Holika Dahan 2021: जानिए होलिका दहन के मुहूर्त के बारे में खास बातें

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holika dahan 2021 :होलिका पूजन
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Holika Dahan 2021: जानिए होलिका दहन के मुहूर्त के बारे में खास बातें और पूजन विधि

होली के दिन होलिका दहन अथवा होलिका दीप से पहले अग्निदेव की पूजा का विधान है। भगवान अग्नि पंचतत्वों में प्रमुख है जो सभी जीवात्माओं के शरीर में अग्नितत्व के रूप में विद्यमान रहते हुए देह की क्रिया शीलता की प्राणांतपर्यंत रक्षा करते हैं। ये सभी जीवों के लिए एक समान न्याय करते हैं।

इसीलिए सभी सनातन धर्मावलम्बी वैष्णव भक्त प्रह्राद पर आये संकट टालने एवं अग्निदेव द्वारा ताप के बदले उन्हें शीतलता प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। होली (होलिका दहन) भक्त पर आये संकट के निवारण का दिन है,

होलिका दहन मुहूर्त

हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन के लिए विधि-विधान के संबंध में एक सी बातें कही गई हैं। जैसे अग्नि प्रज्ज्वलन के समय भद्रा बीत चुकी हों, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि हो, तो यह अवधि सर्वोत्तम मानी गई है। यदि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए। 

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यदि भद्रा मध्यरात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदापि नहीं करना चाहिए। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिए। 

होलिका दहन का मुहूर्त

होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – शाम 06 बजकर 37 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक
अवधि- 02 घंटे 20 मिनट

चार शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त- 28 मार्च दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
अमृत काल- 28 मार्च को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 31 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 6 बजकर 26 से शाम 5 बजकर 36 तक 
अमृतसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 5 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक

होलिका दहन का मुहूर्त किसी भी अन्य त्योहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है, क्योंकि भद्रा सूर्यदेव की उद्दण्ड पुत्री हैं और उनकी उपस्थिति अथवा मुहूर्त में किया गया कार्य सकुशल संपन्न होने में संदेह रहता है। ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप इन्हें अपनी उपस्थिति में कार्य बाधा डालने से कोई नही रोक सकता। 

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होलिका दहन पूजा विधि – Holika Dahan’s worship method

रंगवाली होली, जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है, होलिका दहन के पश्चात ही मनायी जाती है और इसी दिन को होली खेलने के लिए मुख्य दिन माना जाता है।

कैसे किया जाता है होलिका दहन – How is Holika Dahan done?

होलिका दहन (Holika Dahan 2021) वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सूखा पेड़ रख दिया जाता है. होलिका पूजन के दिन निर्धारित किये गये स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उस पर लकड़ियां, घास, पुआल और सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी घास आदि डालें।

इसके बाद होलिका दहन (Holika Dahan 2021) के शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बतासे, गुलाल व नारियल के साथ-साथ नई फसल के धान्य

जैसे पके चने की बालियां और गेहूं की बालियां, गोबर से बनी ढाल और अन्य खिलौने, कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटकर लोटे का शुद्ध जल व अन्य सामग्री को समर्पित कर होलिका पूजन करते हुए

यह मंत्र बोलें

अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः । अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ।।


मंत्र बोलने के बाद अर्घ्य दें और अग्नि प्रज्जवलित करे ! इस प्रकार होलिका पूजन से घर में दुःख-दारिद्रय का प्रवेश नहीं  होता। होलिका दहन (Holika Dahan 2021) को कई जगह छोटी होली (choti holi) भी कहते हैं. इसके अगले दिन एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली  (holi 2021) का त्योहार मनाया जाता है.

holika dahan 2021 : Holi mythology
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image courtesy : naidunia

होली से जुड़ी पौराणिक कथा – Holi mythology

होली से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास-पुराण में पाई जाती हैं। इसमें हिरण्यकश्यप और महान (हरी भक्त) प्रह्लाद की कथा सबसे प्रसिद्ध और खास है। प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर राजा था।अपने बल के अभिमान में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेने के लिए भगवान विष्णु को मर्म चाहता था, जिसके लिए उसने अनेको वर्षो तक भगवान ब्रमा की कठोर साधना की और मनचाहा वरदान मांगा उसने वरदान मांगा की ना में दिन में मरु और ना रात में,ना आकाश में मरू ना पाताल में ना देव मुझे मार सके और ना दानव आखिरकार भगवान ब्रमा ने उसे वरदान दे दिया ।

वरदान मिलने के पश्चात हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों अपनी पूजा भगवान की तरह करवाने लगा। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया,

इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।।ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया।

उसने अपनी बहन होलिका (holika) से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी और प्रहलाद बागवान विष्णु की कृपा से बच गया पर होलिका जल गई ।

इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होलिका दहन (Holika Dahan 2021) की परंपरा भी है। होलिका दहन (Holika Dahan 2021) से अगले दिन रंगों से खेल खेला जाता है इसलिये इसे रंगवाली होली और दुलहंडी (Rangwali Holi and Dulhandi) भी कहा जाता है ।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. sangeetaspen.com इनकी पुष्टि नहीं करता है । इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें ।)

news courtesy : amarujala

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