पशुपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी | Top Most Profitable Animal Husbandry Business |Pashupalan Business
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पशुपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी | Top Most Profitable Animal Husbandry Business | animal husbandry business |
पशुपालन अच्छी आय का स्रोत है भूमिहीन तथा सीमान्त किसान जिनके पास फसल उगाने एवं बड़े पशु पालने के अवसर सीमित है, छोटे पशुओं जैसे भेड़-बकरियाँ, एवं मुर्गी पालन करके रोजी-रोटी की व्यवस्था कर सकते है ।पुराने समय से ही पशुपालन (Animal Husbandry) मनुष्य की आय का अच्छा जरिया रहा है. वर्तमान में, पशुधन खेती निस्संदेह सबसे ज़्यादा लाभदायक व्यवसायों (Pashupalan Business) में से एक है चाहे वो छोटे पैमाने पर हो या बड़े पैमाने पर. यदि आप पशुपालन का व्यवसाय (Animal husbandry business) शुरू करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में आप सबसे अधिक लाभदायक व्यवसाय के बारे में जान सकेंगे जो 2022 में आपकी आय को दोगुना कर देंगे.
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | पशुपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी
विश्व में हमारा स्थान बकरियों की संख्या में दूसरा, भेड़ों की संख्या में तीसरा एवं कुक्कुट संख्या में सातवाँ है। कम खर्चे में, कम स्थान एवं कम मेहनत से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए छोटे पशुओं का अहम योगदान है। अगर इनसे सम्बंधित उपलब्ध नवीनतम तकनीकियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय तो निःसंदेह ये छोटे पशु गरीबों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन एवं कृषि का विशेष योगदान है। घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का योगदान सराहनीय है जिसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। भारत में विश्व की कुल संख्या के 15 प्रतिशत गायें एवं 55 प्रतिशत भैंसें है और देश में लगभग 121.8 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन होता है इसलिए भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है जो कि एक मिसाल है। यह दूध हमे 53 प्रतिशत भैंसों व 43 प्रतिशत गायों और 3 प्रतिशत बकरियों से प्राप्त होता है।
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देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है।यह उपलब्धि पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं ; जैसे मवेशियों की नस्ल, पालन-पोषण, स्वास्थ्य एवं आवास प्रबंधन इत्यादि में किए गये अनुसंधान एवं उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है। लेकिन आज भी कुछ अन्य देशों की तुलना में हमारे पशुओं का दुग्ध उत्पादन अत्यन्त कम है और इस दिशा में सुधार की बहुत संभावनायें है।
विकिपीडिया के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है। छोटे व सीमांत किसानों के पास कुल कृषि भूमि की 30 प्रतिशत जोत है। इसमें 70 प्रतिशत कृषक पशुपालन व्यवसाय से जुड़े है । जिनके पास कुल पशुधन का 80 प्रतिशत भाग मौजूद है।
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स्पष्ट है कि देश का अधिकांश पशुधन, आर्थिक रूप से निर्बल वर्ग के पास है। भारत में लगभग 19.91 करोड़ गाय, 10.53 करोड़ भैंस, 14.55 करोड़ बकरी, 7.61 करोड़ भेड़, 1.11 करोड़ सूकर तथा 68.88 करोड़ मुर्गी का पालन किया जा रहा है।
भारत 121.8 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन के साथ विश्व में प्रथम, अण्डा उत्पादन में 53200 करोड़ के साथ विश्व में तृतीय तथा मांस उत्पादन में सातवें स्थान पर है।
यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में जहाँ हम मात्र 1-2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त कर रहे हैं वहीं पशुपालन से 4-5 प्रतिशत। इस तरह पशुपालन व्यवसाय में ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने की अपार सम्भावनायें हैं।
