Hydroponics farming in india



हाइड्रोपोनिक्स खेती की पूरी जानकारी
सामान्य भाषा में कहे तो फसल उत्पादन के लिये सिर्फ तीन चीजों की आवश्यकता होती है। वह है पानी, पोषक तत्व और सूर्य के प्रकाश ।
यदि हम बिना मिट्टी के ही पेड़-पौधों को किसी और तरीके से पोषक तत्व उपलब्ध करा दें तो वह पानी, CO2 और सूरज के प्रकाश की उपस्थिति में उगा सकते हैं। आप उन जगहों पर फसलें उगा सकते हैं, जहां जमीन सीमित है, मौजूद नहीं है, या भारी दूषित है।
इस तकनीक से बिना मिट्टी के केवल पानी या बालू एवं कंकड़ों के बीच जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती हैं। जिसको हाइड्रोपोनिक कहते हैं।
इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘हाइड्रो’ (Hydro) तथा ‘पोनोस (Ponos) से मिलकर हुई है। हाइड्रो का अर्थ है पानी, और पोनोस का अर्थ है, कार्य
हाइड्रोपोनिक्स खेती किसे कहते है ?



हाइड्रोपोनिक्स में पौधों एवं फसलों को उगाने एवं नियंत्रित करने के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है जिसे लगभग 80 से 85 प्रतिशत नमी में उगाया जाता है।
सामान्यतया पेड़-पौधे अपने आवश्यक पोषक तत्व जमीन से लेते हैं, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिये पौधों में एक विशेष प्रकार का घोल डाला जाता है।
इस घोल में पौधों के लिये आवश्यक खनिज एवं पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। पानी, कंकड़ों या बालू आदि में उगाए जाने वाले पौधों में इस घोल की महीने में दो-एक बार केवल कुछ बूँदें ही डाली जाती हैं।
इस घोल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक और आयरन आदि तत्वों को एक खास अनुपात में मिलाया जाता है, ताकि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें
पौधों को पनपने के लिए पानी, खनिज पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। छह हाइड्रोपोनिक प्रणालियां हैं, विभिन्न तरीकों के आधार पर जिनके द्वारा ये आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
1 Ebb and Flow System
इसे स्थिरता देने के लिए पेरालाइट जैसे माध्यम की आवश्यकता होती है। पानी और खनिज समाधान समय-समय पर ट्रे युक्त पौधों में डाले जाते हैं। पौधे समाधान को अवशोषित करते हैं और शेष समाधान वापस जलाशय में चला जाता है। यह विधि सरल है और घर के बगीचों में उपयोग की जाती है। इस विधि से जड़ी-बूटियाँ उगाई जाती हैं।
2 Nutrient Film Technique (NFT):
किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है। पौधों को ढलान वाले लकड़ी के चैनलों में रखा जाता है। खनिज समाधान को चैनल के उच्च अंत में पंप किया जाता है और पानी को ढलान में इकट्ठा किया जाता है और पुन: उपयोग किया जाता है। बड़ी जड़ों वाले पौधे इस विधि से उगाए जाते हैं।
3 Drip Systems
यह ईबब और प्रवाह के समान है लेकिन यहां पानी छोटी नलियों से होकर पौधों के ऊपर से निकलता है। कम विकसित जड़ प्रणाली वाले छोटे पौधे इस विधि का उपयोग करके उगाए जाते हैं।
4 Wick Systems
यह एक मध्यम आधारित प्रणाली है जहां पेर्लाइट या रॉकवूल का उपयोग किया जाता है। नायलॉन की रस्सी को प्रत्येक जड़ के आधार पर रखा जाता है जो जलाशय तक फैली होती है। यह खनिज और पानी को ग्रहण करता है और माध्यम में छोड़ता है जो इसे पौधों के लिए उपलब्ध कराता है। यह एक किफायती तरीका है क्योंकि किसी भी पंप की आवश्यकता नहीं है।
5 Aeroponics
यह एनएफटी के समान एक जल आधारित प्रणाली है और इसके लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। खनिज समाधान को धुंध के रूप में पौधों पर छिड़का जाता है। यह स्थापित करना मुश्किल है लेकिन बड़े वाणिज्यिक सेटिंग में फायदेमंद है।
6 Deep Water Culture (DWC)
एक कंटेनर में, पौधे की जड़ को ऑक्सीजन युक्त पानी में खनिज से निलंबित कर दिया जाता है। एक एयर पंप का उपयोग किया जाता है। यह एक आसान तरीका है और इसमें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
कौन सी फसलों को एक हाइड्रोपोनिक प्रणाली में उगाया जा सकता है?
