NeoCov Coronavirus Variant in Hindi | new variant of corona



नियोकोव वायरस क्या है, लक्षण, असर, सिम्टम्स,नियोकोव वेरीएंट क्या हैं | NeoCov Coronavirus Variant in Hindi | new variant of corona
Covid-19 New Variant NeoCov लगभग दो वर्षो से कोरोना से जुड़ी महामारी ने विश्वभर में भय और चिंता की स्थिति बना कर रखी है। इस परेशानी से निजात पाने के लिए दुनिया भर में जद्दोजेहद जारी है।हाल ही में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन ने सभी को चिंचित किया था। पर विषय अब और गंभीर हो चुका है।
ऑमिक्रोन के बाद कोरोना का एक नया वेरिएंट सामने आया है जिसका नाम नियोकोव (Covid-19 New Variant NeoCov) है। माना जा रहा है कि ये वेरिएंट ओमिक्रोन से भी अधिक नुकसानदेह होगा। वुहान के वैज्ञानिकों का इससे जुड़ा एक बड़ा चौंकानेवाला दावा भी सामना आया है।वैज्ञानिकों का मानना है कि नियोकोव के संक्रमण एवं मृत्यु दर की संख्या काफी बड़ी होगी और हर तीन में से एक पेशेंट की मौत होने की संभावना भी है। अभी यह वेरिएंट अफ्रीका में पाया गया है।तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से समझते हैं कोरोना के नए वेरिएंट नियोकोव के बारे में।
क्या है नियोकोव?
नियोकोव कोरोना का नया वेरिएंट है जिसे ले कर वुहान के वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा सामने आया है। हम बता दे कि चीन का शहर वुहान वही शहर है जहां कथित तौर पर सबसे पहले कोरोना वायरस 2019 के आखिरी महीनों में पाया गया था, अब वहीं के वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस के एक और मगर सबसे ज्यादा खतरनाक और जानलेवा वेरिएंट को लेकर चेतावनी जारी की है.
आपको बता दे कि चीनी रिसर्चर्स ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के चमगादड़ों (Bat) में कोरोना वायरस (Coronavirus) के एक नए वेरिएंट नियोकोव (NeoCov) का पता लगाया है बताया जा रहा है की यह बहुत खतरनाक है क्योंकी चीन की वुहान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है की नियोकोव सार्स-सीओवी-2 की तरह ही मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है. ये वायरस मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (MERS-Cov) का निकटतम है
हालांकि स्पूतनिक के जो की रूस की न्यूज एजेंसी है उसका मानना है कि नियोकोव एक नया वेरिएंट नही है। नियोकोव मर्स कोव वायरस से जुड़ा हुआ है।और कुछ समय पहले ही दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में इस वायरस को पाया गया था। बताया जाता है कि यह नियोकोव की बनावट काफी हद तक उस कोरोनावायरस जैसी है, जिसे सबसे पहले 2012 में देखा गया था, फिर ये 2015 में भी लोगो को संक्रमित कर चुका है। इसका प्रभाव पश्चिम एशियाई देशों में देखने को मिला था।
लेकिन गूगल के मुताबिक NeoCoV इस हफ्ते कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में है. शुक्रवार 28 जनवरी तक भारत में यह शब्द नियोकोव ( NeoCoV )5 लाख सर्चिस के साथ टॉप पर रहा है. इस नए शब्द ने लोग को अचानक से चिंता में डाल दिया है.
