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Timur | What are the benefits of Timur | Timur pepper used | Timur spice in India | timur is a medicinal himalayan plant |health benefits of ayurvedic herb | pahadi neem timur to control blood pressure | Organic Timur (Szechuan Pepper) | तिमूर का पेड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर

Timur : प्रकृती में कई पौधे ऐसे है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है, इनमें से एक है, तिमूर जो उत्तराखण्ड में प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, इसे पहाड़ी नीम के नाम से भी जाना जाता है। इसका वनस्पतिक नाम जेनथोजायलम अर्मिटम (Zanthoxylum Armatum) है। इसे संस्कृत में तजोवती के नाम से जाना जाता है।

इसका पेड़ झाड़ीमुना होता है, इसके पेड़ पर छोटे-छोटे फल लगते है, जो पकने से पहले हरे रंग के गोलाकार होते है, पक्ने पर इनका रंग लाल रंग का हो जाता है। इस पेड़ की पत्तियां, टहनी, बीज और फल सभी फायदेमंद होते हैं। इसके प्रयोग से हाई बीपी से लेकर कई छोड़ी-बड़ी बीमार‍ियों को ठीक किया जा सकता है।

इसके वृक्ष की लंबाई लगभग 10-12 मी0 तक होती है, स्थानीय लोगों द्वारा इसका उपयोग भरपूर किया जाता है, इसके पौधे के पत्ती, फल तना सभी भागों का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है। जब टूथपेस्ट नहीं हुआ करता था, या वह गाँवों के लिए सुलभ नहीं था तब तिमूर को दातून के तौर पर खूब इस्तेमाल किया जाना आम था। जिस तरह मैदानी इलाकों के लोग नीम की दातून इस्तेमाल किया करते थे । उसी तरह उत्तराखण्ड के पहाड़ों में तिमूर या अखरोट के पेड़ की छाल। तिमूर गुणों की खान है।

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तिमूर बीज के लाभ

ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल — तिमूर के बीजों में पोटैशियम की मात्रा भरपूर्ण होती है इसलिए इन्‍हें खाने से बढ़ा हुआ बीपी कंट्रोल रहता है। बता दें कि तिमूर की टहनियां भी कांटेदार होती हैं। इसकी टहनी के कांटों को एक्यूपंक्चर के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है, जिससे बढ़ा हुआ ब्‍लड प्रेशर तुरंत घट जाता है

तिमूर की पत्तियां से अनाजों में कीडे़ नही लगते — तिमूर की पत्तियों को स्थानीय लोगो द्वारा अनाजों में भी डाला जाता है, जिससे अनाजों में कीडे़ नही लगते है। तथा अनाजों को लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है।

मुँह की दुर्गन्ध से छुटकारा–तिमूर के बीजो को मुँह में डालने से पिपरमिंट जैसा स्वाद आता है, जो मुँह की दुर्गन्ध को दूर करने में लाभदायक है। रोज रात को खाना खाने के बाद अगर इनके बीजो को चबाया जाए तो मसूड़े भी मजबूत होते हैं।

तिमूर के बीज से मसाले —इसके बीजों को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। जो पाचन एवं पेट संबंधी बिमारियों में लाभदायक है। यही नहीं इसकी चटनी भी बनाई जाती है जो खाने में बेहद स्‍वादिष्‍ट लगती है। उत्तराखण्ड में भले ही तिमूर से सिर्फ चटनी बनायी जाती हो ।लेकिन यह चाइनीज, थाई और कोरियन व्यंजन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है।

शेजवान पेप्पर (Sichuan pepper,) चाइनीज पेप्पर के नाम से जाना जाने वाला यह मसाला चीन के शेजवान प्रान्त की विश्वविख्यात शेजवान डिशेज का जरूरी मसाला है. मिर्च की लाल-काली प्रजातियों से अलग इसका स्वाद अलग ही स्वाद और गंध लिए होता है. इसका ख़ास तरह का खट्टा-मिंट फ्लेवर जुबान को हलकी झनझनाहट के साथ अलग ही जायका देता है।

चीन के अलावा, थाईलेंड, नेपाल, भूटान और तिब्बत में भी तिमूर का इस्तेमाल मसाले और दवा के रूप में किया जाता है. इन देशों में कई व्यंजनों को शेजवान सॉस के साथ परोसा भी जाता है.

पायरिया से दिलाए छुटकारा — इस पहाड़ी नीम की छाल का प्रयोग पायरिया को दूर करने के लिये किया जाता है। इसके लिये इसकी लकड़ी को दातुन कि तरह चबाते हैं। पहाड़ों में जब कई साल पहले मंजन आदि नहीं हुआ करता था तब वहां के लोग इसका प्रयोग दांत साफ करने में करते थे।

पेट से जुडी बीमारियों को करे इलाज–इस पेड़ के बीजों का प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है। इससे पेट और पाचन से जुड़ी तमाम बीमारियां दूर होती हैं। यदि आपको कब्‍ज या दस्‍त की समस्‍या भी है तो तिमूर के बीज लाभ पहुंचाएंगे।

​एंटीसेप्टिक का काम करती है तिमूर–इस पेड़ के पत्‍तों में एक खास तत्‍व पाया जाता है जो कि एंटीसेप्टिक का काम करता है। शरीर पर कहीं चोट लगने या फिर छिल जाने पर इसकी पत्‍तियों का लेप लगाने से चोट जल्‍द ठीक हो जाती है। यहां तक कि उस चोट का निशान भी नहीं पड़ता।

तिमूर का धार्मिक महत्त्व — उत्तराखण्ड में तिमूर की लकड़ी को अध्यात्मिक और धार्मिक कार्यो कामों में भी बहुत महत्त्व दिया जाता है, तिमूर की लकड़ी मजबूत होती है, धार्मिक कार्यो में इसकी लकड़ी को पवित्र माना जाता है, इसकी लकड़ी को घर में स्थानीय लोगों द्वारा अपने ईष्ट देव के मंदिर में चढाया जाता है।

जो एक पवित्रता का प्रतीक है।जनेऊ के बाद बटुक जब भिक्षा मांगने जाता है तो उसके हाथ में तिमूर का डंडा दिया जाता है. तिमूर की लकड़ी को मंदिरों, देव थानों और धामों में प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है.