Radha Ashtami 2023: राधाष्टमी व्रत, जानिए पूजन विधि, महत्व एवं आरती

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Radha Ashtami 2021: राधाष्टमी व्रत, जानिए पूजन विधि, महत्व एवं आरती
Radha Ashtami 2021: राधाष्टमी व्रत, जानिए पूजन विधि, महत्व एवं आरती

Radha Ashtami 2021: जानिए  राधाष्टमी व्रत, पूजन विधि, महत्व एवं आरती

Radha Ashtami 2021 : हर वर्ष जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता।‌ वर्ष 2021 में यह पर्व भाद्रपद शुक्ल अष्टमी, मंगलवार, 14 सितंबर को मनाया जा रहा है। राधा अष्टमी पर व्रत रखने से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं।

राधा रानी के पिता वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था। राधा जी ने अधिकतर समय वृंदावन में ही बिताया था। राधा-कृष्ण के मिलन को लेकर कई स्थानों पर अलग-अलग वर्णन है। कहा जाता है कि पहली बार राधा जी ने कृष्‍ण जी को तब देखा था, जब मां यशोदा ने उन्हें ओखले से बांध दिया था।

कहीं-कहीं यह वर्णन भी मिलता हैं कि वे पहली बार अपने पिता वृषभानु के साथ गोकुल आई थी, तब उन्होंने कृष्ण जी को पहली बार देखा था। कुछ विद्वानों लिखते हैं कि दोनों की पहली बार मुलाकात संकेत तीर्थ पर हुई थी और वहीं दोनों प्रेम बंधन में बंध गए थे।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया जाता है कि एक बार राधा रानी गोलोक में कहीं दिखाई नहीं दे रही थीं तब भगवान श्री कृष्ण दूसरी सखी के साथ विहार करने लगे। इस बात से राधा रानी क्रोधित हो गईं। यह देखकर कृष्ण के मित्र श्रीदामा ने राधा जी को श्राप दिया कि आपको पृथ्वी लोक में जन्म लेकर श्री कृष्ण का विरह सहन करना होगा।

और फिर इसी श्राप के फलस्वरूप राधा जी ने पृथ्वी पर वृषभानु के परिवार में जन्म लिया। यह भी माना जाता है कि राधा रानी ने कीर्ति जी के गर्भ से जन्म नहीं लिया था‌। वो वृषभानु जी को तपस्थली पर मिली थीं।

ऐसा माना जाता है कि राधा जी वृंदावन की अधीश्वरी हैं। राधा जी को भगवान श्री कृष्ण की जीवन ऊर्जा भी माना जाता है। राधा और कृष्ण एक साथ मौजूद हैं इसलिए उन्हें ‘राधाकृष्ण’ भी कहा जाता है।

राधा अष्टमी और राधा जयंती – Radha Rani

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी का दिन राधा अष्टमी (Radha Ashtami) और राधा जयंती के रूप में मनाया जाता है। राधा जी के जन्मस्थान बरसाना में यह दिन बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान श्री कृष्ण और राधा के बीच प्रेम के निस्वार्थ बंधन को समर्पित दिन है।

राधा के बिना श्री कृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण माना जाता है। यदि श्रीकृष्ण के साथ से राधा जी को हटा दिया जाए तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाता। ऐसा माना जाता हैं कि राधा के ही कारण श्रीकृष्ण रासेश्वर हैं।

महत्व- राधाष्टमी (Radha Ashtami) व्रत महिलाएं रखती हैं। यह व्रत अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद और परिवार में सुख-समृद्धि और शांति देता है। यह व्रत संतान सुख दिलाने वाला भी माना गया है। राधा अष्टमी (Radha Ashtami) के दिन राधा-श्रीकृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति राधा जी को प्रसन्न कर लेता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण भी मिल जाते हैं, ऐसी मान्यता है।

पौराणिक शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार भी माना गया है। इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। राधा रानी को श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, भगवती शक्ति माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में राधा अष्टमी  (Radha Ashtami) का यह बेहद विशेष और लाभकारी माना गया है।

राधा रानी श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसीलिए आज के दिन उनका पूजा करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

राधाष्टमी (Radha Ashtami) पर कैसे करें पूजन

  • भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
  • इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
  • कलश पर तांबे का पात्र रखें।
  • अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधा जी की मूर्ति स्थापित करें।
    सोने (संभव हो तो) की
  • फिर राधा जी का षोडशोपचार से पूजन करें।
  • राधा जी के पूजन का समय ठीक मध्याह्न का हो, इस बात का ध्यान रखें।
  • पूजन के पश्चात पूरा उपवास करें या एक समय भोजन करें।
  • दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिनों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।

राधाष्टमी (Radha Ashtami) पर्व के मुहूर्त

इस बार राधा अष्टमी मंगलवार, 14 सितंबर 2021 को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 13 सितंबर, 2021 को 03.10 p.m से प्रारंभ होकर 14 सितंबर 2021 को 01.09 p.m पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी।

श्री राधा रानी की आरती

आरती राधाजी की कीजै। टेक…
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।

आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती…
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।

उस शक्ति की आरती कीजै। आरती…
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।

आरती रास रसाई की कीजै। आरती…
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।

आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।

आरती जगत माता की कीजै। आरती…
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै…।

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