Shardiya Navratri 2020 : 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) 2020: मां दुर्गा घर आ रही हैं



शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) का समय निकट आ गया है इन दिनों (Shardiya Navratri) घरो से लेकर मंदिरों तक और अनेक शहरों में पंडालों में भी मां दुर्गा के जयकारे गूंजते है ।
हालांकि पूरा विश्व अभी कोविड-19 से जंग लड़ रहा है लेकिन भक्तो में माँ के प्रति श्रद्धा से ही शारदीय नवरात्रि माँ के जयकारो के साथ सराबोर हो जायेगी इस वर्ष शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2020) 17 अक्टूबर से आरंभ होने वाली है.जो 25 अक्टूबर तक चलेंगी।
जानिए शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri )तिथि और दिन के अनुसार पूजा की सम्पूर्ण विधि
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri )
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) 2020: शारदीय नवरात्रि पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र पर्व शुरू होता है जो नवमी तिथि तक रहता हैं। नवरात्र का यह पर्व माँ की शक्ति और भक्तो की भक्ति एवं उपासना का त्योहार है, जिसमें मां के भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करते हुए नौ दिनों तक मां के नाम का व्रत रखते हैं
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक बतायाजा रहा है।तथा घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
धर्मग्रंथ एवं पुराणों के में कहा गया है की शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के इन पावन नो (9)दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जो अपने भक्तों को सुख- शान्ति,धन वैभव,शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है। नवरात्रि का प्र्तेक दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है
कलश स्थापना की विधि



सबसे पहले एक पात्र लें,उस पात्र में मिट्टी बिछाएं या मंदिर के समीप फर्स पर मिट्टी बिछाएं । अब इस मिट्टी पर जौ के बीज डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालें। अब इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें। अब एक कलश लें।
इस पर स्वस्तिक बनाएं। फिर मौली या कलावा बांधें। इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें। इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें।
साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें। इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं। कलश के ढक्कन पर चावल डालें। देवी का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं। अब एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें। कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें। नारियल को पूर्व दिशा में रखें।
नवरात्र पूजा सामग्री
माँ के सोलह श्रींगार लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप और अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, कलश, चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे आदि ।
नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों का नाम एवं पूजा महत्व
प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इसी दिन घटस्थापना की जाती है। पर्वतरात हिमालय की पुत्री होने से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
माँ का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। इनकी उपासना से साधक को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान लगाने से अच्छे गुण और संयम की भावना मन में विकसित होती है।
तृतीय दिन मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि के तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। माता है यह तीसरा स्वरूप है। इनकी आराधना से चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिलती है
चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा
नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्माण्डा की आराधना का दिन होता है। देवी कूष्मांडा भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु,यश,बल और बुद्धि प्रदान करती हैं
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा
स्कंदमाता का स्वरूप मां का पांचवां रूप होता है। स्कंदमाता की साधना से आरोग्य, बुद्धिमता तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है। विद्या प्राप्ति,अध्ययन,मंत्र एवं साधना की सिद्धि के लिए माँ स्कंदमाता का ध्यान करना चाहिए।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा
देवी के इस स्वरुप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। जिन जातकों का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं वे विशेष रूप से माँ कात्यायनी की उपासना करें
सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा
देवी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि का है। माँ कालरात्रि की पूजा से ग्रह-बाधा भी दूर होती हैं। तंत्र सिद्धि प्राप्त करने हेतु इनकी पूजा की जाती है।
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती हैं। ऐसे में नवरात्रि के आठवें दिन धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए महागौरी उपासना की जानी चाहिए।
नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं। मान-सम्मान और यश के लिए माँ सिद्धिदात्री की उपासना विशेष फलदायी है।