Russia Ukraine War Reason |and India’s Reponse in hindi

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Russia Ukraine War 2022 in Hindi | रूस और यूक्रेन का विवाद का कारण क्या है
Russia Ukraine War and India’s Reponse in hindi

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Russia Ukraine War Reason : रूस और यूक्रेन का विवाद का कारण क्या है, Russia Ukraine War 2022 in Hindi

Russia Ukraine War Reason : कई दिनों के तनाव व आशंकाओं के बाद आखिरकार रूस व यूक्रेन के बीच जंग छिड़ ही गई। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की तस्वीरें आपने देखी होंगी. इस युद्ध ने यूरोप में महायुद्ध व तीसरे विश्व के हालात पैदा कर दिए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा सैन्य कार्रवाई के आदेश के बाद रूस ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले शुरू कर दिए हैं।. रूस ने अपने और यूक्रेन के बीच आने वालों को धमकी दी है

तो वहीं, अमेरिका ने भी सख्त चेतावनी के साथ कहा है कि अंजाम बहुत बुरा होगा. रूस को कीमत चुकानी होगी. ब्रिटेन और दूसरे देश भी रूस के खिलाफ खड़े हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग के पीछे की वजह इस बार NATO को माना जा रहा है. NATO यानी North Atlantic Treaty Organization, जिसे साल 1949 में शुरू किया गया था. यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है लेकिन रूस ऐसा नहीं चाहता . रूस ने भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने का एलान किया है तो अमेरिका के नेतृत्व में नाटो भी मैदान संभाल सकता है।

साथ ही कुछ मिडिया रिपोट्स में ये भी बताया गया है की रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia China War)में चीन के रुख की खूब चर्चा हो रही है। चीन ने खुलकर रूस का समर्थन (China Russia Relations)किया है। वहीं रूस में अब युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है।लेकिन इसी बिछा ये बात भी समने आ रही है की रूस में अब युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है।रूसी पुलिस ने दर्जनों शहरों में युद्ध-विरोधी विरोध प्रदर्शनों में लोगों को हिरासत में लिया है।

हालांकि यूक्रेन ने जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं। ऐसे में आज यह जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है? ऐसा क्या हुआ कि पुतिन ने सेना को युद्ध का ऑर्डर दे दिया, सोवियत संघ के जमाने में कभी मित्र रहे ये प्रांत दो देश बनने के बाद एक दूसरे के शत्रु क्यों बन गए हैं और वहां के ताजा हालात क्या हैं? तथा इसमें ( यूक्रेन रूस विवाद में ) चीन का क्या महत्व है।आइये कुछ पॉइंट के माधयम से समझते है की दुनिया को विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़े करने वाले विवाद की वजह है क्या …

रूस और यूक्रेन विवाद क्या है (Russia Ukraine War 2022 in Hindi)

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) अब तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है. यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है. 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ (USSR) का हिस्सा था. अलग होने के बाद भी यूक्रेन में रूस का प्रभाव काफी हद तक दिखाई देता था.

यूक्रेन की सरकार भी रूसी शासन के आदेश पर ही काम करती थी.लेकिन साल 2014 में जब रूस ने यूक्रेन में स्थित क्रिमिया को हमला कर के अपनी सीमा में मिला लिया था। इसके बाद से रूस और यूक्रेन संबंधों में तनाव आ गए। बिगड़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई और अल्पसंख्यक रूसी भाषी लोगों के बहुसंख्यक यूक्रेनी लोगों पर शासन ने विद्रोह की चिंगारी सुलगा दी.

रूस और यूक्रेन विवाद 2022 क्यों हो रहा है, कारण (Russia Ukraine War 2022 Reason)

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे वर्तमान विवाद की मुख्य वजह नाटो है। 4 अप्रैल,1949 को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो का जन्म हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन को अमेरिका द्वारा बारह देशों के समर्थन से बनाया गया था। मूलतः नाटो वेस्टर्न कंट्रीज और यूएसए के बीच बना एक सैन्य गठबंधन है।

इसका मूल उद्देश्य सोवियत संघ के खिलाफ एकजुट रहना और सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था।अब मौजूदा हालत ये है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने की इच्छा रखता है पर रूस इस बात के विरुद्ध है। रूस का कहना है कि ये उसके लिए नागवार है कि उसका पड़ोसी राष्ट्र नाटो की सदस्यता ग्रहण करे।

What is NATO
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नाटो क्या है (What is NATO)

