Saussurea obvallata in hindi | Brahma Kamal in Hindi | Brahma Kamalam Flower in hindi | health benefits of brahma kamal in hindi | benefits of Saussurea obvallata in hindi

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health benefits of brahma kamal in hindi

Saussurea obvallata in hindi | Brahma Kamal in Hindi | Brahma Kamalam Flower in hindi | health benefits of brahma kamal in hindi | benefits of Saussurea obvallata in hindi

Saussurea obvallata in hindi : ब्रह्मकमल ब्रह्म कमल (Brahma Kamal) पुष्प का हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व है। विशेष रूप से ये भारत के उत्तराखंड का एक स्वदेशी फूल है, जिसका वैज्ञानिक नाम सासेरिया ओबोवेलटा (Saussurea obvallata in hindi) है। डहलिया, गेंदा, गोभी, सूर्यमुखी, कुसुम और भृंगराज भी इसी कुल के अन्य मुख्य पौधे हैं।

इस फूल को कई नामों से जाना जाता है जैसे- हिमाचल में दूधाफूल, उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस और कश्मीर में गलगल। उत्तराखंड में इसे राज्य पुष्प भी कहते हैं। राज्य के कुछ हिस्सों में इस फूल (Brahma Kamal) की खेती की जाती है और बहुत कम समय के लिए ये दिखता है।

उत्तराखंड में पिंडारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ में भी इस फूल को देख सकते हैं। इस फूल के कई लाभ हैं साथ ही इस पर कई शोध भी हुए हैं। इस फूल का कई औषधियां बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। यही वजह है कि उत्तराखंड में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है।

ब्रह्मकमल ब्रह्म कमल (Brahma Kamal) की 24 प्रजातियां उत्तराखंड राज्य में मिलती है, इसे उत्तराखंड में कौल पद्म नाम से भी जाना जाता है, कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है, की इस फूल (Saussurea obvallata in hindi) का नाम सृष्टि के देवता ब्रह्मा के नाम पर पड़ा है।इसके अलावा ब्रह्म कमल की पुरे संसार में लगभग 210 प्रजातियां पाई जाती है

 

Brahma Kamal in Hindi
Brahma Kamal in Hindi

ब्रह्म कमल का धार्मिक महत्व | benefits of Saussurea obvallata in hindi

ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata in hindi)  या ब्रह्म कमलम (Brahma Kamal) एक स्थानीय और दुर्लभ फूल की प्रजाति है जो मुख्य रूप से भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। इस फूल को ‘हिमालयी फूलों के राजा’ के रूप में भी जाना जाता है। स्टार जैसा दिखने वाला यह फूल बहुत की खूबसूरत है।

ब्रह्मकमल (Brahma Kamal)  का अर्थ है ‘ब्रह्मा का कमल’ और उनके नाम पर ही इसका नाम ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata) रखा गया । ऐसा माना जाता है कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो इसे खिलते समय देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।

इस फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है। इसमें यह 8 इंच तक खिल जाता है। यह सिर्फ कुछ घंटे तक ही खिला रहता है। कुछ घंटों बाद ये बंद हो जाता है जिस समय यह पुष्प खिलता है उस समय वहां का वातावरण सुगंधित से भर जाता है ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata) की खुशबू या गंध बहुत तीक्ष्ण- तेज होती है।

यह फूल मानसून के मध्य के महीनों ( केवल सितंबर महीने) के दौरान खिलता है। सितम्बर, अक्टूबर में इसमें फल बनने लगते हैं। इसका जीवन 5 या 6 महीने का होता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है। इसलिए इसे नंदाअष्टमी में तोड़ा जाता है।

ब्रह्म कमल के फायदे

​लिवर के लिए एक्सीलेंट टॉनिक है ब्रह्मकमल – ब्रह्म कमल के खांसी और सर्दी के इलाज से लेकर यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तक कई अद्भुत औषधीय लाभ हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata) दिखने में भले ही आकर्षक हो लेकिन इसकी गंध बहुत तेज और कड़वी होती है।

अपने इसी गुण के कारण यह फूल एक एक्सीलेंट लिवर टॉनिक है। यह लिवर पर फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। ब्रह्म कमल के फूल (Saussurea obvallata) से तैयार सूप लिवर की सूजन (inflammation) का इलाज करने और शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद कर सकता है।

ब्रह्मकमल सेक्सुअल हेल्थ को मेंटेन करता है – ब्रह्मकमल यौन स्वास्थ्य (sexual health) को मेंटेन करने में भी मददगार है। एक शोध के अनुसार, ब्रह्म कमलम फूल (Brahma Kamalam flower) बैक्टीरिया के चार स्ट्रेन और फंगस के तीन स्ट्रेन के खिलाफ रोगाणुरोधक (antimicrobial properties) गुण रखता है।

