Tulsi Gowda : तुलसी गौड़ा कौन है,जिन्हे लोग कहते है ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’

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Tulsi Gowda: Who Tulsi Gowda,Why was Tulsi Gowda given Padma Shri,Tulsi Gowda story
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Tulsi Gowda : तुलसी गौड़ा कौन है,जिन्हे लोग कहते है ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’ पद्मश्री लेने पहुंची नंगे पांव, PM मोदी ने किया नमन

Tulsi Gowda : तुलसी गौड़ा देश के उन लोगों में से एक है, जो गुमनामी रहकर चुपचाप समाज के लिए काम करते रहते है. हालांकि जब भारत सरकार ने तुलसी गौड़ा को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना तो उनकी कहानी दुनिया के सामने आई. लोगों ने दिल खोलकर तुलसी गौड़ा के कामो की तारीफ़ की.

आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि तुलसी गौड़ा कौन है? (Who Tulsi Gowda), तुलसी गौड़ा को पद्मश्री क्यों दिया गया? (Why was Tulsi Gowda given Padma Shri) और तुलसी गौड़ा की कहानी (Tulsi Gowda story) क्या है? तो चलिए शुरू करते है तुलसी गौड़ा का जीवन परिचय.

कर्नाटक के गरीब परिवार में जन्‍मीं तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) कर्नाटक में हलक्की स्वदेशी जन-जाति से ताल्लुक रखती हैं। वह पारंपरिक पोशाक पहनती हैं। उनका परिवार इतना गरीब है कि वे पढ़ भी न पाईं। उनके यहां जीविका चलाना भी मुश्किल भरा होता है। ऐसे में उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की,

किंतु फिर भी, उन्हें आज ‘इनसाइक्‍लोपीडिया आफ फॉरेस्‍ट’ (वन का विश्वकोश) के रूप में जाना जाता है। ऐसा पेड़-पौधों व जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों के उनके विस्‍त़त-ज्ञान के कारण है। उन्होंने अकेले ही 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और अभी भी कई नर्सरी की देखभाल करती हैं. वो पिछले 6 दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल हैं.

11 साल की उम्र में ही तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) की शादी हो गई थी, लेकिन उनके पति भी ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहे. ऐसे में अपनी जिंदगी के दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए तुलसी गौड़ा ने पेड़-पौधों का ख्याल रखना शुरू किया.

12 साल की उम्र से लगा रहीं पेड़-पौधे

वह 12 साल की उम्र से अपने यहां पेड़-पौधे लगा रही हैं। अब तक उन्होंने हजारों पेड़ लगाए और उनका ख्याल रखते हुए उन्‍हें बड़ा किया।

धीरे-धीरे पर्यावरण की ओर तुलसी की दिलचस्पी बढ़ी. बताया जाता है कि, वह एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में भी वन विभाग में शामिल हुईं, जहाँ उन्हें प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पण के लिए जाना जाने लगा। बाद में उन्हें विभाग में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई।

साल 2006 में तुलसी को वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिल गई.

तुलसी गौड़ा ने लगभग 14 साल तक वृक्षारोपक की जिम्मेदारी निभाई. इस दौरान तुलसी गौड़ा ने अनगिनत पेड़-पौधे लगाए. साथ ही उन्होंने जैविक विविधता संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पेड़-पौधे लगाने और उन्हें बड़ा करने के अलावा तुलसी गौड़ा ने वन्य पशुओं का शिकार रोकने और जंगली आग के निवारण के क्षेत्र में भी बहुत काम किया है. इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली सरकारी गतिविधियों का विरोध भी किया.

तुलसी गौड़ा भले ही कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन उनका ज्ञान किसी पर्यावरण वैज्ञानिक से कम नहीं है. तुलसी गौड़ा को हर तरह के पौधों के बारे में जानकारी है. जैसे किस पौधे के लिए कैसी मिट्टी अनुकूल है, किस पौधे को कितना पानी देना है आदि.

सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा ने पर्यावरण के प्रति अपने प्यार को कम नहीं होने दिया और वह वनों के संरक्षण के लिए काम करती रही. इसके अलावा तुलसी गौड़ा ने बच्चों को भी पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूक किया. तुलसी गौड़ा का कहना है कि, ‘अगर जंगल बचेंगे, तो यह देश बचेगा. हमें और जंगल बनाने की आवश्यकता है.’

सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा पेड़ लगाती रही.

अपने जीवनकाल में तुलसी गौड़ा ने एक लाख से भी अधिक पेड़-पौधे लगाए है. तुलसी गौड़ा को जंगलों की इतनी समझ है कि उन्हें ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’ भी कहा जाता है.

आज, 72 साल की उम्र में भी, तुलसी गौड़ा पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए पौधों का पोषण करना और युवा पीढ़ी के साथ अपने विशाल ज्ञान को साझा करना जारी रखे हुए हैं।तुलसी गौड़ा एक गरीब और सुविधाओं से वंचित परिवार में पली-बढ़ीं। बावजूद इसके उन्‍होंने हमारे जंगल का जैसे पालन-पोषण किया है। 72 वर्षीय पर्यावरणविद (Environmentalist) तुलसी गौड़ा को (Tulsi Gowda) को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री (Padma Shri Award) से जब राष्ट्रपति भवन में नवाजा गया तो दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

उन्हें पौधों और जड़ी-बूटियों की तमाम प्रजातियों के बारे में अथाह ज्ञान के कारण ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता है. तुलसी गौड़ा को इससे पहले कई और अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. तुलसी गौड़ा नंगे पांव और धोतीनुमा पारंपरिक आदिवासी पोशाक में राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्‍मानित की गईं कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा का नाम अब दुनिया आदर से ले रही है। उन्‍हें पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नंगे पैर रहने वाली और जंगल से जुड़ी तमाम जानकारियां रखनी वालीं तुलसी गौड़ा हजारों पेड़-पौधे लगा चुकी हैं। पद्म पुरस्कार से सम्‍मानित किए जाने पर बहुत लोग उनके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं

तुलसी गौड़ा को मिले सम्मान (Tulsi Gowda Award)

  • तुलसी गौड़ा के द्वारा पर्यावरण को लेकर किए गए कामों को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किया था.
  • इसके अलावा तुलसी गौड़ा को इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार और श्रीमती कविता स्मारक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
  • साल 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तुलसी गौड़ा को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्म्मानित किया था.

किन लोगों को मिलते हैं पद्म पुरस्कार?

पद्म श्री पुरस्‍कार भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार माना जाता है। पद्म पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रदान किए गए हैं।


कितने लोगों को मिले पद्म पुरस्कार?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को जिन लोगों को राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया, उन पद्म पुरस्कारों की 2021 की सूची में 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं, जिनमें से 29 पुरस्कार विजेता महिलाएं हैं और एक पुरस्कार विजेता एक ट्रांसजेंडर है।


Tulsi Gowda: राष्ट्रपति भवन में आयोजन इस कार्यक्रम में तुलसी की सादगी ने सभी का ध्यान खींचा. वह नंगे पैर और अपने पारंपरिक पहनावे में पहुंचीं. उन्हें देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े लोगों ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया. अवॉर्ड लेने के लिए जातीं तुलसी गोडा व इस दौरान उनका अभिवादन करते पीएम व गृह राज्यमंत्री की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई. लोगों ने इसे फोटो ऑफ द डे बताया.

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