स्कंदमाता मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं जानें मां के इस रूप से जुड़ी पौराणिक कथा, मंत्र ,आरती, भोग

न्यूज़
navratri 5th incarnation of goddess maa durga skandamata know puja vidhi mantra aarti

Navratri 2020: 21 अक्टूबर 2020 को नवरात्रि का पांचवा दिन

नवरात्रि का पांचवा दिन है यह दिन स्कंदमाता (Skandamata) को समर्पित है इस दिन को नवरात्रि की पंचमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है।


ज्योतिशो द्वारा कहा गया है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता हैं वह यदि नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा करते हैं बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। वृहस्पति ग्रह शिक्षा, उच्चपद और मान सम्मान का कारक माना जाता है।

नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्दमाता (Skandamata) शेर पर सवार होकर आती हैं। स्कन्दमाता (Skandamata) की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

संतान संबंधी परेशानी दूर करती है स्कंदमाता (Skandamata)

स्कन्दमाता (Skandamata) माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय बैठे होते हैं इसलिए इनकी पूजा करने से कार्तिकेय की पूजा अपने आप हो जाती है। वंश आगे बढ़ता है और संतान संबधी सारे दुख दूर हो जाते हैं। घर-परिवार में हमेशा खुशहाली रहती है। कार्तिकेय की पूजा से मंगल भी मजबूत होता है।

नवरात्रि पांचवें दिन स्कन्दमाता (Skandamata) को भोग में क्या दे

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन आपको स्कंदमाता (Skandamata) को बताशे का भोग लगाना चाहिए। पूजा में कमलगट्टा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा और किसमिस चढ़ाना शुभ फलदायक होता है।

नवरात्रि पांचवें दिन स्कन्दमाता (Skandamata) मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्कंदमाता की पूजा का महत्व

स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो नि:संतान दंपत्ति हैं, उनको स्कंदमाता के आशीर्वाद से संतान सुख मिलता है। संकट और शत्रुओं के दमन के लिए भी स्कंदमाता की पूजा करना उत्तम होता है।

स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा विधि।
इस दिन पीले रंगे के वस्त्र पहनकर माता की पूजा करने से अति शुभ फल मिलता है, साथ ही स्कंदमाता को पीले फूल अर्पित करें। उन्हें मौसमी फल, केले, चने की दाल का भोग लगाए।

मां स्कंदमाता (Skandamata) की कथा।

पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम एक राक्षस ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की थी जिससे ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर तारकासुर को दर्शन दिए ।

उसकी तपस्या को देख ब्रह्मा जी ने उससे वरदान मांगने को कहा। वरदान के रूप में तारकासुर ने अमर होने का वरदान मांगा। तब ब्रह्मा जी ने उसे समझाया की “इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है”। निराश होकर उसने ब्रह्मा जी कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही उसकी मृत्यु हो।

तारकासुर की ऐसी धारणा थी कि भगवान शिव विवाह नहीं करेंगे इसलिए उसकी मृत्यु नहीं होगी। ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दिया और अदृश्य हो गए।

इसके बाद तारकासुर ने लोगों पर अत्याचार करना आरंभ कर दिया। तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे और मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब शिव जी ने पार्वती जी से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं।

स्कंदमाता (Skandamata) की आरती

स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो अस्कंध माता

पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै

हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा

कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई
जय तेरी हो स्‍कंदमाता
पांचवा ..

Leave a Reply