What is Buransh | Uttarakhand State Tree | बुरांश के फूल

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What is Buransh | Uttarakhand State Tree
What is Buransh | Uttarakhand State Tree

ऋतुराज बसंतऋतु के आगमन के साथ ही धरती फिर अपने आप को सजाने संवारने में लग जाती है।प्रकृति अनेक तरीकों से अपने श्रृंगार में जुटी रहती है।उत्तराखंड की धरती भी अपने श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती।वह भी अपनी बसंती चुनर को बुरांश के सुर्ख चटक लाल तथा गुलाबी रंग के फूलों से साथ साथ खुमानी, आडू ,पूलम ,नाशपाती, फ्योली के रंग बिरंगे फूलों से सजा कर अपने श्रृंगार में चार चांद लगाती हैं।

बुरांस या बुरुंश (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है।गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।

 बुरांश के फूलों का बांटैनिकल नाम – Rhododendron Arboreum

  • गुलाबी रंग के बुरांश के फूलों को ( Rhododendron Campanulatum) ,
  • लाल रंग के बुरांश के फूलों रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (Rhododendron Arboreum) नाम से जाना जाता है।एरीकेसी कुल के अंतर्गत आता है।और यह उत्तराखंड राज्य वृक्ष है।
  • नेपाल का राष्ट्रीय फूल लाल बुरांश (Rhododendron Arboreum, National Flower of Nepal) इसे नेपाल में “लालगुरांस” कहते है।

उत्तराखंड राज्य में अत्यधिक मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश के इस वृक्ष को उत्तराखंड में “राज्य वृक्ष” की उपाधि से नवाजा है।यानी रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (लाल बुरांश) का यह वृक्ष उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है।

लाल बुरांश को 2006 में पड़ोसी देश नेपाल ने अपने “राष्ट्रीय फूल” के रूप में अपनाया। इसे नेपाल में “लालगुरांस” कहते है।

बुरांश के फूल उगने वाले क्षेत्र

उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र मुनस्यारी में गुलाबी रंग का बुरांश 2700 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है।वही मुक्तेश्वर नैनीताल के निकटस्थ क्षेत्रों तथा पिथौरागढ़ के जंगलों में 2000 मीटर की ऊंचाई में भी गुलाबी और लाल रंग के बुरांश के फूलों वाले पेड़ मिश्रित रूप से पाए जाते हैं ।बुरांश के फूल पहाड़ी इलाकों में ज्यादातर पाए जाते हैं।

यह फूल अधिकतर चीन ,भूटान, नेपाल , उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र ,हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है।

दूर ऊंचे पहाड़ों में सुर्ख चटक लाल रंग में खिलने वाले ये फूल एकाएक ही लोगों को आकर्षित कर उनका मन मोह लेते हैं।उत्तराखंड में मनाए जाने वाले “फूलदेई त्यौहार” के दिन बच्चे इन बुरांश के फूलों को इकट्ठा कर घर की देहरी (दरवाजा) सजाते हैं।

Buransh - Uttarakhandi

बुरांश प्रजातियां 

बुरांश की कुल 1024 प्रजातियां पूरी दुनिया में पाई जाती हैं।विभिन्न प्रकार के रंगीन लाल ,गुलाबी ,सफेद तथा नीले फूलों वाला बुरांश बसंत ऋतु के आरंभ से लेकर ग्रीष्म ऋतु शुरू होने के मध्य में खिलता है।मध्य हिमालयी क्षेत्रों में इसकी 87 प्रजातियां पाई जाती हैं।जिनमें से अकेले अरुणाचल प्रदेश में 75 प्रजातियां पाई जाती हैं।

उत्तराखंड में बुरांश की 6 प्रजातियां तथा एक उपप्रजाति पाई जाती है।लाल बुरांश लगभग 1800 से 3600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाया जाता है।हिमाचल में इसकी लगभग 15 प्रजातियां पाई जाती हैं।यहां लाल ,सफेद तथा नीले रंग के फूल पाये जाते है।

बुरांश के औषधीय गुण (Rhododendron Arboreum Medicinal Uses)

बसंत ऋतु में मार्च से जुलाई तक उत्तराखंड की पहाड़ियां लाल व गुलाबी रंग के बुरांश के फूलों से सज जाती हैं।यह फूल न सिर्फ लोगों का मन मोह लेते हैं।साथ ही साथ यह सुन्दर फूल लोगों को स्वस्थ रखने का काम भी करते हैं।बुरांश के फूलों के जूस से (शीतल पेय) अनेक प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं।हमारे पूर्वजों ने बुरांश के इन फूलों (Rhododendron Arboreum) का आयुर्वेद में उल्लेख किया है।

बुरांश का फूल न सिर्फ मनमोहक होता है।बल्कि आयुर्वेद में भी इसका बड़ा महत्व हैं।बुरांश के फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते है।लेकिन सभी प्रकार के बुरांशों के फूलों में लाल बुरांश में सबसे ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं।इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायरिल और एंटी डाइबिटिक गुण पाये जाते हैं।