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पशुपालन व्यवसाय से भी हम बहुत अच्छी आमदनी बना सकते है।पशुपालन में हम (गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़े या मुर्गी) अपने बजट के अनुसार किसी भी पशु या मुर्गीयो को पाल कर अपने व्यवसाय को आरंभ कर सकते है । यह कार्य काम पशुओ, या मुर्गीयो से भी आरंभ किय। जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार के द्वारा भी बहुत योजनाए चलायी गयी है, इन योजना के द्वारे लोन प्राप्त करने पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को कुछ प्रतिशत अनुदान भी मिलेगा।
भारत में 7 करोड़ से ज़्यादा घरों में पशुपालन किया जाता है। पशुपालन के अच्छा चलने पर डेयरी क्षेत्र में भी काम को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार कुछ पशुओ से सुरु किया काम बहुत लोगो को रोजगार दिला सकता है।
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | गाय पालन व्यवसाय start animal husbandry business in india
गाय पालन का व्यवसाय कुछ समय से बहुत विकसित हुआ है। अब यह वयवसाय गाँव तक ही सिमित ना हो कर शहरो में भी तेजी से फ़ैल चूका है। शहरो में बहुत से लोगो के द्वारा बड़े बड़े फार्म खोलकर गाय पालन से डेयरी प्रोडक्टों का उत्पादन भी किया जा रहा है। पशु पालन में गाय पालन सबसे अच्छा वयवसाय माना जाता है क्युकी गाय से हमें दूध और गोबर दोनों ही मिलते है और दोनों से ही अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
गाय पालने का व्यवसाय 2 या 4 गायो से भी सुरु किया जा सकता है। बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों में गायो को चारे के लिए सुबह जंगलो में छोड़ दिया जाता है और शाम को गाये खुद ही आ जाती है। शहरी क्षेत्रों में चारा मशीनों में काट कर कहिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की गाये एक दिन में 5 से 10 लीटर दूध देती है।
दूध उत्पादन (Milk production)
शहरी गायो की नस्ल ग्रामीण गायो से अलग होती है तो शहरी गाये 30 से 35 लीटर तक दूध देती है। पूरे महीने में आप दूध से ही 20 हजार से 25 हजार तक कमाई कर सकते है। इसके अतिरिक्त दूध से बनने वाले उत्पादों (दही, मठ्ठा, मक्खन, मावा, आदि) से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
पूरी दुनिया में डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) लोकप्रिय है. यह किसानों के लिए अपनी आय को दोगुना करने और अपने परिवारों के लिए अधिक पौष्टिक भोजन तक पहुंच बनाने का एक शानदार तरीका है. जबकि निर्वाह डेयरी फार्मिंग न केवल ताजा दूध और बुनियादी आय का स्रोत देती है, दही और पनीर जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद राजस्व का एक उच्च स्रोत प्रदान करते हैं.आप पशु पालन के साथ ही डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming)भी कर सकते है
आप गाय के गोबर से खाद, गोबर से गैस और कंडे बनाकर भी मुनाफा ले सकते है। गाय के दूध का कम या ज्यादा होना उसके भोजन, पानी, रहन-सहन, तथा गाय को कोई बीमारी तो नहीं हो रही है इन बातो पर निर्भर करता है।
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | भैंस पालन व्यवसाय
अगर आप पशुपालन में भैंस पालन शुरू कर रहे हैं तो कुछ ख़ास बातों को ध्यान में रखकर अच्छा दूध उत्पादन कर सकते हैं जिससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भैंस पालन का डेयरी उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान है।
भारत में 20 मिलियन टन दूध भैंस पालन से मिलता है। भैंस पालन के लिए मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन करना चाहिए। यह नस्ल की दूध उत्पादन के लिए अच्छी होती है। इस भैंस के सींग मुड़े हुए होते है। मुर्रा नस्ल की भैंस अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध देती है।
यह प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध आसानी से दे देती हैं। इसके दूध में फैट की मात्रा सात प्रतिशत से ज्यादा होती है। इस वजह इसके अधिक दाम मिलते है। ये भैसें किसी प्रकार की जलवायु में भी जीवित रहने में सक्षम होते है। इस भैंस की देख-रेख काफी आसान होती हैं।
दुधारू पशुओं के लिए चारा
