Shrikant Jichkr: India’s most qualified person

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Shrikant Jichkar
Shrikant Jichkr: India’s most qualified person, recorded in Limca Book

क्या आप जानते है सबसे शिक्षित भारतीय व्यक्ति (India’s most qualified person) को

आज यह शख्स हमारे बिच नहीं है, लेकिन फिर भी उनके जितना पढ़ा-लिखा भारत में और दूसरा कोई नहीं है। इस शख्स का नाम है श्रीकांत जिचकर ने 20 से अधिक डिग्री हासिल की थीं । कुछ रेगुलर डिग्रीया व कुछ पत्राचार के माध्यम से सभी डिग्रीया फर्स्ट क्लास, गोल्डमेडलिस्ट,लेकिन कुछ डिग्रियां उच्च शिक्षा में नियम ना होने के कारण उन्हें नहीं मिल पाई जबकि उन्होंने परीक्षा उन विषयो की दी थी।

 श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को महाराष्ट्र के नागपुर में संपन्न मराठा कृषक परिवार हुआ था। वह एक राजनेता भी थे। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल से की थी और मात्र 25 साल की उम्र में ही विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। और बाद में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। यही नहीं, बाद में वो लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद भी बने थे। 

श्रीकांत जिचकर का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है

डॉ श्रीकांत जिचकर को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के ‘सबसे योग्य व्यक्ति’ के रूप में नामित किया गया है। अनगिनत डिग्रियों के अलावा, वह एक चित्रकार, पेशेवर फोटोग्राफर और अभिनेता भी थे। वह भारत के सबसे शिक्षित व्यक्ति भी थे।

डॉ श्रीकांत जिचकर ने कई विषयों में शोध किया था। उन्होंने विज्ञान के साथ राजनीति, रंगमंच, पत्रकारिता में भी शोध किया था।कहा जाता है कि श्रीकांत जिचकर ने 1973 से 1990 के बीच 42 विश्वविद्यालयों (यूनिवर्सिटी) में पढ़ाई की थी और अपने जीवन के 24 वसंत पूरे होने से पहले ही 20 डिग्रियां हासिल की, इनमे ज्यादातर डिग्रियां प्रथम श्रेणी (FIST CLASS) की थीं या जिचकर ने उनमें गोल्ड मेडल हासिल किया था।

डॉ श्रीकांत जिचकर ने सबसे पहले एमबीबीएस की डिग्री ली। फिर उन्होंने एमएस की डिग्री लेना शुरू कर दिया, लेकिन इसे बीच में ही छोड़ दिया। इसके बाद, उन्होंने कानून का अध्ययन किया।

डॉ श्रीकांत जिचकर ने एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ) की पढ़ाई शुरू की। इसके बाद, उन्होंने एमबीए की डिग्री और फिर पत्रकारिता की डिग्री ली। डॉ श्रीकांत जिचकर ने दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री, मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री भी हासिल की। यही नहीं, उन्होंने संस्कृत में डी.लिट की उपाधि धारण की।

श्रीकांत को पढ़ाई का इतना अधिक शौक था कि उन्होंने अपने घर में एक बड़ी लाइब्रेरी बनायी थी, जिसमें 50 हजार से भी अधिक किताबें थीं। पढ़ाई के अलावा उन्हें एक्टिंग, पेंटिंग, फोटोग्राफी और अलग-अलग जगहों पर घूमने का भी बहुत शौक था।

श्रीकांत जिचकर ने 1978 में 25 वर्ष वर्ष की आयु में देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी (UPSC) परीक्षा भी पास की थी। और आईपीएस (IPS) बने थे।

हालांकि उन्होंने जल्द ही आईपीएस (IPS) के पद से त्यागपत्र दे दिया था। आईपीएस (IPS) के अलावा दोबारा यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा देकर वह आईएएस (IAS) भी बने थे, लेकिन चार महीने नौकरी करने के बाद उन्होंने उस पद से भी त्यागपत्र दे दिया था और 1980 में, राजनीति में आ गए थे।

1992 से लेकर 1998 तक बतौर राज्यसभा सांसद संसद की बहुत सी समितियों के सदस्य रहे,वहाँ भी महत्वपूर्ण कार्य किये। डॉ श्रीकांत जिचकर ने राजनीति में कदम रखते ही अनेक सफलताये हासिल की। उन्होंने अपने पास एक साथ 14 मंत्रालय रखे। वह ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के राजनेता बने।

1999 में भयंकर कैंसर लास्ट स्टेज का डायग्नोज हुआ,डॉक्टर ने श्रीकांत कहा आपके पास केवल एक महीने का समय है !

