World Sparrow Day
गौरैया का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। गौरैया को हम मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद है। यह लगभग हर तरह की जलवायु पसंद करती है ।
World Sparrow Day
अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है। घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती
कहीं..कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती।
पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को दाना (चुग्गा) खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे। लेकिन अब तो यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है।
जानिए विश्व गौरैया का इतिहास
World Sparrow Day
गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। भारत में गौरैया की संख्या लगातार घटती ही जा रही है।
कुछ वर्षों पहले आसानी से दिख जाने वाला यह पक्षी अब तेज़ी से विलुप्त हो रहा है।
World Sparrow Day
World Sparrow Day
विश्व के विभिन्न देशों में यह पाई जाती है। गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस (
Sparrow’s scientific name Passer Domesticus
) है। यह
पासेराडेई परिवार
का हिस्सा है। यह लगभग 15 सेंटीमीटर के होती है मतलब बहुत ही छोटी होती है। और कीड़े और अनाज खाकर अपना जीवनयापन करती है।
शहरों के मुकाबलों गांवों में रहना इसे अधिक सुहाता है। इसका अधिकतम वजन 32 ग्राम तक होता है।
नर गौरैया के सर का ऊपरी भाग और निचे का भाग भूरे रंग का होता है उसके गले आख और चोंच काले रंग की होती है। नर गौरैया पर घोसला बंनाने की जिम्मेदारी होती है। एक गौरैया की उम्र 10 से 12 साल होती है। नर गौरैया को चिड़ा
नर गोरया और मादा गोरया की पहचान
नर गौरैया
मादा गौरैया नर गौरैया के विपरीत होती है इसके सर ,चोंच और गला भूरे रंग नहीं होता है। मादा गौरैया की पीठ पर भूरे रंग की पटिया या धारिया होती है। मादा गौरैया को मादा चिड़ी या चिड़िया भी कहते है।
नर गोरया और मादा गोरया की पहचान
मादा गौरैया
गौरैया (Sparrow) को अपने पक्षी मित्रो से ज्यादा विश्वाश हम इन्शानो पर करती थी हम इंसानो को अपना मित्र मानती रही इसलिए गौरैया (Sparrow) हमारे घरो में अपना घोसला बनाती थी।
पहले गौरैया (Sparrow) की केयर नहीं की और अब पूरा विश्व । 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाता है ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें।
विश्व गौरैया (Sparrow) दिवस पहली बार 2010 में मनाया गया था। प्रतिवर्ष पिछले दस सालों से 20 मार्च यानी विश्व गौरैया दिवस पर पर्यावरण एवं गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे लोगों को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।