Yarsagumba medicine
: इस कीड़े का वैज्ञानिक नाम ‘ओफियोकोर्डिसेप्स साइनेसिस’ है जबकि अंग्रेजी में इसे ‘कैटरपिलर फंगस’ कहते हैं ‘
यार्सागुम्बा’ हिमालयी क्षेत्रों में तीन से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसे ‘हिमालयन वियाग्रा’ के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इस कीड़े का उपयोग वियाग्रा की तरह होता है।
यारसागुम्बा की खास बात यह है कि यह एक कीड़ा होते हुए भी इसको आयुर्वेद में जड़ी बूटी की श्रेणी में रखा गया है।
इसको दवा के रूप में खाने से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।और यह एक महंगी जडीबूटी है। इसकी कीमत हजारों में नहीं लाखों तक हो सकती हैं।
यारसा गुंबा का वनस्पतिक नाम का काॅर्डिसेप्स साइनेन्सि
स है।Yarsagumba मुख्य रूप से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खासकर बर्फ से ढके हुए इलाकों में 3000 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर या उससे ऊपर तथा हिम शिखरों की तलहटी में पाया जाता है।
यारसा गुंबा मुख्यतया सिक्किम, कुमाऊं के उच्च हिमालयी क्षेत्र, तिब्बत, नेपाल ,भूटान, अरुणाचल एवं चीन के सिचुवान ,किंधाई, जिझांग आदि जगहों पर मुख्य रूप से पायी जाती है।
यारसागुंबा (Yarsagumba) एक तिब्बती भाषा का शब्द है जिसमें यारसा का मतलब है सर्दियों का कीड़ा और गुंबा का मतलब है गर्मियों का पौधा । इसीलिए इसे कीड़ा घास या कीड़ा जड़ी का नाम दिया गया है।
इन्ही कैटरपिलरों को एक परजीवी फफूंद हमला कर धीरे-धीरे मारकर मिट्टी के नीचे दबा देती है। और कुछ समय बीतने के बाद इसी मरे हुए कैटरपिलर के पिछले हिस्से से धीरे-धीरे फफूंद उगने लगती है। और जो समय के साथ धीरे-धीरे एक छोटे से पौधे का रुप ले लेती हैं। इसे ही कीड़ाजड़ी कहते हैं।
यह जड़ी आधा पौधा और आधा कीडा होती है क्योंकि यह फंगस एक परजीवी फंगस है।जो सीधे-सीधे मिट्टी में नहीं उग सकती है।इसलिए यह कैटरपिलर के ऊपर उगती है।
जब हिम शिखरों में बर्फ पिघलने लगती है तो यह पनपती है।
इसका रंग भूरा या नारंगी लाल होता है।इसकी लंबाई लगभग 2 से 3 इंच के बीच में होती हैं।तथा इसका वजन करीब 5 ग्राम से 9 ग्राम के बीच में होता है।
ऐसा माना जाता है कि यारसागुंबा (Yarsagumba) की खोज आज से लगभग 1500 वर्ष पूर्व तिब्बती चरावाहों द्वारा की गई थी। ये चरावाहे अपने खच्चरों व याकों को ऊंचे-ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों के घास के मैदानों में घास चराने हेतु ले जाते थे।
इस Yarsagumba के
औषधीय गुणों
को देखते हुए मिंग साम्राज्य के राज वैद्य ने इससे एक शक्तिशाली अर्क बनाने का तरीका ढूंढ लिया जिससे वो कई रोगों का इलाज करते थे।भारत में यारसा गंबू की खोज एक दशक पूर्व तिब्बत के लामाओं द्वारा की गई।
Yarsagumba में विटामिन बी12 , मेनिटाॅल , काॅर्डिसेपिक अम्ल,इरगोस्टीराॅल तथा काॅर्डिसेपिन 3′ डीआक्सीएडेनोसीन (C10H13N5O3) पाया जाता हैं।