प्लास्टिक प्रदूषण एक विनाशकरी समस्या

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Plastic pollution is a destructive problem,plastic loss and profit, Plastic pollu
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प्लास्टिक (plastic) बहुत खतनाक होता है ये अब सरकार ने भी स्वीकार किया और इसको पूरी तरह से बैन करने की कोशिस भी की है

प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है (plastic pollution is damaging our environment)

 प्लास्टिक (plastic) प्रदूषण एक विनाशकरी समस्या है पृथ्वी पर प्लास्टिक (plastic) हर जगह पूरे वातावरण में मौजूद है यह हमारे जंगलो, खुले स्थानों, नदियो, और इन्ही नदियों के माध्यम से सागरो में पहुंच कर उन्हें प्रदूषित कर रहा है.

आज हम सब पूरी तरह से प्लास्टिक (plastic) पर निर्भर है. पहला सिंथेटिक पॉलिमर 1869 में John Wesley Hyatt द्वारा आविष्कार किया गया था तब उन्होंने भी यह नहीं सोचा होगा की भविष्य में इंसान के लालच एवं आलस के कारण एक दिन यह प्लास्टिक (plastic) पूरी दुनिया के लिए खतरा बन जायेगा

हर साल 300 मिलियन टन प्लास्टिक (plastic) का उत्पादन किया जाता है जिसमें से आधे का उपयोग शॉपिंग बैग ,कप, और स्ट्रा जैसे एकल-उपयोग की वस्तुओ को बनाने के लिए किया जाता है

हमने सन 1950 से अब तक एक आकड़े के अनुशार 803 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक (plastic) का निर्माण किया है और इसका केवल 9% ही रीसायकल किया जा सका है यह एक चिंता जनक बात है.

प्लास्टिक (plastic) मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके जहरीले रसायन प्लास्टिक (plastic) से बाहर निकलते हैं और हम सभी के रक्त-कोशिकाओं (Blood cells) के सम्पर्क में आने से कैंसर (Cancer) जैसी घातक बीमारियों का कारण बनते है.

प्लास्टिक (plastic) कभी बायोडिग्रेड (Biodegraded) नहीं होता है यह छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है और भू-जल में मिल जाता हैं, जो झीलों और नदियों में बह जाता है और इस प्रकार यह हमारे भूजल को दूषित कर देता है

हमारी पृथ्वी के हजारों मैदानों में दफन प्लास्टिक (plastic) से निकलने वाले जहरीले रसायन भूमि को बंजर बना देते है प्लास्टिक (plastic) की विघटन प्रक्रिया में 500 से हजार साल तक का समय लग जाता है


अगर हम यह सब इसी तरह जारी रखते है तो साल 2050 तक हमारे वातावरण में 12 विलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक (plastic) होगा और तब समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक (plastic) की मात्रा होगी. अगर हम अब भी नहीं जागे तो कई जीवो का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा.

कई देशो में एकल-प्लास्टिक (single – plastic) को बैन किया जा चुका है उनमे भारत भी है जो एकल-प्लास्टिक (Single-plastic) को बैन कर चुका है यह एक शानदार पहल है जिसका इन्तजार बहुत पहले से किया जा रहा था

और आशा करते है की विश्व के सभी देश इस में शामिल होंगे और ग्लोबल वार्मिग (Global warming) के खतरे से पृथ्वी को बचाने में अपना सहयोग देंगे,

यह हमारा भी कर्त्तव्य बनता है की हम भी जागरूकता दिखाते हुए अपनी पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रयास करे और ये संदेश सभी तक पहुचाये

जब भी बाजार जाये अपने साथ एक थैला ले कर जाये और एकल-प्लास्टिक (Single-plastic) बैग में पैक सब्जिया और फल खरीदने से बचे और एकल-प्लास्टिक (Single-plastic) पैक वस्तुओ का प्रयोग करने से बचे.

हमारा एक छोटा सा सहयोग प्रकृति को प्रदूषित (Nature polluted) होने से रोक सकता है

अपने आप को डिस्पोजेबल प्लास्टिक (Disposable plastic) से दूर करें।

हमारे दैनिक जीवन में नब्बे प्रतिशत एकल-प्लास्टिक (Single-plastic) की वस्तुओं का उपयोग किया जाता है

जैसे कि किराने की थैलियां, प्लास्टिक की चादर, डिस्पोजेबल, स्ट्रा, कॉफी-कप, पानी कि बॉटल आदि.