बैक्टीरिया के स्ट्रेन में S.aureus और E.coli शामिल हैं, जो यूरिनरी ट्रेक इंफेक्शन (urinary tract infection) के संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जबकि फंगस स्ट्रेन में C. albicans शामिल हैं, जो जननांग यानी प्राइवेट पार्ट में खमीर संक्रमण (genital yeast infection) का कारण बनते हैं। इसलिए, ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata) का फूल जननांग के संक्रमण का इलाज करने और अच्छे यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

ब्रह्मकमल बुखार के इलाज में मदद करता है – ब्रह्मकमल में ज्वरनाशक (antipyretic properties) गुण होते हैं, जिसका अर्थ है कि यह बुखार का इलाज करने में मदद करता है। हालांकि इस क्षेत्र में अभी और अधिक शोध की नहीं हुए है। कई अध्ययनों में बुखार के इलाज में ब्रह्म फूल के पारंपरिक उपयोग का जिक्र किया गया है, इसका काढ़ा दिन में दो बार पीने से फीवर में राहत मिलती है।

ब्रह्मकमल​ खांसी और सर्दी को दूर करने में असरदार- ब्रह्मकमल पौधे के फूल व पत्ते खांसी और सर्दी (cough and cold) के इलाज में मददगार साबित कर सकते हैं। फूल के एंटी इन्फ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटी माइक्रोबियल (antimicrobial) गुण श्वसन मार्ग (respiratory tract) में होने वाली सूजन को कम करने और माइक्रोबेस को रोकने में मदद कर सकते हैं, इसलिए खांसी और सर्दी का इलाज कर सकते हैं। ब्रह्मा फूल अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी अन्य श्वसन समस्याओं के इलाज में भी हेल्प करता है।

ब्रह्मकमल ​घावों को भरने में मदद करता है – ब्रह्मकमल में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं और इसलिए यह चोटों के घाव भरने को ठीक करने में मदद कर सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जब घावों पर लगाया जाता है, तो फूल उस क्षेत्र से चिपक जाता है और उसे सील कर देता है, जिससे रक्तस्राव (Bleeding) बंद हो जाता है

और इसके उपचार में मदद मिलती है। इसके अलावा यह तंत्रिका विकारों (nervous disorders) का इलाज करने में भी सहायक है। इस फूल में एसिटिन नामक एक फ्लेवोन होता है जो एक प्राकृतिक एंटी कॉन्वेलसेंट है। ब्रह्मा फूल (Saussurea obvallata) में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जैसे एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड्स, टरपेनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, सैपोनिन्स जो एक अच्छे तंत्रिका तंत्र को बनाए रखने में भी मदद कर सकते हैं।

Saussurea obvallata

ब्रह्म कमल के फायदे 

  • ब्रह्म कमल शरीर में ब्लड प्यूरीफाई यानी खून साफ करने में मदद करता है।
  • यह प्लेग के इलाज में उपयोगी है।
  • सांप के काटने का इलाज कर सकते हैं।
  • गठिया के लिए एक उपाय के रूप में कार्य कर सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए सहायक।
  • हृदय विकारों के इलाज में मदद करें।

इस फूल का जब खिलने का मौसम आता है, तो स्थानीय लोग ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata) को तोड़कर मंदिरो तक पहुंचाते है। इस फूल की बिक्री पर प्रतिबन्ध होने के बाबजूद भी इसे तीर्थयात्रियों को बेचा जाता है। वतमान में ब्रह्मकमल (Brahma Kamal)  ख़त्म होने की कगार पर है,

क्योकिं जैसे ही इसके फूल खिलते है, तुरंत तोड़ लिए जाते है। जिससे की फूलों से बीज नहीं बन पाते है। इस प्रकार इसकी प्रजातियां ख़त्म होने की कगार पर है।ब्रह्मकमल पुष्प (Brahma Kamal) की कोई जड़ नहीं होती यह पत्तो से ही पनपता है यानी इसके पत्तों को बोया जाता है।ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata) के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है।

इसे अधिक पानी और गर्मी से बचाना जरूरी है। भारत में Epiphyllum oxypetalum ब्रह्म कमल तथा उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। जिसमें ब्रह्मकमल का सर्वोच्च स्थान है।

ब्रह्म कमल की कहानी

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णुजी ने हिमालय क्षेत्र केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पर 1008 शिव नामों से 1008 ब्रह्मकमल पुष्पों ( एक हजार ब्रह्मकमल चढ़ाये ) से शिवार्चन किया,

लेकिन इसमें से एक पुष्प कम था। तब विष्णु भगवान ने पुष्प के रुप भगवान् शिव को अपनी एक आँख समर्पित की थी। उस समय से भगवान् शिव को कमलेश्वर के नाम से और विष्णु भगवान को कमलनयन के नाम से जाना जाता है।

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