दुधारू पशु हरा चारा बहुत चाव से खाते हैं। हरा चारा दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल होती हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें,पशु एक दिन में 35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए
टूटे गेहूं, ज्वार या बाजरे की दलिया, चावल, टूटे हुए गेहूं, ज्वार, बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण या आटे का घोल बना कर, खनिज लवण, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, आदि दे इससे दुधारू पशुओं को बरपुर पोस्टिक तत्व मिलेंगे और दूध भी बढ़ेगा तथा सर्दियों में पानी थोड़ा गर्म करके दे पशुओं को कम से कम 8 से 10 घंटे के बिच चारा देना ज़रूरीदलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | बकरी पालन व्यवसाय
बकरी पालन सभी प्रकार की जलवायु में बहुत कम लागत,व साधारण आवास, सामान्य पालन-पोषण एवं रख-रखाव के साथ किया जा सकता है। बकरी उत्पाद की बिक्री हेतु बाजार सर्वत्र उपलब्ध है। बकरी पालन व्यवसाय भी अन्य व्यवसायों की भाति काफी प्रचलित हो रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है।
बकरी पालन स्वरोजगार का एक प्रबल साधन बन रहा है। इसलिए ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी बकरी को ‘गरीब की गाय’ कहा करते थे। आज के परिवेश में भी यह कथन पूर्णतय सत्य लग रहा है। इतना ही नहीं इससे होने वाली आय समाज के आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।बकरी पालन मुख्य रूप से मांस, दूध एवं रोंआ (पसमीना एवं मोहेर) के लिए किया जा सकता है।
बकरियाँ अल्प आयु में वयस्क होकर दो वर्ष में कम से कम 3 बार बच्चों को जन्म देती हैं और एक बार में 2-3 बच्चों को जन्म देती हैं। बकरियों से मांस, दूध, खाल एवं रोंआ के साथ ही इसके मल-मूत्र से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़यी जाती है।
बकरियो के चारे के लिए भी ज्यादा परेशानी नहीं होती क्युकी ये स्वयं ही झाड़ियाँ, जंगली घास तथा पेड़ के पत्तों को खाकर अपना भोजन पूर्ण प्राप्त कर लेती है और हम लोगों के लिए पौष्टिक पदार्थ (दूध,मांस,खाद) उत्पादित करती हैं।
विश्व में बकरियों की कुल 102 प्रजातियाँ उपलब्ध है। जिसमें से 20 भारतवर्ष में है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की ओर से भारत की विभिन्न जलवायु की उन्नत नस्लें (ब्लैक बंगला, बारबरी, जमनापारी, सिरोही, मारबारी, मालावारी, गंजम आदि) के संरक्षण एवं विकास से संबंधित योजनाएँ चलायी जा रही है।
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | भेड़ पालन व्यवसाय
भेड़ एक बहुत सामाजिक और शांत पशु है जो बहुमूल्य दुग्ध और मांस संबंधी उत्पादों का उत्पादन करते हुए और अनचाहे पौधों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करते हुए, मुर्गियों, घोड़ों, बकरियों आदि के साथ आराम से रह सकती है। आमतौर पर, भेड़ बकरियों की तुलना में कम मात्रा और उच्च वसा वाला दूध देती है, लेकिन दुनिया भर में भेड़ के दुग्ध उत्पादों के बहुत प्रबल समर्थक और समर्पित उपभोक्ता हैं।
भेड़ पालन अच्छे और बड़े पैमाने पर करने से, उत्साह, बेहतरीन दुग्ध उत्पादों, मांस और ऊन का बड़ा स्रोत हो सकता है। 3-4 वर्ष में, यदि आप भेड़ पालन में विशेषज्ञ बन जाते हैं और यदि आपको अपना मांस या दुग्ध उत्पाद मुनाफेदार तरीके से बेचने के लिए कोई बाज़ार मिल जाता है तो आप अपने मवेशियों की संख्या बढ़ाकर इसे अर्ध-पेशेवर तरीके से कर सकते हैं।
भेड़ पालन कैसे करें (How to Raise Sheep Farming)
आप लगभग 1 लाख रुपए में अपना भेड़ पालन व्यवसाय बड़ी आसानी से कर सकते है | 20 भेड़ो के लिए 500 स्क्वैयर फीट का बाड़ा पर्याप्त माना जाता है परन्तु यह खुला और हवादार होना चाहिए| आप यह बाड़ा तीस से चालीस हजार रुपये में तैयार कर सकते हैं।
Top Most Profitable Animal Husbandry Business | मुर्गी पालन व्यवसाय
देश में रोजगार तलाश रहे युवा मुर्गी पालन व्यवसाय को रोज़गार के तौर पर अपना सकते हैं। इसे आप बहुत कम लागत में शुरू कर सकते है और इसमें मुनाफा (लाखों-करोड़ो) भी काफी ज्यादा है। पिछले चार दशकों में मुर्गीपालन ब्यवसाय क्षेत्र में शानदार विकास के बावजूद, कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता तथा मांग में काफी बड़ा अंतर है।
मुर्गी पालन व्यवसाय