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो अमेरिका, ब्रिटेन जैसे 30 देशों का एक सैन्य समूह है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने इसकी नींव रखी थी। तब इसका मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था। वर्तमान स्थिति ये है कि लातविया, इस्तोनिया जैसे देश नाटो में शामिल हो चुके हैं। अब यूक्रेन के नाटो से जुड़ जाने से रूस के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। अमेरिका समेत पश्चिमी देश उस पर दवाब बना पाएंगे।

गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो इस संगठन के समझौते के तहत इसके सभी सदस्य यानि तीस देश यूक्रेन को सैन्य बल देंगे और एक साथ मिल कर रूस पर हमला भी कर पाएंगे।यूक्रेन के नाटो से जुड़ने की इच्छा के पीछे एक बड़ी वजह है। यूक्रेन कभी भी अपने बलबूते रूस का सामना नहीं कर पाएगा। यूक्रेन के पास रूस जैसी विशाल सेना और आधुनिक हथियार मौजूद नहीं हैं। 2.9. मिलियन से अधिक सैन्य बल वाले रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन के पास साधन नही हैं। इसलिए अपनी स्वतंत्रता की खातिर यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है।

रूस और यूक्रेन विवाद में अमेरिका की भूमिका (Russia and Ukraine War 2022 UK)

रूस और यूक्रेन संबंधित विवाद में अमेरिका की बड़ी भूमिका है। रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका ने तीन हज़ार सैनिक यूक्रेन की धरती पर भेजा है। कहा जा रहा है कि अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करने की बात की है। कुछ सूत्रों की माने तो अमेरिका अफगानिस्तान और ईरान में मिली नाकामी को भुनाने के लिए इस मुद्दे को तूल दे रहा है। अफगानिस्तान से सेना बुलाने के बाद अमेरिका के सुपर पावर इमेज को धक्का लगा है। इस प्रकरण के बाद अमेरिका अपनी छवि सुधारने में लगा है।

जैसा की हमने आपको बताया की रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे विवाद में अमेरिका का भी भूमिका है. दरअसल हालही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने विश्व को संबोधित करते हुए ये कहा है कि रूस अब वेस्ट कंट्रीज के साथ व्यापार नहीं कर सकता है, और वहां से उसे जो सहायता मिलती है वह भी मिलनी बंद हो जाएगी. और साथ ही रूस की 2 वित्तीय संस्थानों में प्रतिबध भी लगा दिया गया है. और साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि रूस पीछे नहीं हटता है तो वह अगले फैसले के लिए तैयार रहे.

रूस और यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति (Russia and Ukraine Graphical Situation)

रूस यूक्रेन से 28 गुना ज्यादा बड़ा है। जनसंख्या के मामले में भी यूक्रेन रूस से मात खाता है। रूस और यूक्रेन दोनो ही गैस और तेल संबंधी रिसोर्सेज में धनी हैं। यूक्रेन बेलारूस, ब्लैक सी, सी ऑफ अजोव, हंगरी, मोल्दोवा, रोमानिया, रूस, पोलैंड और स्लोवाकिया से अपनी सीमाएं बांटता है। अतः इसकी लोकेशन काफी महत्वपूर्ण है।

रूस और यूक्रेन विवाद का विश्व पर असर (Russia and Ukraine War Impact on the World)

अमेरिका के अलावा ब्रिटेन एवं फ्रांस जैसे देशों ने यूक्रेन को अपना समर्थन दिया है। हालांकि यूरोपीय देशों का एक बड़ा वर्ग गैस संबंधी जरूरतों के लिए रूस पर आश्रित है। आगे रूस इन्हे गैस देने से मना कर देगा तो पावर क्राइसिस उत्पन्न हो जाएगी। ऊर्जा संकट के उत्पन्न होने पर रूस फिर मनमाने दाम में गैस पहुंचा पाएगा। इसके साथ ही आपको बता दे कि यूक्रेन का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर रूस है। इन दोनो के मध्य उत्पन्न तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर युद्ध होता है तो गैस से जुड़ा संकट अवश्य देखने को मिलेगा।

रूस और यूक्रेन विवाद 10 बिंदुओं में जानिए पूरा मामला

  • यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था।
  • रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।
  • यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा। इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।
    2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था।
  • इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ।
  • 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया।
  • हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी।
  • अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
  • आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब यदि नाटो ने रूस पर जवाबी कार्रवाई की और योरप के अन्य देश इस जंग में कूदे तो तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा।

चीन ने किया है खुलकर रूस का समर्थन (China Russia Relations)