कितना असरदार है नियोकोव
वुहान के वैज्ञानिकों की मानें तो नियोकोव किसी बड़ी चिंता और भय से कम नहीं है।इसका संक्रमण और मृत्यु दर पिछले वेरियंट्स से काफी अधिक होगा। bioRxiv वेबसाइट की मानें तो इस पर प्रकाशित किए गए शोध में बताया गया है कि नियोकोव और इसका सहयोगी PDF-2180-CoV से इंसान संक्रमित हो जाएंगे।
वुहान यूनिवर्सिटी एवं चाइना अकादमी ऑफ साइंसेज ने बताया है कि नियोकोव को इंसानों को संक्रमित करने के लिए बस म्यूटेशन की आवश्यकता है। हालाकि रूस के वायरोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी से जुड़े विभाग का कहना है कि ये नया वेरिएंट इंसानों में ज्यादा नहीं फैलेगा। इस नए वेरिएंट की क्षमता की जांच ज़रूरी है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई, यह पूरी तरह से साफ नहीं है लेकिन वायरस के जीनोम विश्लेषण किए जाने के बाद यह माना जाता है कि इसकी उत्पति चमगादड़ों में हुई थी और बाद में समय में ऊंटों में फैल गई।
अब तक कौन से गंभीर वेरियंट्स मिले
ब्रिटेन -अल्फा ( सितंबर 2020)
दक्षिण अफ्रीका -बीटा ( मई 2020)
ब्राज़ील -गामा ( नवंबर 2020)
भारत -डेल्टा ( अक्टूबर 2020)
विभिन्न देशों में-ओमीक्रोन ( नवंबर 2021)
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर शशांक जोशी ने ट्वीट किया, ‘नियोकोव रहस्य का पर्दाफाश: 1. नियोकोव एक पुराना वायरस है जो MERS Cov से करीबी रूप से संबद्ध है. ये DPP4 रिसेप्टर्स के जरिए कोशिकाओं में प्रवेश करता है. 2. इस वायरस में नया क्या है: NeoCov चमगादड़ के एसीई2 रिसेप्टर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ये तभी मुमकिन है, जब उसमें कोई नया म्यूटेशन हो. इसके अलावा बाकी सब प्रचार है.’
कहां से आई है ये रिपोर्ट, जिससे लोगों में फैला डर?
जो न्यूज रिपोर्ट इस वक्त दुनियाभर में वायरल हो रही है, वह चीन के वैज्ञानिकों का एक रिसर्च पेपर है, जिसकी अन्य वैज्ञानिकों द्वारा पुष्टि (पीयर रिव्यू) नहीं हुई है। हालांकि, अगर फिर भी इस रिसर्च पेपर में दी गई बातों को सही माना जाए तो भी मीडिया में चल रही बातें इससे अलग हैं। इस रिपोर्ट को देखने वाले चंद वैज्ञानिकों का कहना है कि रिसर्च पेपर की बातों को काफी बढ़ा-चढ़ाकर लोगों के सामने रखा जा रहा है।
रिपोर्ट में NeoCoV को लेकर कितना भ्रम?
हालांकि, नियोकोव को लेकर इसके आगे कही जा रही अधिकतर बातें बढ़ा-चढ़ाकर ही पेश की गई हैं। महाराष्ट्र के कोरोनावायरस टास्क फोर्स के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर शशांक जोशी ने अपने ट्वीट के जरिए नियोकोव को लेकर फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा…
- “नियोकोव एक पुराना वायरस है, जो कि MERS की तरह ही डीपीपी4 रिसेप्टर्स के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचता है।”
- “इस वायरस में नया ये है कि यह चमगादड़ों के एसीई2 रिसेप्टर्स (ACE2 Receptors) को प्रभावित कर सकता है, लेकिन जब तक इसमें नया म्यूटेशन नहीं होता, यह इंसानों के एसीई2 रिसेप्टर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकता। बाकी सब सिर्फ बढ़ा-चढ़ाकर की गई बातें हैं।”
खुद रिसर्च पेपर में भी कहा गया है कि नियोकोव को अब तक सिर्फ चमगादड़ों में पाया गया है और इससे कभी भी इंसान संक्रमित नहीं हुए। इसकी हर तीन में से एक व्यक्ति को मारने की क्षमता इस तथ्य से आई है कि यह मर्स (MERS) वायरस जैसा है। स्टडी में मर्स संक्रमण से मृत्यु दर 35 फीसदी आंकी गई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जब दक्षिण एशिया में मर्स फैला था, तब यह एक सीमित स्तर तक ही प्रभावी था। कोरोनावायरस के मौजूदा प्रारूप की तरह यह महामारी नहीं बना था। फिलहाल नियोकोव के चमगादड़ों से इंसानों में फैलने के कोई सबूत नहीं हैं। रिसर्चरों ने कहा है कि लैब एक्सपेरिमेंट्स में भी वायरस को इंसानों के एसीई2 रिसेप्टर्स को प्रभावित करने में नाकाम पाया गया
Q : क्या नियोकोव एक नया वेरिएंट है?
ANS : रूस की एजेंसी के हिसाब से ये 2012 में भी आ चुका है।
Q : क्या नियोकोव पशुओं में भी देखा जाएगा?
ANS : एक शोध के हिसाब से ये पशुओं को भी नुकसान पहुंचाएगा।