संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस 2021 का महत्व निबंध

आस्था
Sanskrit the ancient language

संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस 2021 का महत्व निबंध

संस्कृत भाषा (Sanskrit Language Day) भारत देश की सबसे प्राचीन भाषा है, इसी से देश में दूसरी भाषाएँ निकली है। सबसे पहले भारत में संस्कृत ही बोली गई थी। आज इसे भारत के 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

उत्तराखंड राज्य की यह एक आधिकारिक भाषा है. भारत देश के प्राचीन ग्रन्थ, वेद आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी. यह भाषा बहुत सी भाषा की जननी है,

संस्कृत दिवस की शुरुआत – Sanskrit Day Date 2021

भारतीय कैलेंडर के अनुसार संस्कृत दिवस भारत में प्रतिवर्ष ‘श्रावणी पूर्णिमा’(सावन माह की पूर्णिमा ) के दिन मनाया जाता है। संस्कृत दिवस (Sanskrit Language Day) की शुरुआत 1969 में हुई थी. इस बार संस्कृत दिवस 22 अगस्त 2021, को है रक्षाबंधन का त्यौहार भी सावन माह की पूर्णिमा को आता है, इसका मतलब राखी और संस्कृत दिवस एक ही दिन आता है।

श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को “ऋषि पर्व” और “संस्कृत दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

सन 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था।

प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है।

संस्कृत दिवस – Sanskrit Language Day

संस्कृत दिवस (Sanskrit Language Day) पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इसके मनाने का उद्देश्य यही है कि इस भाषा को और अधिक बढ़ावा मिले. इसे आम जनता के सामने लाया जाये, हमारी नयी पीढ़ी इस भाषा के बारे में जाने,

और इसके बारे में ज्ञान प्राप्त करे. आजकल के लोगों को लगता है, संस्कृत भाषा पुराने ज़माने की भाषा है, जो समय के साथ पुरानी हो गई, इसे बोलने व पढने में भी लोगों को शर्म आती है। लोगों की इसी सोच को बदलने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

संस्कृत की उत्पत्ति – Sanskrit Language Day

हिंदू धर्म में संस्कृत को प्राचीन भाषा के रूप में माना जाता है, संस्कृत भाषा को देव-वाणी (‘देव’ देवता – ‘वाणी’ भाषा) कहा जाता है । क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न किया गया था।

हिन्दू धर्म के लगभग सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत भाषा (Sanskrit Language Day) में ही लिखे हुए हैं। आज भी हिन्दू धर्म के यज्ञ और पूजा संस्कृत भाषा में ही होते हैं।

वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं।

संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद भी संस्कृत में रचित है।

वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के भंडारकर ‘ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है।

यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।

1.ऋग्वेद : ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान। ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र हैं। इस वेद की 5 शाखाएं हैं – शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।

इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ चिकित्सा जानकारी मिलती है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है।

ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।

2.यजुर्वेद : यजुर्वेद का अर्थ : यत् + जु = यजु। यत् का अर्थ होता है गतिशील तथा जु का अर्थ होता है आकाश। इसके अलावा कर्म। श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा।

यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्व ज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रह्माण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। यह वेद गद्य मय है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य मंत्र हैं।

इस वेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण

कृष्ण : वैशम्पायन ऋषि का सम्बन्ध कृष्ण से है। कृष्ण की चार शाखाएं हैं।

शुक्ल : याज्ञवल्क्य ऋषि का सम्बन्ध शुक्ल से है। शुक्ल की दो शाखाएं हैं। इसमें 40 अध्याय हैं। यजुर्वेद के एक मंत्र में च्ब्रीहिधान्यों का वर्णन प्राप्त होता है। इसके अलावा, दिव्य वैद्य और कृषि विज्ञान का भी विषय इसमें मौजूद है।

3 सामवेद : साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। सामवेद गीतात्मक यानी गीत के रूप में है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है।

1824 मंत्रों के इस वेद में 75 मंत्रों को छोड़कर शेष सब मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं। इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसमें मुख्य रूप से 3 शाखाएं हैं, 75 ऋचाएं हैं।

4 अथर्वदेव : थर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। ज्ञान से श्रेष्ठ कर्म करते हुए जो परमात्मा की उपासना में लीन रहता है वही अकंप बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्ष धारण करता है।

इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसके 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है। इसके आठ खण्ड हैं जिनमें भेषज वेद और धातु वेद ये दो नाम मिलते हैं।

संस्कृत भाषा के दो रूप माने जाते हैं वैदिक या छांदस और लौकिक। चार वेद संहिताओं की भाषा ही वैदिक या छांदस कहलाती है। इसके बाद के ग्रंथों को लौकिक कहा गया है।

दूसरी भाषाओ पर इसका असर (Impact on other languages) भाषाएँ जैसे कन्नड़ और मलयालम। इसने चीन-तिब्बती भाषाओं को संस्कृत में बौद्ध ग्रंथों के प्रभाव और उनके अनुवाद और प्रसार के साथ प्रभावित किया है।

एक भाषा के रूप में तेलुगु को अत्यधिक रूप से संस्कृत माना जाता है, जिसमें से उसने कई शब्दों को उधार लिया है। इसने चीनी भाषा को प्रभावित किया है क्योंकि चीन ने संस्कृत के कई लेकिन विशिष्ट शब्दों को उठाया है। इसके अलावा, थाईलैंड और श्रीलंका संस्कृत से बहुत प्रभावित हुए हैं और कई समान शब्द हैं।

संस्कृत भाषा का महत्व – Sanskrit Language Mahatv and information 

संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है।संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है। यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है।

भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत (Sanskrit Language Day) में ही लिखे गए है।संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है,

और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है । कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

संस्कृत दिवस मनाने का तरीका – Sanskrit Day Celebrated

सरकार संस्कृत भाषा (Sanskrit Language Day) को बढ़ावा देने के लिए अपने इस कार्यक्रम से स्कूल, कॉलेज को भी जोड़ती है. स्कूल कॉलेज में अलग अलग कार्यक्रम होते है. शहर के सभी स्कूलों के बीच संस्कृत भाषा में निबंध, श्लोक, वाद-विवाद, गायन, पेंटिंग की प्रतियोगिता होती है।

कुछ सामाजिक संसथान व मंदिरों के द्वारा भी इस दिन कार्यक्रम कराये जाते है. संस्कृत की रचना, श्लोक, पुस्तक लोगों में बाँटें जाते है। सरकार के द्वारा संस्कृत की भाषा को बढ़ाने के लिए किसी नई योजना की घोषणा होती है।

संस्कृत की वर्तमान स्थिति

संस्कृत की वर्तमान स्थिति (current situation of Sanskrit) वर्तमान में संस्कृत भाषा अब ग्रंथो में सिमट के रह गयी है ऐसा दावा किया जाता है की भारत के कुछ गाँवो में आज भी यह भाषा बोली जाती है । किन्तु इसकी पुष्टि करना कठिन है।

आज भी भारत में मंदिरों और घर में की जाने वाली पूजा में संस्कृत के श्लोको का उच्चारण किया जाता है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ की 95 प्रतिशत लोग इन श्लोको का अर्थ नहीं जानते है।

वह इन श्लोको का मंत्रो उच्चारण केवल अपने आराध्य की पूजा के लिए करते है। अच्छी बात यह की हम सभी इससे शांति का अनुभव करते है।

संस्कृत भाषा (Sanskrit Language Day) को एक विषय के रूप में भारत में ही नहीं दुनिया के अन्य देशो में भी पढ़ाया जा रहा है। संस्कृत में लिखे गए वेदो, महाकाव्यों और साहित्य को दुनिया की सभी भाषाओ में अनुवाद कर अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचने की जरूर है।

जो छात्र संस्कृत भाषा (Sanskrit Language Day) का अध्यन कर रहे है उनसे से हम उम्मीद करते है की वह आने वाले भविष्य में इन ग्रंथो को अनुवादित कर लोगो पहुंचेंगे।

कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बदले वाणी

(1 कोश = 3 से 4 km, 4 कोस या कोश = 1 योजन = 13 km से 16 km, )

ऐसा कहा जाता है की पानी हर कोस पर बदल जाता है वही भाषा 4 कोस पर बदल जाती है किन्तु संस्कृत एक ऐसी भाषा है जिसे दुनिया भर में एक सामान उच्चारण के साथ बोला जाता है ।

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