  • लाल बुरांश के फूल का जूस (रोडो जूस) हृदय रोग, किडनी, लीवर, रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने, हड्डियों को सामान्य दर्द,
  • बुरांश के फूल का जूस शाररिक विकास व हाई ब्लड प्रेशर के लिए बहुत लाभदायक होता है।
  • बुरांश के फूल का जूस भूख बढ़ाने तथा आयरन की कमी को दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है।
  • बुरांश के फूल का जूस शरीर में लौह तत्व की कमी को पूरा करता है।तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
  • बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के दर्द की समस्या होती है।हड्डियों में होने वाले दर्द में बुरांश के फूल का जूस बहुत ही लाभदायक होता है।
  • बुरांश के फूल का जूस रक्त की कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है।किडनी/लीवर की समस्या बुरांश का जूस बेहद लाभकारी माना जाता है।इसका सेवन कर्क रोग, चर्म रोग, सूजन व किडनी के रोग में लाभदायक माना जाता है

बुरांश के पेड़ की छाल का उपयोग पीलिया, बाबासीर, यकृत विकार, पेट के कीड़ों को मारने के काम आता है।

हृदय रोग में कारगर (Rhododendron Arboreum For Heart Diseases)

बुरांश के फूल का जूस हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है क्योंकि इसमें प्यूफा ,क्वेरसेटिन और रूटीन नामक रसायन पाये जाते है।जो हृदय से संबंधित विकारों को दूर भगाता है।

ऐसा माना जाता हैं कि हृदय रोग से पीड़ित कोई भी व्यक्ति रोज लाल बुरांश के फूल के जूस का सेवन करे तो उसे हृदय रोग में काफी आराम पहुँचता है।साथ ही इसमें पोली फैटी एसिड पाया जाता हैं जो शरीर में कोलोस्ट्रोल नहीं बनने देता है।

इसके फूलों के रस में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इसके सूखे फूल दस्त, पेचिश रोग की रोकथाम में काम आते हैं।तथा ताजी पत्तियों को पीस कर उसका लेप माथे पर लगाने से सिर दर्द व बुखार ठीक हो जाता है।

गाँव घरों में लाल बुरांश के फूल से चटपटी चटनी भी बनाई जाती हैं जो बेहद स्वादिष्ट होती है।

बुरांश (Rhododendron Arboreum) के इन फूलों को बेहद पवित्र माना जाता है।इनको मंदिरों में पूजा-अर्चना के दौरान भगवान को अर्पित किया जाता है।

बुरांश का सफेद फूल होता हैं विषैला

लाल बुरांश (Rhododendron Arboreum) के फूल जितने औषधीय गुणों से भरपूर हैं।वही सफेद बुरांश का फूल उतना ही जहरीला होता है।सफेद बुरांश के फूलों के जूस को पीने योग्य नहीं माना जाता है।

व्यवसायिक उपयोग (Rhododendron Arboreum for Business)

उत्तराखंड के पहाड़ में अत्यधिक मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश वृक्ष और इसके फूल दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।जहां इसके फूल औषधि रूप में काम आते हैं।वहीं इसकी पत्तियां जैविक खाद बनाने के लिए तथा लकड़ी ईधन,फर्नीचर व कृषि उपकरण बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

स्थानीय लोगों द्वारा इसके फूलों से शीतल पेय बनाया जाता है।जो गर्मियों में बहुत ही लाभदायक होता है।यह शरीर को ताजगी से भर देता है।साथ ही इसके फूलों से जैम, स्क्वास, जेली तथा काढ़ा बनाया जाता है।

उपेक्षा का शिकार बुरांश

लेकिन बड़े अफ़सोस की बात है कि इतनी बड़ी मात्रा में खिलने वाले इन फूलों पर अभी तक ना तो कोई वैज्ञानिक अनुसंधान हुआ है।और ना ही तो इनके चिकित्सीय उपयोग पर रिसर्च और ना ही इसका ढंग से कोई व्यावसायिक उपयोग।इसका व्यावसायिक उपयोग ना होने के कारण या लोगों को इसके बारे में अत्यधिक जानकारी ना होने के कारण पहाड़ों का यह सुंदर सा फूल हर साल बस यूँ ही बेकार हो जाता है।

यह फूल व वृक्ष दोनों ही सरकार की उपेक्षा झेल रहे है।प्रदेश सरकार अगर इस तरफ ध्यान दें और कोई ठोस योजना बनाकर इसे लघु उद्योग के रूप में बढ़ावा दे।तो न सिर्फ लोगों को रोजगार मिलेगा,बल्कि प्रदेश का राजस्व भी बढ़ेगा।साथ ही साथ लोगों को पहाड़ों पर उगने वाले इस खूबसूरत फूल के औषधि गुण भी मिलेंगे।जो लोगों को स्वस्थ रहने में मदद देंगे।

लेकिन अब उपेक्षा का शिकार बुरांश एवं बुरांश के फूलों से तैयार अर्क का इस्‍तेमाल कई रोगोंमें किया जाएगा,अब कोविड में भी इसका इस्‍तेमाल हो सकेगा.

