Igas Festival In Uttarakhand

इगास पर्व (Igas Festival In Uttarakhand) मनाने के पीछे मान्यता यह है 

Igas Festival In Uttarakhand

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी दापाघाट तिब्बत की लड़ाई जीतकर अपने सैनिकों के साथ घर लौटे।

Igas Festival In Uttarakhand

वीर माधो सिंह भंडारी की विजयी वापसी की खुशी में लोगों ने बगवाल बजाकर एकादशी का दिन मनाया

Igas Festival In Uttarakhand

और इस खुशी के अवसर को बाद में उत्तराखंड में इगास उत्सव के रूप में माना गया। तो हम कह सकते हैं कि ईगास त्योहार उत्तराखंड का विजय उत्सव है।

इगास उत्सव कैसे मनाया जाता है?

इसे दीपावली की तरह ही घरों की साफ-सफाई और उन पर दीये जलाने के साथ-साथ बैलों के सींगों पर तेल लगाकर भी मनाया जाता है।

Igas Festival In Uttarakhand

गायों के गले में माला पहनाकर उनकी पूजा की जाती है।इगास पर्व के दिन घर में बनाए जाते हैं मीठे पकवान

Igas Festival In Uttarakhand

पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व (Igas Festival In Uttarakhand) यानि बूढ़ी दीवाली के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं

Igas Festival In Uttarakhand

म के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के साथ भैलो खेला जाता है।

Igas Festival In Uttarakhand

भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है।

Igas Festival In Uttarakhand

भैलो, चीड़ या भीमल आदि लकड़ियों का एक बंडल होता है जिसे रस्सी से बांधकर शरीर के चारों ओर घुमाया जाता है।