Sologamy Marriage | what is sologamy and why more and more women are marrying themselves

Top News
Sologamy Marriage | what is sologamy
Sologamy Marriage | what is sologamy

Sologamy Marriage | what is sologamy and why more and more women are marrying themselves |more women are by choosing sologamy

Sologamy Marriage : हालिया दिनों में हर जगह सोलोगैमी (Sologamy) का जिक्र होते साफ देखा जा सकता है. सोलोगैमी के लिए गुजरात की रहने वाली क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) नामक महिला लगातार खबरों में बनी हुई है.

शादी से जुड़ी सारी तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। अब इंतजार 11 जून का है, जब क्षमा खुद के साथ ही शादी के फेरे लेगी।लेकिन, सोलोगैमी (Sologamy)  होती क्या है और हर तरफ इसकी चर्चा क्यों हो रही है? आइए जानते हैं और साथ ही इस बात से भी वाकिफ होते हैं कि क्यों ज्यादातर महिलाएं सोलोगैमी अपना रही हैं.

जैसे पालीगेमी को बहुविवाह कहते हैं, मोनोगेमी को एक विवाह कहते हैं, वैसे सोलोगैमी को स्व-विवाह कहते हैं।


क्या है सोलोगैमी

असल में सोलोगैमी (Sologamy)  का मतलब है किसी व्यक्ति का खुद से ही शादी कर लेना. सोलोगैमी (Sologamy) को ओटोगैमी भी कहते हैं. इसमें लड़की किसी दूल्हे के साथ वैवाहिक बंधन में न बंधकर खुद के साथ ही शादी के सूत्र में बंध जाती है।

सोलोगैमी (Sologamy) को अपनाने वालों का कहना है कि यह खुद का मूल्य समझने और खुद से प्यार (Self Love) करने की तरफ एक कदम है. इसे सेल्फ मैरिज (Self Marriage) भी कहा जा सकता है. इस तरह की शादी का चलन पश्चिमी देशों में काफी समय पहले से है।

सोलोगेमी की शुरुआत

सोलोगेमी (Sologamy) की शुरुआत पिछली सदी के अंतिम दशक में हुई थी। पहली बार लिंडा बेकर नाम की एक महिला ने 1993 में खुद से शादी की थी। हालांकि, भारत में इस तरह की शादी का चलन अभी तक देखने को नहीं मिला है। इसलिए क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) की होने वाली शादी ऐसी पहली शादी होगी।

भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार विवाह एक संस्कार और दो आत्माओं का मिलन है। पति और पत्नी के रूप में आजीवन साथ रहने की शुरुआत विवाह के पावन बंधन से होती है।

विवाह आपसी समझ और समन्वय से जुड़ा होता है, लेकिन जिस तरह आज के समय में शादियां टूट रही हैं वह सिसकते संस्कार और गिरते नैतिक मूल्यों का परिणाम है। सोलोगेमी (Sologamy)  आत्ममुग्धता का चरम है।

खुद से शादी करना और शादी नहीं करना दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं।लिहाजा इस तरह की शादी का कोई खास महत्व नहीं रह जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान न तो इसे मान्यता देता है और न ही समाज में इसकी व्यापक स्वीकार्यता है

वैश्विक तौर पर यह ज्यादातर महिलाओं के बीच प्रचलित है जिसका मतलब है कि महिलाएं इसे अपनाने की तरफ ज्यादा प्रमुख नजर आ रही हैं. गुजरात की रहने वाली क्षमा बिंदु 24 साल की हैं और आने वाली 11 जून को खुद से शादी करने जा रही हैं जिसमें वे अपनी मांग में सिंदूर भी भरेंगी और फेरे भी लेंगी.

क्षमा का कहना है कि वे कभी किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती थीं लेकिन उन्हें दुल्हन बनना था. क्षमा के लिए सोलोगैमी (Sologamy)  एक तरह की सेल्फ एक्सेप्टेंस (Self Acceptance) यानी खुद को अपनाने का एक तरीका है जिस चलते वे यह कदम उठाने जा रही हैं.

क्यों अपना रही हैं महिलाएं सोलोगैमी

ज्यादातर महिलाएं ही सोलोगैमी (Sologamy)  की तरफ क्यों बढ़ रही हैं या खुद से शादी क्यों कर हैं. असल में यह कदम उठाने के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं.

Sologamy Marriage | what is sologamy
Sologamy Marriage | what is sologamy

कई महिलाएं सोलोगैमी (Sologamy)  इस चलते अपनाती हैं क्योंकि वे मानती हैं कि वे खुद के साथ जितनी खुशी महसूस करती हैं कभी किसी पार्टनर के साथ नहीं कर पाएंगी.

  • किसी के लिए सोलोगैमी (Sologamy)  का अर्थ है कि वह किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि जीवन से और खुद से जुड़ाव महसूस करती हैं.
  • ऐसी भी कई लड़कियां हैं जो किसी लड़के से शादी करने की इच्छा नहीं रखतीं, वे भी सोलोगैमी (Sologamy)  को अपना रही हैं.
  • किसी सही लड़के की तलाश का जब कुछ परिणाम ना निकल रहा हो तब भी खुद से शादी कर कई महिलाएं सुकून की सांस ले सकती हैं.
  • इसमें कोई दोराय नहीं कि महिलाएं सालों से चली आ रही मान्यताओं पर टिके रहने की बजाय आगे बढ़ रही हैं, सोलोगैमी (Sologamy)  उनके लिए किसी से शादी करके ही सेटल हुआ जा सकता है जैसी बातों से पार पाने का रास्ता हो सकता है.

लेकिन लेकिन सभी बाते सही होने पर भी कुछ बाते समझ से परे हे जैसे की पश्चिमी विकार के कारण हम मानसिक रूप से पंगु बनते जा रहे हैं। अपने मूल्यों और संस्कारों से कटते जा रहे हैं। इसलिए अविवेकी होकर पश्चिमी देशों में हो रहे हर रस्म-रिवाज को सही मान लेते हैं, जबकि उनका कोई नैतिक आधार ही नहीं है।

इस तरह की शादी (Sologamy) का कोई खास महत्व नहीं रह जाता है,खुद की सनक के कारण शादी के नाम पर खर्च कोई अक्लमंदी नहीं है। खुद का पसंदीदा होना और खुद से ही प्रेम करना एक निजी विषय है, लेकिन इसका प्रदर्शन कर विवाह संस्था को सवालों के घेरे में खड़ा करना कतई उचित नहीं है।

लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले शारीरिक संबंध पश्चिमी सभ्यता के वे चोचले हैं, जिसने स्‍त्री भोग की विकृत मानसिकता को बढ़ावा दिया है। सेल्फ मैरिज (Sologamy)  भले ही भव्य सामाजिक समारोहों में आयोजित की जाती हो, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक टिकती नहीं है।

एक न एक दिन लोग अकेलेपन से ऊबने लगते हैं। मसलन ब्राजीलियन माडल क्रिस गैलेरा ने सोलो मैरिज (Sologamy) को खत्म कर दिया, क्योंकि इसके ठीक 90 दिन बाद उन्हें किसी और से प्रेम हो गया था।

Leave a Reply