No school fees in Lockdown

न्यूज़
No school fees in lockdown

आगामी 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व है जिसको सम्पूर्ण भारत में मनाया जायेगा। यह पर्व गुरु के प्रति आदर -सम्मान और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आषाढ़ शुल्क पूर्णिमा को मनाया जाता है।

गुरु को वेदो में देवताओ से भी ऊँचा स्थान दिया गया है क्योकि गुरु हमारे जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी प्रकाश से मिटा देते है।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

गुरुर ब्रह्मा : गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं।
गुरुर विष्णु : गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं।
गुरुर देवो महेश्वरा : गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं।
गुरुः साक्षात : सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष।
परब्रह्म : सर्वोच्च ब्रह्म।
तस्मै : उस एकमात्र को।
गुरुवे नमः : उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करता हूँ।

भारत जैसे विकासशील देश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहद ही खराब रहा है। सरकार योजनाओ जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, मिड डे मिल योजना, निशुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म आदि के परिणामस्वरूप हालत जस के तस बने हुए है।

इसका मुख्य कारण सरकारी स्कूलों में गणित, अंग्रेजी जैसे विषय और इन विषयो को पढ़ने वाले अध्यापको का न होना। इसी कारण आज अविभावक अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ना पसंद करते है।

No school fees

Covid-19 के कारण हुए Lockdown से निजी स्कूलों के अध्यापक गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर निराश है। जिनको वेतन न दे पाने के कारण निकल दिया गया है या सिर्फ 50 प्रतिशत वेतन पर कार्य कराया जा रहा है।

अध्यापक अपने धर्म का पालन करते हुए ऑनलाइन माध्यम से अपने विद्यार्थी के भविष्य के लिए निरंतर कार्य कर रहे है।

अध्यापक हमारे बच्चों के लिए सालों से मेहनत करते आए हैं। उनका मेहनताना जरूर देना चाहिये। चाहे थोड़ा थोड़ा करके दें। अगर हमें लगता है कि प्राइवेट स्कूल लूटेरे हैं तो हमें उन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहिए। क्योंकि कोई “लुटेरा बदमाश” आपके बच्चे को सफल इंसान नहीं बना सकता।

No school fees पर यह विचार और कविता हमको गोकुल जोशी जी द्वारा भेजा गया है। 

जितना भी ज्ञान था हमारा सब शिष्यों पर लुटाया।
पर आज क्या जेब को खाली पाया।
हमारी मेहनत से बहुत ने कमाया।
वेतन के नाम पर 5-10 हजार ही पकड़ाया।
प्राइवेट शिक्षक की यही है कहानी।।
फिर भी शिक्षक ने गुलामी करने की क्यों ठानी।
क्यों शिक्षक का अभिमान पड़ा छोटा।
क्यों शिक्षा देने वाले का ज्ञान पड़ा खोटा।
उठो जाओ उठो जागो शिक्षक हो तुम।
अपने स्वाभिमान को कुचल कर मत भागो।
अपने अक्लमंद होने का प्रमाण जरा उन्हें भी दिखाओ।

अगर आप भी अपनी बातो को शब्दों का रूप देना चाहते है ।तो अपनी लिखी कहानी, कविता,कोई भी ऐसी बात जो समाज के हित में हो। हमें लिखे या मेल करे। आपकी बात को हम https://sangeetaspen.com/ के माध्यम से लोगो तक पहुचाने का प्रयास करेंगे ।आप भी अपने विचार हमको जरूर बताये।

Leave a Reply