Somvati Amavasya 2024 | चैत्र माह की अमावस्या पर बन रहे अद्भुत संयोग, जानें तिथि और स्नान-दान का मुहूर्त | सोमवती अमावस्या पर भूलकर भी न करें 5 काम, पितर होंगे नाराज सोमवती अमावस्या | somvati Amavasya 2024 | amavasya 2024 kab hai | अमावस्या कब है #सोमवती_अमावस्या

आस्था
Somvati Amavasya 2024
Somvati Amavasya 2024

Somvati Amavasya 2024 | चैत्र माह की अमावस्या पर बन रहे अद्भुत संयोग, जानें तिथि और स्नान-दान का मुहूर्त | सोमवती अमावस्या पर भूलकर भी न करें 5 काम, पितर होंगे नाराज सोमवती अमावस्या | somvati Amavasya 2024 | amavasya 2023 kab hai | अमावस्या कब है #सोमवती_अमावस्या

Somvati Amavasya 2024: हिंदू धर्म में हर अमावस्या का बेहद महत्व माना गया है लेकिन सभी अमावस्याओं में सोमवती अमावस्या का अधिक महत्व होता है। इस साल की पहली सोमवती अमावस्या चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ने वाली है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के अलावा भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने का भी बड़ा महत्व है।

इस दिन सुहागन महिलाएं सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करती हैं। शिव और शक्ति की कृपा से उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जिनके विवाह में देर हो रही है या फिर दांपत्य जीवन में कोई समस्या है, तो उनको सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए। सोमवती अमावस्या का व्रत रखने और पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है

और पीपल के वृक्ष पर पूजा करती हैं। बता दें, इस बार सोमवती अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है और साथ ही हिंदू वर्ष 2080 का ये आखिरी दिन भी होगा। तो चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

somvati amavasya avoid to do these 5 things .
somvati amavasya avoid to do these 5 things .

Somvati Amavasya date सोमवती अमावस्या तिथि

सबसे पहले बात करते हैं सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त की। इस बार यानी साल 2024 में की चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और ये तिथि उस दिन ही रात 11 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है।

Pooja time पूजा का मुहूर्त: इस दिन शिव पूजा का मुहूर्त सुबह 09 बजकर 13 से 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन पितरों का तर्पण करना भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में पितरों का तर्पण लेने का समय सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक होगा।

इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त रहेगा सुबह 4 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। बता दें, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में डुबकी लगाकर स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन तीर्थ स्थल पर स्नान किया जाता है। गंगा, सिंधु, कावेरी, यमुना, नर्मदा या फिर कोई भी पवित्र नदी में स्नान करने का अनंत गुना फल सोमवती अमावस्या को मिलता है। सोमवती अमावस्या को पूरे दिन पंचक है। सोमवती अमावस्या का स्नान और दान भी पंचक में ही करना होगा। पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित होती है।

इस बार सोमवती अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का संयोग भी बन रहा है लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका कोई भी महत्व जैसे सूतक आदि मान्य नहीं होगा। कई दशकों में एक बार सोमवती अमावस्या पर सूर्यग्रहण का दुर्लभ संयोग बनता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, 8 अप्रैल, सोमवार हिंदू वर्ष 2080 का अंतिम दिन रहेगा। इसके अगले दिन यानी 9 अप्रैल, मंगलवार से विक्रम संवत 2081 शुरू हो जाएगा। साल के अंतिम दिन सोमवती अमावस्या का होना एक दुर्लभ संयोग है। कई सालों में ऐसा योग बनता है। इतने सारे शुभ योगों के चलते ये दिन स्नान-दान, पूजा और उपाय आदि के लिए बहुत ही श्रेष्ठ बन गया है।

बता दें, इस बार सोमवती अमावस्या वाले दिन इंद्र योग और उत्तरभाद्रपद नक्षत्र है।

इंद्र योग- 8 अप्रैल को प्रात:काल से लेकर शाम 06 बजकर 14 मिनट तक है।

वहीं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक है, उसके बाद से रेवती नक्षत्र है। इंद्र योग को शुभ और सुख-सुविधाओं में वृद्धि वाला माना जाता है।

somvati amavasya avoid to do these 5 things .
somvati amavasya avoid to do these 5 things .

सोमवती अमावस्या पर किन कामों को नहीं करना चाहिए .somvati amavasya 2024 avoid to do these 5 things .

  1. सोमवती अमावस्या के दिन आपको कौआ, गाय, कुत्ता आदि को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन जीवों के माध्यम से ही आपके पितर अमावस्या के दिन दिए गए भोजन को ग्रहण करते हैं और इन जीवों का पंचबलि कर्म में बड़ा महत्व है. इनको प्रताड़ित करने से आपके पितर आप से नाराज हो सकते हैं. सनातन धर्म में जीवों के भी उपासना का महत्व है क्योंकि ये किसी न किसी ग्रह या देव से जुड़े होते हैं
  2. सोमवती अमावस्या के अवसर पर आपको किसी भी रंग के वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए. उस दिन आपको केवल सफेद रंग के वस्त्रों का ही दान करना चाहिए. अमावस्या या पितृ पक्ष के समय में अपने ​लिए सफेद वस्त्र नहीं खरीदते हैं क्योंकि यह पितरों के लिए खरीदकर दान करते हैं
  3. सोमवती अमावस्या वाले दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है, लेकिन शिव पूजा में तुलसी के पत्ते, शंख, सिंदूर, हल्दी, नारियल, केतकी के फूल आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए. यदि आप इन वस्तुओं को शिव पूजा में शामिल करते हैं तो महादेव आप से प्रसन्न होने की बजाय क्रोधित हो सकते हैं क्योंकि ये वस्तुएं भोलेनाथ की पूजा में वर्जित हैं
  4. सोमवती अमावस्या पर आपको दान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए. यदि आप अपने पितरों के निमित्त दान देते हैं, तो वे प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं. इससे आपके धन, सुख, समृद्धि, वंश आदि में बढ़ोत्तरी होती है. सोमवती अमावस्या पर अनाज, फल, वस्त्र, गाय, सोना, भूमि आदि का दान कर सकते हैं
  5. सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए आपको पितृ सूक्ति का पाठ जरूर करना चाहिए. इसके अलावा पितरों के देवता अर्यमा की पूजा करनी चाहिए

Chant these mantras इन मंत्रों का करें जाप

ॐ कुल देवताभ्यो नमः।

ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः।

ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः।

ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः।

ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः।

Leave a Reply