भारत में मुर्गी पालन का उद्योग आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व ही शुरू हो चुका था। मुर्गी पालन मौर्य साम्राज्य का एक प्रमुख उद्योग था। हालांकि इसे 19वीं शताब्दी से ही वाणिज्यिक उद्योग के रूप में देखा जाने लगा था।मुर्गी पालन में मुर्गियों की विभिन्न प्रकार की नस्लों का पालन कर उनके अंडे एवं चिकन का व्यवसाय किया जाता है।मुर्गी फार्म या पोल्ट्री फार्म का कार्य करके और मुर्गियों का अच्छे से ध्यान रखने से मीट और अंडे बाजार में बेच कर पैसे कमा सके।तो आप समझ गए है की मुर्गी पालन कितना मुनाफे वाला बिज़नेस है।
ग्रामीण क्षेत्रों में निम्न स्तर पर मुर्गी पालन का व्यवसाय किया जा सकता है और अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। मुर्गी पालन का व्यवसाय अधिकतर अंडे एवं मांस उत्पादन के लिए किया जाता है क्योकि देशी मुर्गी के अंडे तथा मांस में मानव पोषण के लिए प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इसके साथ ही साथ मुर्गियों के कूड़े (litter) से खेतों को उपजाऊ भी बनाया जा सकता है क्योकि जितना एक गाय के गोबर से एक खेत को उपजाऊ बनाया जा सकता है उतना ही 40 मुर्गियों के बिष्ठों से एक खेत को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
अगर मुर्गी पालन में सही प्रजाति के चूजे, देखभाल, पौष्टिक आहार, बिमारियों से बचने का टीका एवं साफ़ सफाई सही ढंग से किया जाए तो एक बेहतर आय बनाई जा सकती है।
सुअर पालन (Pig Farming)
एक अन्य लाभदायक पशुधन व्यवसाय विचार सुअर पालन है. दुनियाभर में हर साल 1 बिलियन से अधिक सूअरों को मारा जाता है और सबसे बड़े सुअर निर्यातक देशों में अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा शामिल हैं. अधिकांश सूअरों का उपयोग मानव भोजन के लिए किया जाता है, लेकिन उनकी त्वचा, वसा और अन्य सामग्री का उपयोग कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री और चिकित्सा उपयोग के लिए भी किया जाता है. भारत में सुअर पालन मुख्य रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्रों में किया जाता है.
मछली पालन (Fish Farming)
मछली पालन उन लोगों के लिए एक और पैसा कमाने वाला व्यवसाय है, जिनके पास पर्याप्त जल निकाय हैं. हालांकि, आप अपने जगह के अनुसार छोटे टैंकों या तालाबों पर भी मछलियां पाल सकते हैं.
आप विभिन्न प्रकार की कार्प मछली, झींगा, कैटफ़िश, झींगे और सामन का चयन कर सकते हैं. मछली पालन व्यवसाय शुरू करते समय, स्थानीय मांग को समझने के लिए बाजार का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है. इन दिनों सजावटी मछली पालन और बायोफ्लोक मछली पालन की बहुत मांग है.
मोती की खेती (Pearl Farming)
वर्तमान में मोती उद्योग को बहुत प्रमुखता मिल रही है और इसे पर्ल फार्मिंग के नाम से भी लोग जानते है. आप कृत्रिम रूप से भी मोती पैदा कर सकते हैं. पर्ल फार्मिंग एक अत्यधिक आकर्षक पशुधन व्यवसाय है, हालांकि इसके लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होती है. मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है। कम से कम 10 गुणा 10 फीट या बड़े आकार के तालाब में मोतियों की खेती की जा सकती है। मोती संवर्धन के लिए 0.4 हेक्टेयर जैसे छोटे तालाब में अधिकतम 25000 सीप से मोती उत्पादन किया जा सकता है।
निवेदन पशु पालन का अर्थ होता है की वर्ष के 365 दिन जो पशु आपने पाला है। उनकी देखभाल करना, उनका निरीक्षण करना, साफ-सफाई करना, उन्हें खिलाना-पिलाना और कोई बिमारी या समस्या होने पर उसका समाधान करना।
इसलिए, यदि आप सप्ताहांत के लिए कहीं जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको अपने मवेशियों का ख्याल रखने के लिए किसी अनुभवी और भरोसेमंद व्यक्ति को रखना चाहिए।
अगर आपके पास जगह कम है तो आप वहां पशुपालन शुरू कर सकते हैं या फिर किराए पर जगह ले सकते हैं. केवल एक चीज जो आपको ध्यान में रखने की जरूरत है, वह है एक ऐसे जानवर का चयन करना जिसकी बाजार में अच्छी मांग हो. इसक लिए आपको बाजार का थोड़ा शोध करना पड़ेगा और इसके बाद आप अपने व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं.
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