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Shivratri 2022 | shivratri | shivratri 2022 date | maha shivratri 2022 | shivratri pujan vidhi | shivratri vrat vidhiमहाशिवरात्रि: जानें व्रत के नियम और विधि-विधान

महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मनाई जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (भोले भंडारी) और माता पार्वती का विवाह (परिणय सूत्र) हुआ था। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से मनुष्य के समस्त कष्ट मिट जाते हैं एवं सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वर्ष 2020 में महाशिवरात्रि 21 फरवरी (शुक्रवार) के दिन मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता हैं कि किसी भी व्यक्ति की कोई भी इच्छा या मनोकामना इस दिन व्रत, पूजा – अर्चना करने से पूर्ण हो जाती है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए पूजा कैसे करे और पूजा में क्या-क्या सामग्री शंकर जी को अर्पित करनी चाहिये हम आपको https://sangeetaspen.com के माध्यम से बता रहे है। ​

महाशिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त :–

महा शिवरात्रि 2022 तारीख?

इस साल महा शिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी।

महा शिवरात्रि 2022 चतुर्दशी तिथि का समय?

चतुर्दशी तिथि 1 मार्च को सुबह 3:16 बजे शुरू होती है और समाप्त होती है
2 मार्च को दोपहर 1:00 बजे।


महा शिवरात्रि 2022 पूजा का समय या पूजा शुभ मुहूर्त?

महा शिवरात्रि पर शिव पूजा निष्ठा काल या आधी रात के दौरान की जाती है।
निशिता काल पूजा का समय 2 मार्च को दोपहर 12:08 बजे से 12:58 बजे के बीच है।
हालाँकि, एक भक्त निशिता काल या किसी भी / सभी चार प्रहरों (समय की एक इकाई) के दौरान शिव पूजा कर सकता है।

महा शिवरात्रि पूजा के लिए प्रहर का समय इस प्रकार है:

प्रहर 1 6:21 अपराह्न से 9:27 अपराह्न (1 मार्च)
प्रहर 2 9:27 अपराह्न (11 मार्च) से 12:33 पूर्वाह्न (2 मार्च)
प्रहर 3 12:33 पूर्वाह्न से 3:39 पूर्वाह्न (2 मार्च)
प्रहर 4 3:39 पूर्वाह्न से 6:45 पूर्वाह्न (2 मार्च)

महाशिवरात्रि: पूजा सामग्री

भगवान शिव की पूजा में भांग, धतूरा, चन्दन, रोली, चावल, कपूर, मौली, बेलपत्र, केसर, शहद, गाय का दूध, दही, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, शमी पत्र, रत्न-आभूषण, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा और जल, दूध और बेल पत्र चढ़ाकर भक्‍त शिव शंकर को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं। मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं उनको महादेव की विशेष कृपा मिलती है।

यही कारण है कि भगवान शिव शंकर को भोलेनाथ कहा गया है। आपको बता दें कि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि (Shivratri) को महाशिवरात्रि कहते हैं। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

महाशिवरात्रि: पूजा सामग्री विधि

ए​क स्व्च्छ पात्र में जल भरकर पंचामृत बनाएं तथा इसके बाद भगवान शिव को जल से अभिषेक करें और भांग, धतुरा, बेलपत्र, शमी का पत्ता, गाय का दूध, अक्षत्, लौंग, चंदन, कमलगट्टा, आदि पूजा सामग्री भगवान शिव को अर्पित करें नंदी को भी समस्त पूजन सामग्री चढ़ाएं जब आप ये सभी वस्तुए भगवान् शंकर को अर्पित करे उस समय ओम नम: शिवाय मंत्रोच्चार करते रहे।

और अब शिव चालीसा का पाठ करें इसके बाद गाय के घी या कपूर से भगवान शिव की आरती उतारें महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखना चाहिये अगर आप किसी कारणवश व्रत नहीं कर पाते है तो पूजा एवं  जलाभिषेक अवश्य करे तथा सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें हो. सके तो रात्रि में जागरण करे रात्रि जागरण में चार आरती का विधान है।

आप चाहे तो इस दिन शिव पुराण का पाठ कर सकते है यह उत्तम फलदायक होता है।

शिवरात्रि के दिन नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाखों करोड़ो हिंदु शिवरात्रि में दर्शन के लिए आते हैं।
हर साल हिमाचल प्रदेश के मंडी में शिवरात्रि का मेला आयोजित किया जाता है। जो यहाँ का प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है।

Image courtesy: news18 hindi

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