Palm oil bad for the environment|Health

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पाम ऑयल का उपयोग खाने में किया जाता है यह हमसे बहुत लोग जानते है पर क्या आप ये जानते है की इस तेल से हमें और प्रकृति को कितना नुक्सान होता है। पाम ऑयल का उपयोग 5000 सालों से हो रहा है, फिर क्या वजह है कि इसे दुनिया का सबसे विवादित खाने का तेल भी कहा जाता है।

सर्वप्रथम पाम ऑयल के पेड़ पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में पाये जाते थे। उसके बाद ब्रिटिश इसे 1870 में सजावटी पौधे के रूप में मलेशिया लेकर गए और फिर वहां से अन्य दूसरे देशों (भारत, चीन, इंडोनेशिया, यूरोप) में पाम ऑयल के पेड़ फ़ैलते रहे। इसके पेड़ करीब 60 फीट ऊंचे होते है इनमे फल आने में लगभग 30 महीने लगते हैं और उसके बाद यह अगले 20-30 सालों तक फल देते रहते है।

पाम आयल की सप्लाई और उपयोग

पाम ऑयल की सप्लाई करने वाले देशों में मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया है। लगभग 90 फीसदी सप्लाई इन्हीं देशों से होती है। मलेशिया और इंडोनेशिया मे पाम आयल के कारोबार से करीब 45 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। तथा थाईलैंड, इक्वाडोर, नाइजीरिया और घाना में भी पाम ऑयल का उत्पादन होता है।

जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है पाम आयल से अनेको घातक बीमारिया होने की सम्भावनाये बढ़ जाती है।

पाम ऑयल का उपयोग

पाम ऑयल का इस्तेमाल अनेको खाद्य पदार्थो और सौंदर्य प्रशाधनो में किया जाता है तथा इसका उपयोग अनेको पैकेजिंग फ़ूड और कॉस्मेटिक (बिस्किट, आइसक्रीम, चॉकलेट स्प्रेड, साबुन, कॉस्मेटिक और बायोफ्यूल) में भी किया जाता है।

इसकी बनावट और महक इसका रंग धुंधला होता है.और इस आयल में कोई महक नहीं होती। तथा बहुत ऊंचे तापमान पर पिघलता है इसमें सैचुरेटेड फ़ैट बहुत अधिक होता है यही वजह है कि इससे मुंह में पिघल जाने वाली क्रीम और टॉफी-चॉकलेट बनाये जाते हैं। तथा अन्य खाद्य पदार्थो और कॉस्मेटिक में मिलाया जाता है।

पाम ऑयल के विकल्प

दूसरे वनस्पति तेलों में हाइड्रोजन मिलाना पड़ता है तभी वो पाम ऑयल के मुक़ाबले में खड़े हो सकते हैं लेकिन, इस वजह से अन्य वनस्पति तेलों में सेहत के लिए नुक़सानदेह ट्रांस-फैट शामिल हो जाते हैं।

भारत पुरे वर्ष में लगभग 90 लाख टन पाम ऑयल का खरीदता (आयात) है। भारत जो भी खाने का अन्य तेल खरीदता है उसमे दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल की ही खरीद होती है।

पिछले साल से पहले भारत 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनीशिया से खरीदता था। और 30 फीसदी मलेशिया से खरीदता था। लेकिन 2019 के अंत तक मलेशिया के साथ बिगड़ते रिश्तों के कारण भारत ने मलेशिया से पाम ऑयल का आयात कम कर दिया।

मलेशिया की जीडीपी में पाम ऑयल का बहुत बड़ा योगदान है निर्यात का 4.5 फीसदी हिस्सा केवल पाम ऑयल ही है।

पाम ऑयल से होने वाले नुकसान

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इंडोनेशिया और मलेशिया में हज़ारों एकड़ ज़मीन पर जंगल साफ़ करके ताड़ की खेती हो रही है  इसकी वजह से 2001 से 2018 के बीच इंडोनेशिया में क़रीब ढाई करोड़ हेक्टेयर के जंगल काट डाले गए. ये इलाक़ा न्यूज़ीलैंड के बराबर है।

पाम आयल में एक प्रकार का वसा होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। इसलिए पाम आयल का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।

यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जिनका पहले से ही कोलेस्ट्रॉल अधिक है।

विशेष्ज्ञो का मानना है की पाम ऑयल पर और रिसर्च की जानी चाहिए।

पाम ऑयल उन दवाओं प्रभावशीलता को कम कर सकता है जो रक्त के थक्के को धीमा करती हैं जैसे (एंटीकोआगुलेंट / एंटीप्लेटलेट ड्रग्स)।

इसकी खेती बढ़ने से दुनिया के तमाम देशों में वर्षावनों का सफ़ाया हो रहा है जिससे पर्यावरण को भारी नुक़सान हो रहा है। इन दोनों देशों में ही एक करोड़ तीस लाख हेक्टेयर में ताड़ की खेती हो रही है।

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