Shikara The untold story of Kashmiri Pandit’s

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Kashmiri Pandits
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Endless pain of Kashmiri pandits.

The untold story of Kashmiri Pandit’s

1990 में जो कुछ कश्मीरी हिन्दुओ के साथ हुआ उसको बया नहीं किया जा सकता, इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के कारण लगभग 4 लाख कश्मीरी पंडितो को अपना घर परिवार छोड़ कर देश के अलग अलग हिस्सों में शरण लेनी पड़ी, और वह 30 सालो से इस पीड़ा को झेल रहे है, कट्टरपंथियों ने उनकी महिलाओ के साथ दुष्कर्म किया पुरुषो और बच्चो का नरसंहार किया तथा उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बनने कर रहने पर मजबूर होना पड़ा। केंद्र और राज्य सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की, ना किसी  ने उनके हक़ में आवाज उठाई।

कश्मीरी पंडितो के नाम इस्तेमाल केवल शिकारा की पब्लिसिटी और पैसे कमाने लिए के किया गया 

डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने शिकारा मूवी बनायी जिसका शीर्षक दिया Shikara, An untold story of Kashmiri Pandits जिन लोगो ने वो दर्द सहा था उन्हें लगा की शायद इस मूवी मे उनके पलायन और उनके नरसंहार को दिखाया जायेगा किन्तु बॉलीवुड से इस तरह की उम्मीद करना ही बेमानी है।

इस तरह के आरोप लगाए जा रहे है की विधु विनोद चोपड़ा ने कश्मीरी पंडितो का नाम केवल मूवी की पब्लिसिटी और पैसे कमाने के लिए के लिए इस्तेमाल किया है, जो की बहुत ही शर्मनाक है. वो इस मूवी को अपनी अन्य फिल्मो की तरह भी प्रमोट कर सकते थे जैसे की Shikara, An untold love story किन्तु उन्होंने अपनी मूवी के प्रमोशन के लिए कश्मीरी पंडितो का सहारा लिया जो की शर्मनाक है।

कश्मीरी पंडितों की कहानी संक्षिप्त में

सन 1948 में कश्मीर में आर्टिकल 370 लागू किया गया और कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार दिए गए।

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ पटेल और डॉ. भीम राव आंबेडकर ने इसका विरोध किया।

डॉ. भीम राव आंबेडकर ने भारतीय संविधान को ड्राफ्ट किया किन्तु आर्टिकल 370 को ड्राफ्ट करने से मना कर दिया. क्योकि वो ये मानते थे की यह भारत की एकता के खिलाफ है।

वह जानते थे की इसका अंजाम क्या हो सकता है और उनका ये डर सामने आया 1990 साल।

1990 में कश्मीर में पंडितो के खिलफ उग्र प्रदर्शन होने लगे मस्जिदों से लाउड स्पीकर पर हिन्दुओ को कश्मीर छोड़ने के लिए बोला जाने लगा. उर्दू अखबारों में खुलेआम  विज्ञापन छपने लगे  पंडितो कश्मीर छोड़ो और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान. भीड़ सड़को पर जुटने लगी

उस समय दिल्ली में Janata Dal (National Front) की सरकार थी और देश के 7 वे प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद थे।

कश्मीरी पंडितो ने सरकार से मदद की गुहार लगाई किन्तु उनको कोई सुरक्षा नही दी गयी.और हालात खराब होने लगे कश्मीरी पंडितो की महिलाओ के और बेटियों के साथ दुष्कर्म और पंडितो महिलाओ और बच्चो की हत्याए होने लगी. आखिरकार 19 -20 जनवरी 1990 की रात को कश्मीरी हिन्दुओ ने घाटी को छोड़ दिया, सरकारी आकड़ो के अनुसार मरने वालो की संख्या 250 से 300 तक थी. पर जानकारों के अनुसार यह संख्या 1000 से अधिक बताई जाती है।

आज भी कश्मीरी पंडित  शरणार्थी कैम्पों में रह रहे है।

Book Our Moon Has Blood Clots: The Exodus of the Kashmiri Pandits

हम आयेंगे अपने वतन

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