उत्तराखंड देवभूमि के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है तथा यहाँ अनेको पर्यटन स्थल भी है साथ ही (पहाड़) के व्यंजन भी हर जगह अपने स्वाद पौश्टिकता के लिए प्रसीद है ।
परन्तु इसकी बनाने कि सुरुवादी प्रकिर्या बहुत जटिल है। इस व्यंजन का नाम है कंडाली (नेटल (Nettle /कंडाली का साग।) इस लाजवाब खाने का स्वाद हर किसी की जुबां पर हमेशा रहता है।
इसी को देखते हुए अब पहाड़ी खानों की मैदानी क्षेत्रों में भी काफी मांग बढ़ गई है। कंडाली के साग के साथ झंगोरे (एक प्रकार का पहाड़ी भात) का स्वाद लेंगे तो आप हमेशा याद रखेंगे।
कंडाली कि कोमल पत्तियों को तोड़कर लाने के लिए किसी दस्ताने या चिमटे या कैंची का उपयोग करे नहीं तो नजर हटी और दुर्घटना घटी वाली स्थिति है.
क्युकी कंडाली में काटे यानी कि छोटे छोटे रोये होते है (दंश) लगने की संभावना न्यूनतम हो जाएगी
अब इसकी एक-एक पत्ती को बड़ी सतर्कता से तोड़ते हुए किसी टोकरी में रखे ।
उत्तराखंड देवभूमि के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है तथा यहाँ अनेको पर्यटन स्थल भी है साथ ही (पहाड़) के व्यंजन भी हर जगह अपने स्वाद पौश्टिकता के लिए प्रसीद है ।
नेटल लीफ
(Nettle leaves)
को बिच्छू बूटी
(बिछुआ पत्ती)
कहते हैं। यह बूटी उस जगह अधिक उगती है, जहां ज्यादा नमी जैसे नदी-नालों या फिर जंगल हों।
नेटल्स यानी बिछुआ जिसे नेटल लीफ, बिच्छू बूटी और बिछुआ पत्ती भी कहते हैं।
बिछुआ एक छोटा पौधा है यह एक वनस्पति फूल वाला पौधा है इसका वैज्ञानिक नाम
उर्टिका डियोका (urtica dioica)
है।