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हिमालय की वादियों में पाए जाने वाले बुरांश के पौधे से कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज हो सकेगा. इसके फूलों से निकाले जाने वाले अर्क से शरीर में कोरोना की संख्‍या को बढ़ने (Replicate) से रोका जा सकेगा. यह दावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT Mandi) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके फूल की पंखुड़ि‍यों में ऐसे फायटोकेमिकल (Phytochemicals) मिले हैं, जिनका इस्‍तेमाल कोविड-19 होने पर इलाज के तौर पर किया जा सकता है. इसमें एंटीवायरल (Antiviral) खूबयिां हैं और वायरस से लड़ सकता है.

IIT मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर का कहना है, बुरांश के पौधे में मिले फायटोकेमिकल्‍स यानी पौधों से मिलने वाले केमिकल असरदार साबित होते हैं. नेचुरल होने के कारण इनके जहरीले होने की आशंका भी नहीं रहती.

बायोमॉलिकुलर स्‍ट्रक्‍चर एंड डायनामिक्‍स जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, लैब में Vero E6 कोशिकाओं पर प्रयोग किया गया. ये कोशिकाएं अफ्रीकन ग्रीन मंकी की मदद से विकसित की गई थीं. इनका ज्‍यादातर इस्‍तेमाल बैक्‍टीरिया और वायरस के संक्रमण की गंभीरता को समझने के लिए किया जाता है. प्रयोग के दौरान इन संक्रमित कोशिकाओं पर फूलों का अर्क इस्‍तेमाल किया गया. रिसर्च में सामने आया कि ये कोविड के संक्रमण को रोकने में मदद करता है.

 

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बुरांस के कृषि में ध्यान देने योग्य बातें

जलवायुः अफ्रीका व दक्षिणी अमरीका को छोड़कर विश्व के सभी भागों में यह जंगली रूप से पाया जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां दक्षिणी एवं दक्षिण पूर्वी एशिया में भी मिलती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि बुरांस नमीयुक्त शीतोष्ण क्षेत्रों में लगभग 11000 फुट की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है।

मृदाः बुरांस के लिए अम्लीय मृदा, जिसका पीएच मान पांच या उससे कम हो, अच्छी रहती है। यद्यपि अगर मृदा का पीएच मान छह हो, तो भी अम्लीय खाद मिलाकर इसे उगाया जा सकता है। बुरांस का पेड़ रेतीली व पथरीली भूमि, जो जल्दी सूख जाए, में नहीं उगता।

पोषणः बुरांस में भोजन लेने वाली जड़ें मिट्टी की ऊपरी सतह पर होती हैं। अतः उन पर गर्मी और सूखे का दुष्प्रभाव जल्दी पड़ता है। पूर्ण रूप से सड़ी हुई गोबर की खाद अच्छी मात्रा में बिजाई से पहले पौधों में देनी चाहिए। मशरूम के उत्पाद अवशेष और मांस के उत्पाद अवशेष खाद के रूप में बुरांस के पेड़ में प्रयोग नहीं करने चाहिएं, क्योंकि इनमें चूने की मात्रा होती है, जो मिट्टी की अम्लीयता पर प्रभाव डालती है और अम्लीयता कम होने पर बुरांस के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं।

प्रवर्द्धनः प्राकृतिक रूप से इसका प्रसारण बीज द्वारा होता है। जबकि साधारणतया कलम इसके प्रवर्द्धन का अच्छा माध्यम है।

बीजः बुरांस के पौधे ग्राफ्टिंग और शोभाकारी पौधों के प्रवर्द्धन में काम आते हैं। इसके बीज फलों के फटने से पहले एकत्रित किए जाते हैं। शरद ऋतु के अंत में या बसंत ऋतु से पहले ग्रीन हाउस या पोलीटनल में बीज बोए जाते हैं। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए बालू और पीट के ऊपर मॉस घास की एक परत बिछानी चाहिए और तापमान 15-21 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। बीज को अंकुरण से रोपाई अवस्था में आने में तीन महीने लग जाते हैं।

कलमः जड़ कलम बुरांस के प्रवर्द्धन का मुख्य तरीका है। तना कलम भी मातृ पौधे से गर्मियों में ली जाती है। कलम में जल्दी जड़ निकलने के लिए इसके आधार पर छोटे-छोटे घाव करने चाहिएं। जबकि जड़ें ग्रीनहाउस में मिस्ट के अंदर जल्दी निकल जाती हैं। कलम से तैयार पौधे जल्दी बढ़ते हैं।

ग्राफ्टिंगः विनियर ग्राफ्टिंग इसकी सबसे अच्छी तकनीक है। ग्राफ्टिंग के अच्छे परिणाम के लिए अधिक नमी और 21 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित है।

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