अस्पताल पर मृत्यु के करीब होने पर भी श्रीकांत ने जीने की आस नहीं छोड़ी, उसी दौरान कोई सन्यासी अस्पताल में उनसे मिलने आया उस सन्यासी ने श्रीकांत ढांढस बंधाया और संस्कृत भाषा, एवं शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया कहा तुम अभी नहीं मर सकते अभी तुम्हें बहुत काम करना है। और एक महीने में चमत्कारिक रूप से श्रीकांत जिचकर पूर्ण स्वस्थ हो गए

स्वस्थ होते ही राजनीति से सन्यास लेकर संस्कृत में डी.लिट. की उपाधि अर्जित की ! उनका कहना था की संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद मेरा जीवन ही परिवर्तित हो गया है ! मेरी ज्ञान पिपासा अब पूर्ण हुई है ! उनका एक ही सपना बन गया था, भारत के प्रत्येक घर में कम से कम एक संस्कृत भाषा का विद्वान हो तथा कोई भी परिवार मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार ना हो !

डॉ श्रीकांत जिचकर ने पुणे में संदीपनी स्कूल की स्थापना की,और इसके साथ ही नागपुर में कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसके पहले कुलपति भी डॉ श्रीकांत जिचकर ही बने !उनका पुस्तकालय किसी व्यक्ति का निजी सबसे बड़ा पुस्तकालय था । जिसमें 52000 के लगभग पुस्तकें थीं। यूट्यूब पर उनके केवल 3 ही मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो उपलब्ध हैं ।

यूट्यूब पर उनके केवल 3 ही मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो उपलब्ध हैं

अक्सर देखा गया है की ऐसे असाधारण प्रतिभा के धनि व्यक्ति, आयु के विषय में निर्धन ही होते हैं,अति मेधावी, अति प्रतिभाशाली व्यक्तियों का जीवन ज्यादा लंबा नहीं होता है, इनसे पूर्व भी शंकराचार्य, महर्षि दयानंद सरस्वती, विवेकानंद आदि अनेको प्रतिभावान व्यक्ति अधिक उम्र नहीं जी पाए ।

डॉ श्रीकांत जिचकरी का 2 जून 2004 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वह नागपुर से 40 किमी की दूरी पर NH 06 पर दुर्घटना का शिकार हो गए। वह इस दिन सिर्फ 50 साल के थे। लेकिन अपनी डिग्रियों की बदौलत वह आज भी ‘सबसे शिक्षित भारतीय’ कहलाए जाते हैं।   

संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार व Holistic health को लेकर उनका कार्य अधूरा ही रह गया ।

डॉ श्रीकांत जिचकरी डिग्रियां/ शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार थीं

MBBS,MD gold medalist,

LLB,LLM,

MBA,

Bachelor in journalism ,

संस्कृत में डी.लिट. की उपाधि यूनिवर्सिटी टॉपर ,

M. A इंग्लिश, M.A हिंदी, M.A हिस्ट्री, M.A साइकोलॉजी, M.A सोशियोलॉजी, M.A पॉलिटिकल साइंस, M.A आर्कियोलॉजी, M.A एंथ्रोपोलॉजी,

श्रीकान्तजी 1978 बैच के आईपीएस व 1980 बैच आईएएस अधिकारी भी रहे ।

1981 में महाराष्ट्र में विधायक बने।

1992 से लेकर 1998 तक राज्यसभा सांसद रहे ।

श्रीकांत जिचकर ने वर्ष 1973 से लेकर 1990 तक तमाम यूनिवर्सिटी के इम्तिहान देने में समय गुजारा ।

1980 में आईएएस की केवल 4 महीने की नौकरी कर इस्तीफा दे दिया।

26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के विधायक बने, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बने।

14 पोर्टफोलियो हासिल कर सबसे प्रभावशाली मंत्री रहे।

महाराष्ट्र में पुलिस सुधार किये ।

1992 से लेकर 1998 तक बतौर राज्यसभा सांसद संसद की बहुत सी समितियों के सदस्य रहे,वहाँ भी महत्वपूर्ण कार्य किये ।

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