Biruda Panchami 2022 | birud panchami in uttarakhand
कुमाऊं अंचल में आज का दिन यानी सातों-आठों पर्व बेहद ख़ास और पवित्र माना जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह की पंचमी को आरंभ होता है ।
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स्थानीय भाषा में इस दिन को
बिरूड़ पंचमी
कहा जाता है। साथ ही बिरूड़ पंचमी को अन्य नमो से भी जाना जाता है
जैसे –
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Biruda Panchami 2022 | birud panchami in uttarakhand
बिरुड़ पंचमी के बाद झोड़ा चांचरी की धूम मचेगी। कुमाऊं में अभुक्ताभरण सप्तमी और अष्टमी पर गौरा-महेश की प्रतिमा बनाकर उनका विवाह कराने के बाद पूजा अर्चना की जाती है।
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इस दौरान गांव-गांव में झोड़ा और चांचरी के आयोजन होते हैं। जिनमें झोड़ा-चांचरी के गायकों की टोलियां मंदिरों के अलावा घर-घर में गायन करती हैं।
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ग्रामीण लोगों के द्वारा घरों में एक बर्तन में सात किस्म के अनाज को एक पोटली में भिगाया है।
(Biruda Panchami 2022 )
इस पोटली को गुरुवार को गौरा की पूजा के समय खोला जाएगा।
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शुक्रवार को गौरा को महेश के साथ
बिरुड़ा अष्टमी
के दिन बिदा किया जाएगा। इस दिन पहाड़ों में उत्पन्न होने वाले हर अन्न का भोग भी लगाया जाता है।
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दो दिन तक महिलाएं व्रत रखकर मांगलिक गीतों का गायन करती हैं।जानकारों के मुताबिक भाद्र मास के पर्वों में बिरुड़ पंचमी को पवित्रता के साथ ही कृषि की प्रधानता के लिए भी अलग स्थान दिया गया है।
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बिरुड़ का अर्थ किसी अनाज का अंकुरित होने से है। सातूं-आठूं उत्सव के लिए एक शुद्ध वस्त्र में सात या पांच अनाजों को दूब के साथ पोटली बनाकर महिलाएं स्नानादि के बाद अपने घर के देव मंदिर में एक पात्र में भिगो देती हैं।
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अभुक्ताभरण सप्तमी को इसके जल से स्नान करती हैं और बिरुड़ों से गौरा, महेश की पूजा करती हैं। सातों-आठों लोकपर्व में मां
पार्वती
को दीदी और भगवान
शिव
को जीजाजी के रुप में पूजा जाता है।
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इस लोकपर्व में लड़की के घर आने के समय के उत्साह और प्रेम के साथ लड़की के घर से जाने (विदाई) पर पूरे गांव छा जाने वाली उदासी को देखा जा सकता है।