Lala Lajpat Rai :लाला लाजपत राय के बचपन की रोचक कहानी

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Lala Lajpat Rai :लाला लाजपत राय के बचपन की रोचक कहानी

आजादी की लड़ाई का इतिहास क्रांतिकारियों के साहसिक कारनामों से भरा पड़ा है और ऐसे ही एक वीर सेनानी थे लाला लाजपत राय, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) की आज पुण्यतिथि (Death Anniversary) है.

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ आवाज उठाई थी. आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले लाला लाजपत राय को ‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) भी कहा जाता है. इतना ही नहीं उनकी याद में आज यानी 17 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

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लाला लाजपत राय के बचपन की रोचक कहानी

एक बार स्कूल की ओर से पिकनिक का आयोजन हुआ। उसमें लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) को भी जाना था। पिकनिक के लिए न उनके पास पैसे थे और न घर में सामान ताकि पिकनिक के लिए उनकी मां कुछ पकवान बनाकर दे सके। उनके पिता बेटा का दिल भी नहीं तोड़ना चाहते थे।

वह पड़ोसी से उधार मांगने जाने लगे तो यह बात उन्होंने भांप ली। उन्होंने पिता से कहा, पिताजी! उधार के लिए मत जाइए, मैं वैसे भी पिकनिक पर नहीं जाना चाहता था। यदि जाना भी होगा तो घर में खजूर पड़े ही हैं, वही ले जाऊंगा। कर्ज लेकर शान दिखाना ठीक नहीं।

लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) का जन्म पंजाब के मोगा जिले में 28 जनवरी 1865 को एक जैन परिवार में हुआ था। इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी

बाद में समूचा देश इनके साथ हो गया। इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। लाला हंसराज एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया, लोग जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जानते है। लालाजी ने अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा भी की थी।इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी।

30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये।

उस समय इन्होंने कहा था: “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया

लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी पर जानलेवा लाठीचार्ज का बदला लेने का निर्णय किया।

इन देशभक्तों ने अपने प्रिय नेता की हत्या के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। लालाजी की मौत के बदले सांडर्स की हत्या के मामले में ही राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई।

भारत भूमि वर्षों से देशप्रेम की लताओं को सींचती आ रही है. इसी राष्ट्रवादी उपवन में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय एक वटवृक्ष के रूप में विद्यमान हैं, जिनके प्रखर विचारों और संस्कारों की छाव में कई युवाओं ने राष्ट्र उत्थान में अपनी अहम भूमिका निभाई.

वीर सेनानी लाला लाजपत राय जी के लिए एक लाइक तो बनता है वीडियो में दी गयी जानकारी अच्छी लगी तो वीडियो को अन्य साथियो के साथ शेयर करे आपकी इस विषय पर क्या राय है कमेंट करके बताये साथ ही ऐसी ही मह्त्वपूण जानकारियों के लिए मेरे चैनल को सब्सक्राइब करे

आज उनकी पुण्‍यतिथि पर sangeetaspen.com blog or sangeetaspen youtube chanle की और से पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी को शत शत नमन
थैंक यू

 

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