च्यूरा (Chyura)
का वृक्ष ऊँचा तथा तना मजबूत होता है और इस वृक्ष की जड़ों की भूमि पर मजबूत पकड़ होती है। जिस कारण यह वृक्ष पहाड़ी ढलानों पर भू-कटाव को रोकने के लिए अत्यधिक उपयोगी माना जाता है।
च्यूरा (Chiura) के वृक्ष की पत्तियां घरेलू पशुओं के लिए उपयोगी चारे के रूप में प्रयोग की होती हैं। दूधारू पशुओं के लिए इसकी पत्तियां पौष्टिक आहार और दूध को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं।
च्यूरा को पहाड़ो में धार्मिक आस्था के प्रतीक पवित्र वृक्ष के रूप में भी मान्यता है। इसकी पत्ति्यों की माला शुभ कार्यों में मकानों के बाहर शुभ प्रतीक के रूप में लगाई जाती हैं। ऐसा माना जाता है की इन पत्तियों को लगाने से परिवार पर अशुभ की छाया नहीं पड़ती है।
च्यूरा (Chyura) की पत्तियों का उपयोग दोने (कटोरीनुमा पात्र) तथा पत्तों की थाली बनाने के लिए किया जाता है। पहाड़ो में विभिन्न अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों में इस प्रकार तैयार दोने वाली थालियों को पवित्र माना जाता है और विभिन्न खाद्य पदार्थों परोसने के लिए उपयोग किया जाता है
च्यूरा के बीजों की खली जानवरों के लिए बड़ी पौष्टिक मानी जाती है। कभी कभी इसकी खली को जलाकर मच्छरओं को दूर भगाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।
च्यूरा (Chyura)
का फूल बहुत सुगन्धित होने के कारण बड़ी संख्या में मधुमक्खियों को अपनी और आकर्षित करता है। तथा इसके पुष्पित होने के समय इसका वृक्ष मीठी सुगंध से महक उठता है।
च्यूरा (Chyura)
के फूलों से सबसे अधिक पराग प्राप्त होने के कारण मधुमक्खी भी इसके वृक्षों के आस-पास रहती हैं।
च्यूरा के फूलों से अधिक मात्रा में मधु प्राप्त होता है। इस प्रकार इसके वृक्ष मधुमक्खी पालन उद्योग में भी सहायक होते हैं । तथा इसके फूलों से प्राप्त मधु (शहद) उत्तम गुणवत्ता, अधिक स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणों से भरपूर बताया जाता है।
च्यूरा (Chyura) के सुगन्धित फूलों का उपयोग विभिन्न सुगन्धित उत्पाद, इत्र, सेंट, धूप तथा अगरबत्ती आदि बनाने में सुगंध के लिए भी क्या जाता है।
च्यूरा (Chyura)
का फल का गूदा स्वादिष्ट-मीठा, सुगंधित और रसीला होता है और इसका उपयोग पशु तथा स्थानीय लोग भोजन के रूप में करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कुछ लोगों द्वारा इसके फल के गूदे का प्रयोग परांठे बनाने में भी किया जाता है। इसके फल के गूदे में शर्करा की प्रचुर मात्रा होती है