बोतल बंद पानी खरीदना बंद कर दें।

हर साल करीब 20 बिलियन प्लास्टिक (plastic) की बोतलों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। अपने साथ बैग में एक बॉटल रखे,

बहिष्कार माइक्रोबिड्स (Boycott microbids)

ब्यूटी प्रोडक्ट्स में पाए जाने वाले प्लास्टिक (plastic) के छोटे स्क्रब- फेशियल स्क्रब, टूथपेस्ट, बॉडी वॉश-हानिरहित लग सकते हैं, लेकिन उनका छोटा आकार उन्हें वाटर-ट्रीटमेंट प्लांट्स के माध्यम से नदियों और सागरो तक पंहुच जाता है।

दुर्भाग्य से, वे भी कुछ समुद्री जीवो के भोजन की तरह दिखते हैं और वो इनको खा लेते है जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है, इसके बजाय प्राकृतिक उत्पादों के विकल्प चुनें।

रीसायकल (Recycle)

यह स्पष्ट प्रतीत होता है, हम रीसायकल बड़ा काम नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 14 प्रतिशत से कम प्लास्टिक पैकेजिंग को पुन र्नवीनीकरण किया जाता है। कूड़ेदान में क्या जा सकता है और क्या नहीं? इसके लिए पैकेट के नीचे दी गयी संख्या की जाँच करें।

अधिकांश पेय और तरल क्लीनर की बोतलें # 1 (पीईटी) होगी, जिसे आमतौर पर ज्यादातर कर्सबाइड रीसाइक्लिंग कंपनियों द्वारा स्वीकार किया जाता है।

कंटेनर # 2 (एचडीपीई; आमतौर पर दूध, रस और कपड़े धोने के डिटर्जेंट के लिए थोड़ा भारी-शुल्क वाली बोतलें) और 5 (पीपी, प्लास्टिक, दही और केचप आदि की बोतलें) भी कुछ क्षेत्रों में पुन: उपयोग योग्य हैं।

 प्लास्टिक बैग (plastic bag) प्रतिबंध का समर्थन करें। और नियमो का पालन करें,

निर्माताओं पर दबाव डालें।

यद्यपि हम अपनी आदतों के माध्यम से एक फर्क कर सकते हैं, अगर आपको लगता है कि कोई कंपनी अपनी पैकेजिंग के बारे में समझदार हो सकती है,

आप उन्हें पत्र लिखें सकते है, और आप ट्वीट भी कर सकते है, या उनका बहिष्कार करे और अन्य प्रोडक्ट का चुनाव कर उन पर दबाव डालें।

प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic pollution) से पर्यटन व्यसाय पर भी प्रभाव पड़ा है

प्लास्टिक बैग्स (plastic bag) से होने वाले पर्यावरण (environment)  नुकसान को कम करने की दिशा में हर एक इंसान कुछ बेहद जरूरी कदम उठा सकता है।

सतर्कता और जागरूकता दो बेहद जरूरी चीजें हैं जिनसे प्लास्टिक (plastic) के खिलाफ अपनाया जा सकता है।

प्लास्टिक (plastic bag)  के बैग्स को संभाल कर रखें। इन्हें कई बार इस्तेमाल में लाएं। सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कैरी बेग (कपड़े या कागज के बने) लेकर जाएं।

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प्लास्टिक (plastic) की जगह मिट्टी के पारंपरिक तरीके से बने बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें।

प्लास्टिक (plastic) की पीईटीई (PETE) और एचडीपीई (HDPE) प्रकार के सामान चुनिए। यह प्लास्टिक (plastic) आसानी से रिसाइकल हो जाता है।

प्लास्टिक बैग (plastic bag) और पोलिएस्ट्रीन फोम को कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें। इनका रिसायकल रेट बहुत कम होता है।

खुद प्लास्टिक (plastic) को खत्म करने की कोशिश न करें। न पानी में, न जमीन पर और न ही जमीन के नीचे प्लास्टिक खत्म होता है। इसे जलाना भी पर्यावरण (environment) के लिए अत्यधिक हानिकारक है।


