, छिपकर हत्या करने वाला, दुर्घटना, अपहरण, बलात्कार, उपद्रव, सामाजिक और राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं। विक्रम संवत 2078 के राजा मंगल होने से इस साल आंधी-तूफान का भी जोर रहेगा। मतलब लोग महामारी से मुक्त होंगे परंतु उपद्रव और प्राकृतिक घटनाओं से परेशान रहेंगे।

क्या करें नववर्ष के दिन

Hindu New Year 2021 : नववर्ष के आरंभ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण तैयार किया जाना चाहिए। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है। जो हमारी सतत निरंतर सनातन, उन्नत एवं उज्ज्वल हिन्दू धर्म और सभ्यता का प्रतीक भी है।

चैत्र नवरात्रि और नव संवत्सर की सभी को शुभकामनाएं.
आप सभी पाठको को हिन्दू नव वर्ष की मंगलकामनाएं

न्यूज़ सोर्स : बेबदुनिया और जागरण

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