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia China War) में चीन के रुख की खूब चर्चा हो रही है। चीन ने खुलकर रूस का समर्थन (China Russia
Relations) किया है। लेकिन, उसके यूक्रेन के साथ भी मजबूत राजनयिक और व्यापारिक संबंध हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने तो रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों (US Sanctions on Russia) को लेकर अमेरिका को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। चीन का दावा है कि अमेरिका पूर्वी यूरोप में जारी तनाव की आड़ में भय और दहशत का माहौल बना रहा है।

बड़ी बात यह भी है कि यूक्रेन से जारी तनाव के बीच फरवरी में ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। जिसके बाद चीन ने यूक्रेन संकट को लेकर रूस का खुला समर्थन किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि यूक्रेन रूस विवाद में चीन का क्या महत्व है।

चीन के यूक्रेन से सैन्य और व्यापारिक संबंध

बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर लियोनिंग को यूक्रेन से ही खरीदा था। चीन अपने युद्धपोतों के लिए गैस टरबाइन इंजन और विमानों के लिए जेट इंजन का आयात भी यूक्रेन से करता है। रूस और यूक्रेन दोनों देशों के लिए चीन कच्चे माल का सबसे बड़ा स्रोत भी है। चीन और यूक्रेन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के जरिए रेलवे और पोर्ट के डेवलपमेंट से जुड़े कई प्रॉजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे हैं। चीन अपने सूअरों को खिलाने के लिए हर साल यूक्रेन से भारी मात्रा में मक्के की खरीदारी भी करता है। चीन के कुल मक्के के आयात का 90 फीसदी हिस्सा अकेले यूक्रेन से आता है।

यूक्रेनी विमान इंजन निर्माता कंपनी को खरीदना चाहता था चीन

एक साल पहले चीन ने यूक्रेन की विमान इंजन निर्माता कंपनी मोटर सिच पर कब्जा करने के लिए चाल भी चली थी। लेकिन, अमेरिका और रूस ने चीन के इस प्लान को फेल कर दिया था। मोटर सिच दुनिया की जानी मानी विमान इंजन निर्माता कंपनी है। इस कंपनी ने रूसी एमआई हेलिकॉप्टर, एंटोनोव एयरक्राफ्ट सहित कई विमानों के लिए इंजन बनाए हैं।

इस कंपनी के बने इंजनों को भारतीय वायुसेना भी अपने हेलिकॉप्टरों और एयरक्राफ्ट में इस्तेमाल करती है। चीन अपने जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट को ताकतवर बनाने के लिए एक शक्तिशाली इंजन की तलाश कर रहा था। चूंकि, लड़ाकू विमानों के इंजन की तकनीकी बहुत जटिल होती है और चीन के पास ऐसा कोई इंजन नहीं है जो जे-20 को उतनी ताकत दे सके जितना ड्रैगन चाहता है। इसके लिए चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साजिश रची थी।

रूस के साथ भी व्यापार बढ़ा रहा चीन

चीन और रूस के बीच भी काफी घनिष्ठ संबंध हैं। दोनों देश अमेरिका को खतरे के रूप में देखते हैं। यही कारण है कि चीन और रूस पिछले कुछ साल में एक दूसरे के काफी करीब आए हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों की काट खोजने के लिए दोनों देशों ने अपने व्यापार को भी काफी बढ़ाया है।

पिछले साल चीन और रूस के बीच कुल 140 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। रूस के कुल निर्यात का 70 फीसदी हिस्सा तेल-गैस और खनिज से जुड़ा हुआ है। हाल में ही पुतिन के रूस दौरे के समय बीजिंग ने मॉस्को से बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस खरीदने का समझौता भी किया है। अकेले दोनों देशों के बीच गैस का व्यापार 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है। ऐसे में कहा जा रहा है कि रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण यूरोपीय देशों को गैस न बेचकर अब एशियाई देशों में नए खरीदार ढूंढ रहा है।

This Is Where India Stands In The Russia Ukraine Conflict - Russia Ukraine  War: रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत का आधिकारिक रुख क्या है? - Amar Ujala Hindi  News Live

रूस और यूक्रेन विवाद पर भारत की प्रतिक्रिया (Russia and Ukraine War India’s Reponse)

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. कई देश खुलकर यूक्रेन के समर्थन में आ गए हैं. लेकिन दो दोस्तों के युद्ध की वजह से धर्म संकट में है भारत, ऐसे में भारत की रणनीति स्पष्ट है, नजर पूरी स्थिति पर है लेकिन किसी एक देश का समर्थन करने से बच रहा है. भारत पूरी तरह न्यूट्रल खेल रहा है.

हालांकि यूक्रेन की मांग है. भारत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करे . यूक्रेन की इस मांग पर भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है  

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