हमारे देश में भी कई ऐसे सेंटर स्थापित हो गए हैं जहां प्लास्टिक रिसाईकल (Plastic recycling) किया जाता है। अपने कचरे को वहां पहुंचाने की व्यवस्था करें।

प्लास्टिक (Plastic) से होने वाले लाभ (Benefits of Plastic)

प्लास्टिक (Plastic) से हमें अनेको नुकशान तो होते ही इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता पर प्लास्टिक (Plastic) से कुछ फायदे /लाभ भी हुए है। हलाकि यह लाभ नुकशान के सामने नाम मात्र है

प्लास्टिक बैग(Plastic bag) से घर के कूड़े या अन्य स्थानों के मल इत्यादि को फेंकने में सुविधा होती है।

प्लास्टिक (Plastic) में पैकिंग की वस्तुये ज्यादा समय तक सुरक्षित रहती है ।

प्लास्टिक (Plastic) में अनेको खाद्य पदार्थ भी पैक किये जाते है जिसे लम्बे समय तक उपयोग में लिए जाते है ।

प्लास्टिक से होने वाले हानि (losses Of Plastic)

प्लास्टिक (Plastic) नदियों के माध्यम से सागरो में पहुंच कर उन्हें प्रदूषित कर रहा है.
प्लास्टिक (Plastic) कूड़े में जाने से जिव जंतु उसे भोजन समझ कर खा जाते है जिससे प्रति वर्ष कई जानवरो की मिर्त्यु हो जाती है

प्लास्टिक (Plastic) का मानव जीवन में नियमित उपयोग करने से कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बनता है

प्लास्टिक (Plastic) को जिस स्थान में गड्डा खोद कर दबा दिया जाता है उसे वह बंजर कर देता है

प्लास्टिक पुनःचक्रण (recycle or reuse plastics)

प्लास्टिक (Plastic) से निपटने का सर्वाधिक चर्चित तरीका प्लास्टिक (Plastic) का पुनःचक्रण है। पुनःचक्रण का मतलब प्लास्टिक (Plastic) अपशिष्ट से पुनः प्लास्टिक (Plastic) प्राप्त करके प्लास्टिक (Plastic) की नई चीजें बनाना।

प्लास्टिक (Plastic) पुनःचक्रण की शुरूआत सर्वप्रथम सन् 1970 में कैलीफोर्निया की एक फर्म ने की। इस फर्म ने प्लास्टिक (Plastic) की खर्चन और दूध की प्लास्टिक बोतलों से नालियों के लिए टाइल्स तैयार किए।

हालांकि प्लास्टिक (Plastic) के पुनःचक्रण (reuse plastics) का काम बहुत कम किया जाता है। इसका मुख्य कारण पुनःचक्रण (reuse plastics) प्रक्रिया का महंगा होना है।

बायोप्लास्टिक (Bioplastic)

प्लास्टिक (Plastic) से निपटने का एक और कारगर उपाय है जो आज कल बहुत सी कंपनियां अपना रही है। इसके लिए कंपनियां ऐसा प्लास्टिक (plastic) बना रही हैं, जो क़ुदरती तौर पर ख़ुद ही नष्ट हो जाएगा.इसे बायोप्लास्टिक (Bioplastic) कहते है

 इस बायोप्लास्टिक (Bioplastic) को बनाने में स्टार्च या प्रोटीन का इस्तेमाल होता है. हालांकि ये पूरी तरह से जैविक प्लास्टिक (plastic) नहीं होते. मगर काफ़ी हद तक ये पर्यावरण में घुल-मिल जाते हैं.

आज बहुत सी कंपनियां ऐसा प्लास्टिक (plastic) बना रही हैं, जो क़ुदरती तौर पर ख़ुद ही नष्ट हो जाएगा.’ इस बायोप्लास्टिक (Bioplastic) को बनाने में स्टार्च या प्रोटीन का इस्तेमाल होता है.

हालांकि ये पूरी तरह से जैविक प्लास्टिक (plastic) नहीं होते. मगर काफ़ी हद तक ये पर्यावरण में घुल-मिल जाते हैं.

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