Vat Savitri Puja 2021: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है

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Vat Savitri Puja 2021
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Vat Savitri Puja 2021: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. व्रत का शुभ मुहूर्त और कथा

Vat Savitri Vrat 2021 : सावित्री व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए वट वृक्ष यानी बरगद (Banyan Tree) की पूजा करती हैं. इसके साथ ही घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.

यह वही तिथि है जब सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था। इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि बरगद के पेड़ में साक्षात ब्रह्मा, विष्णु व महेश का वास होता है.

पुराणों के अनुसार वट वृक्ष (Banyan Tree) के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और आगे के हिस्से में शिव का वास है. भगवान बुद्ध को भी वट वृक्ष यानी बरगद (Banyan Tree) के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष यानी बरगद (Banyan Tree) के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा आदि सुनने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

तो आइए जानते हैं कि पूजा से संबंधित सामग्रियों और क्या है पूजा विधि…

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) को उत्तर भारत के कई हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कई जगहों पर मनाया जाता है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से हो चुका है। जो कि 10 जून यानी आज शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगी।

वट सावित्री का व्रत क्यों है खास खास

वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु का वरदान पाने के लिए रखती हैं. यह व्रत उतना ही महत्व रखता है जितना करवा चौथ का व्रत. इसमें वट वृक्ष यानी बरगद (Banyan Tree) के पेड़ की पूजा की जाती है.इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

यही कारण है कि इस दिन बरगद (Banyan Tree) के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है। महिलाएं वट को कलावा बांधते हुए पेड़ की परिक्रमा करती हैं और व्रत रखती हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में विशेष रूप से ये व्रत किया जाता है. इस बार ये व्रत 10 जून को किया जाएगा. व्रत का पारण 11 जून दिन शुक्रवार को किया।

Vat Savitri Puja 2021: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. व्रत का शुभ मुहूर्त और कथा
हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है

वट सावित्री पूजा सामग्री

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) की पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं। जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढक दिया जाता है। एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है।

वट वृक्ष यानी बरगद (Banyan Tree) पर महिलायें जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत चढ़ाती हैं। फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्‍कर लगाए जाते हैं और चने गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद महिलाएं कथा सुनती हैं।

वट सावित्री व्रत के साथ साल का पहला सूर्य ग्रहण

10 जून को वट सावित्री व्रत के साथ साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगेगा. यह ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा, जबकि शाम 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा. ग्रहण के दौरान पूजा-अर्चना करने की मनाही होती है.

किसी भी ग्रहण के दौरान 12 घंटे पहले ही सूतक काल मान्य हो जाता है और जैसे ही सूर्य ग्रहण शुरू होता है तो तमाम तरह के पूजा पाठ पर पाबंदी लग जाती है. बता दें कि 10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा।

साथ ही इसका भारत में प्रभाव भी नहीं दिखेगा। इस वजह से देश में सूतक काल मान्य नहीं होगा। ऐसे में हर साल की तरह व्रत को किया जा सकता है।

ये है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, वट सावित्री (Vat Savitri Vrat 2021) के दिन यानी ज्येष्ठ अमावस्या पर ही सावित्री ने यमराज से पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। सावित्री ने इस दिन बरगद के पेड़ का पूजन किया जाता है।

इसके लिए उन्हें वट वृक्ष के नीचे ही कठोर तपस्या करनी पड़ी थी. इतना ही नहीं पति को दोबारा जीवित रखने के लिए सावित्री यमराज के द्वार तक पहुंच गई थी।

वट सावित्री पूजा का महत्व

इनकी आराधना करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्तिऔर होती है. सुहागिनों को पति की लंबी आयु और आरोग्य रहने का वरदान मिलता है. सभी पापों का नाश होता है ।

वट वृक्ष का महत्व

पुराणों में जिन वृक्षों को फलदायी कहा गया है, उनमें वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ भी शामिल है। ऐसा कहा गया है कि ये पेड़ इतना पवित्र है।कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का वास होता है।

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