हाइड्रोपोनिक प्रणाली में सभी उच्च मूल्य फसले टमाटर, खीरे, मिर्च आदि ।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती करने में क्या क्या चुनौती/ आवश्यक वस्तुए एवं कितना खर्चा आता है ?
हाइड्रोपोनिक्स खेती की सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती आवश्यक खर्चा है। क्युकी शुरुआत में खर्च अधिक होता है। लेकिन एक या दो फसल के बाद .हाइड्रोपोनिक्स खेती काफी फायदेमंद हो जाती है।
एक हाइड्रोपोनिक उत्पादन इकाई को शुरू करने के लिए क्या -क्या चाहिए ?
गार्डन इकाइयां, स्वच्छ पानी का स्रोत, सही स्थान, विशेष रूप से तैयार उर्वरक, प्रणाली के लिए दैनिक ध्यान देने का समय, पौधों या बागवानी का थोड़ा ज्ञान, एक वाणिज्यिक या घरेलू इकाई, व्यावसायिक सुविधा, पानी सबसे महत्वपूर्ण है,
बाजार पता होना चाहिए कि, पीक सीजन के दौरान, प्रबंधन कौशल-उत्पादन, श्रम, विपणन, बुनियादी संरचना, फसल उत्पादन, निषेचन और सिंचाई, आवश्यक राशि, कीटनाशक और रोग प्रबंधन में विशेषज्ञता, स्थान, इन्फ्रास्ट्रक्चर, श्रम, मार्केट आदि, काम के प्रति निष्ठा, फसल एक सप्ताह में 7 दिनों के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।
हाइड्रोपोनिक्स खेती में क्या क्या चुनोतिया / कठिनाइयाँ और कितनी खर्च (राशि) लगती है।
- हाइड्रोपोनिक्स खेती में (पोधो की सिचाई) के लिए पानी पंपों की सहायता से इस्तेमाल किया जाता है, उसके लिये लगातार विद्युत आपूर्ति (लाइट की आवश्यकता) की आवश्यकता होती है। इसलिये दूसरी बड़ी चुनौती एवं खर्चा हर वक्त विद्युत आपूर्ति (लाइट) बनाए रखना।
- लोगों का मानना है कि हाइड्रोपोनिक्स खेती केवल वैज्ञानिक या बहुत पढा लिखा व्यक्ति ही कर सकता है। ये एक बहुत बड़ी टेक्नोलॉजी है। जिसके कारण लोग ना हाइड्रोपोनिक्स खेती खुद करते है और ना किसी अन्य को करने देते है लोगो को समझना बहुत बड़ी चुनौती है।
- हाइड्रोपोनिक्स खेती में पोधो के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति हम तकनीक के माध्यम से करते हैं, और जमीन से पौधे अपने आप पोषक तत्वों की आपूर्ति कर लेते हैं।
हाइड्रोपोनिक्स के प्रमुख लाभ
- हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से बहुत कम बजट में पौधे और फसलें उगाई जा सकती हैं। एक अनुमान के अनुसार 5 से 8 इंच ऊँचाई वाले पौधे के लिये प्रति वर्ष एक रुपए से भी कम खर्च आता है।
- हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से उगाई गइ सब्ज़ियाँ और पौधे अधिक पौष्टिक होते हैं।
- हाइड्रोपोनिक्स खेती से उतपन हरे चारे में अधिक ऊर्जा, विटामिन और अधिक दूध का उत्पादन होता है
- मृदा की तैयारी और निराई- गुड़ाई कम या समाप्त हो जाती है।
रासयनिक खादों का प्रयोग नहीं करने से हमें पोसक तत्व अचे मिलेंगे साथ मिट्टी का प्रदूषण स्तर भी बहुत कम होगा - हाइड्रोपोनिक्स खेती का उपयोग हम घरों एवं फ्लैटों के साथ ही बाहर खेतों में भी कर सकते है । हाइड्रोपोनिक्स विधि से उगाई गई फसलें और पौधे आधे समय में ही तैयार हो जाते हैं।
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